ETV Bharat / bharat

US on Indian Religious Right: भारत में धार्मिक अधिकारों का मुद्दा, निशाने पर ले रहा अमेरिका

सोमवार से शुरू हुए पीएम नरेंद्र मोदी के यूरोप दौरे के एजेंडे में यूक्रेन पर रूसी सैन्य कार्रवाई महत्वपूर्ण बिंदु है. भारत के सैद्धांतिक रुख में पहले से ही अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा इसमें मानव और धार्मिक अधिकारों का मुद्दा जोड़ दिया गया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

US t
US tUS t
author img

By

Published : May 2, 2022, 8:06 PM IST

नई दिल्ली: अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा मानव और धार्मिक अधिकारों का मुद्दा भारत के साथ जोड़ दिया गया है. हालांकि भारत पहले से ही अमेरिका द्वारा हाल में जारी दो सूचियों में शामिल है. पहला, धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव और दूसरा बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों पर कब्जा. दरअसल, अमेरिका, रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के स्टैंड से बहुत ज्यादा खुश नहीं है.

27 अप्रैल 2022 को यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) कार्यालय ने यूएस ट्रेडिंग पार्टनर्स की बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण और प्रवर्तन की प्रभावशीलता पर अपनी रिपोर्ट दी. 2022 की विशेष 301 रिपोर्ट में भारत को भी शामिल किया है. इस सूची में भारत, रूस और चीन के अलावा अर्जेंटीना, चिली, इंडोनेशिया और वेनेजुएला भी शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि भारत, चीन, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया और वेनेजुएला ने रूस की कार्रवाई की स्पष्ट रूप से निंदा करने से इनकार कर दिया है.

साथ ही अमेरिका के नेतृत्व वाले आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध भी किया है. केवल चिली ही ऐसा देश है जिसने रूस की निंदा की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सात देश अर्जेंटीना, चिली, चीन, भारत, इंडोनेशिया, रूस और वेनेजुएला प्राथमिकता निगरानी सूची में हैं. आने वाले वर्ष के दौरान ये देश विशेष रूप से गहन द्विपक्षीय जुड़ाव का विषय होंगे. भारत पर इसने कहा है कि भारत आईपी के संरक्षण और प्रवर्तन के संबंध में दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.

धार्मिक अधिकार की बात: भारत ने 2022 के लिए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) की रिपोर्ट में 15 देशों के समूह में पहले से ही विशेष चिंता वाले देश (CPC) के रूप में जगह बनाई है. जिसे ठीक एक सप्ताह पहले सोमवार 25 अप्रैल 2022 को जारी किया गया. संयोग से भारत को फिर से अमेरिका की रिपोर्ट में रूस और चीन के साथ समूह में जगह मिली है. जिसमें दावा किया गया है कि जो बाइडेन प्रशासन ने संकेत दिया है कि उसकी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में मानवाधिकारों को शामिल किया जाएगा. रूस को जहां पहली बार सीपीसी समूह में शामिल किया गया है, वहीं 15 देशों के समूह में तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान भी शामिल है.

रिपोर्ट में भारत पर कहा गया है कि 2021 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति काफी खराब हो गई. वर्ष के दौरान भारत सरकार ने अपनी नीतियों के प्रचार को बढ़ाया है. जिसमें हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देना शामिल है, जो कि मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. सरकार ने मौजूदा और नए कानूनों के साथ देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुतापूर्ण संरचनात्मक परिवर्तनों के उपयोग के माध्यम से राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर हिंदू राज्य की अपनी वैचारिक दृष्टि को व्यवस्थित करना जारी रखा है. यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में उन व्यक्तियों या संस्थाओं की संपत्ति को फ्रीज करने या अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने की सिफारिश की है. वहीं अमेरिकी कांग्रेस को अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को उठाने पर जोर दिया है.

यह भी पढ़ें- बर्लिन में पीएम मोदी का जोरदार स्वागत, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ की द्विपक्षीय वार्ता

चल रही रस्साकशी: ऐसे समय में जब अमेरिका के नेतृत्व वाले गुट और रूस-चीन की धुरी के बीच रस्साकशी चल रही है. ताकि एक नई उभरती विश्व व्यवस्था में अपने-अपने खेमे में तेजी से शक्तिशाली बन रहे भारत को आकर्षित किया जा सके. यह मानने का कारण है कि दोनों खेमे भारत की कमजोरियों की पहचान करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि जब भारत दूसरे खेमे के साथ सहयोगी बने तो यह सवाल खड़े किये जा सकें. दोनों गुटों द्वारा भारतीय स्थिति की समझ और भारतीय कूटनीति की सराहनीय भूमिका को भी रेखांकित करती है. भारत ने अब तक अच्छा संतुलन और समानता बनाए रखा है. मोदी की यूरोप यात्रा भारतीय स्थिति को और भी मजबूत करने की कोशिश करेगी. अपनी यात्रा से ठीक पहले पीएम ने कहा था कि मेरी यूरोप यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों और विकल्पों का सामना कर रहा है.

नई दिल्ली: अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा मानव और धार्मिक अधिकारों का मुद्दा भारत के साथ जोड़ दिया गया है. हालांकि भारत पहले से ही अमेरिका द्वारा हाल में जारी दो सूचियों में शामिल है. पहला, धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव और दूसरा बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकारों पर कब्जा. दरअसल, अमेरिका, रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के स्टैंड से बहुत ज्यादा खुश नहीं है.

27 अप्रैल 2022 को यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) कार्यालय ने यूएस ट्रेडिंग पार्टनर्स की बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण और प्रवर्तन की प्रभावशीलता पर अपनी रिपोर्ट दी. 2022 की विशेष 301 रिपोर्ट में भारत को भी शामिल किया है. इस सूची में भारत, रूस और चीन के अलावा अर्जेंटीना, चिली, इंडोनेशिया और वेनेजुएला भी शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि भारत, चीन, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया और वेनेजुएला ने रूस की कार्रवाई की स्पष्ट रूप से निंदा करने से इनकार कर दिया है.

साथ ही अमेरिका के नेतृत्व वाले आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध भी किया है. केवल चिली ही ऐसा देश है जिसने रूस की निंदा की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सात देश अर्जेंटीना, चिली, चीन, भारत, इंडोनेशिया, रूस और वेनेजुएला प्राथमिकता निगरानी सूची में हैं. आने वाले वर्ष के दौरान ये देश विशेष रूप से गहन द्विपक्षीय जुड़ाव का विषय होंगे. भारत पर इसने कहा है कि भारत आईपी के संरक्षण और प्रवर्तन के संबंध में दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.

धार्मिक अधिकार की बात: भारत ने 2022 के लिए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) की रिपोर्ट में 15 देशों के समूह में पहले से ही विशेष चिंता वाले देश (CPC) के रूप में जगह बनाई है. जिसे ठीक एक सप्ताह पहले सोमवार 25 अप्रैल 2022 को जारी किया गया. संयोग से भारत को फिर से अमेरिका की रिपोर्ट में रूस और चीन के साथ समूह में जगह मिली है. जिसमें दावा किया गया है कि जो बाइडेन प्रशासन ने संकेत दिया है कि उसकी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में मानवाधिकारों को शामिल किया जाएगा. रूस को जहां पहली बार सीपीसी समूह में शामिल किया गया है, वहीं 15 देशों के समूह में तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान भी शामिल है.

रिपोर्ट में भारत पर कहा गया है कि 2021 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति काफी खराब हो गई. वर्ष के दौरान भारत सरकार ने अपनी नीतियों के प्रचार को बढ़ाया है. जिसमें हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देना शामिल है, जो कि मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है. सरकार ने मौजूदा और नए कानूनों के साथ देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुतापूर्ण संरचनात्मक परिवर्तनों के उपयोग के माध्यम से राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर हिंदू राज्य की अपनी वैचारिक दृष्टि को व्यवस्थित करना जारी रखा है. यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में उन व्यक्तियों या संस्थाओं की संपत्ति को फ्रीज करने या अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने की सिफारिश की है. वहीं अमेरिकी कांग्रेस को अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को उठाने पर जोर दिया है.

यह भी पढ़ें- बर्लिन में पीएम मोदी का जोरदार स्वागत, जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ की द्विपक्षीय वार्ता

चल रही रस्साकशी: ऐसे समय में जब अमेरिका के नेतृत्व वाले गुट और रूस-चीन की धुरी के बीच रस्साकशी चल रही है. ताकि एक नई उभरती विश्व व्यवस्था में अपने-अपने खेमे में तेजी से शक्तिशाली बन रहे भारत को आकर्षित किया जा सके. यह मानने का कारण है कि दोनों खेमे भारत की कमजोरियों की पहचान करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि जब भारत दूसरे खेमे के साथ सहयोगी बने तो यह सवाल खड़े किये जा सकें. दोनों गुटों द्वारा भारतीय स्थिति की समझ और भारतीय कूटनीति की सराहनीय भूमिका को भी रेखांकित करती है. भारत ने अब तक अच्छा संतुलन और समानता बनाए रखा है. मोदी की यूरोप यात्रा भारतीय स्थिति को और भी मजबूत करने की कोशिश करेगी. अपनी यात्रा से ठीक पहले पीएम ने कहा था कि मेरी यूरोप यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों और विकल्पों का सामना कर रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.