नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में कार्यरत हजारों कर्मचारियों में वेतन विसंगति एक बड़ा मुद्दा है. गत कई वर्षों से कर्मचारी इसे दूर करने की मांग कर रहे हैं. छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन नहीं होने से उनकी यह मांग पूरी नहीं हो पा रही थी. अब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद इस आयोग के गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है. दिल्ली सरकार द्वारा छठे वेतन आयोग के गठन में देरी को लेकर गत वर्ष अगस्त महीने में विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे हस्तक्षेप करने की मांग की थी. अब दिल्ली में भाजपा को बहुमत मिली है तो छठे वित्त आयोग के गठन को लेकर कवायद शुरू हो गई है.
छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन: नवनिर्वाचित भाजपा विधायक एवं पूर्व नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के बाद छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन जल्द ही कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में नगर निगम द्वारा करवाये जाने वाले विकास कार्यों के लिए वित्तीय प्रबंधन की दृष्टि से छठे वित्त आयोग का गठन अत्यंत आवश्यक है और चूंकि भाजपा सरकार दिल्ली के विकास के लिए सतत प्रयासबद्ध है, इसलिए इस काम में देरी किए बिना जल्द ही इसके गठन की घोषणा कर दी जाएगी.
राष्ट्रपति से संवैधानिक नियमों के उल्लंघन की शिकायत: दरअसल, इस मामले को लेकर पिछले साल 30 अगस्त को भाजपा विधायक दल ने राष्ट्रपति से भेंट की थी और उनसे दिल्ली सरकार द्वारा किये जा रहे संवैधानिक नियमों के उल्लंघन की शिकायत की थी. इसके अलावा विधायकों ने हाईकोर्ट में भी इस मामले को लेकर याचिका दायर की थी. आरोप है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस वित्त आयोग की गंभीरता को नहीं समझा. अप्रैल 2021 से लंबित इसका गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-I और 243-Y का गंभीर उल्लंघन है. जिसके चलते दिल्ली के लिए वित्तीय योजनाओं और संसाधनों का आवंटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ, विशेष रूप से दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर इसका व्यापक असर पड़ा है. दिल्ली की सड़कों से लेकर साफ सफाई तक, पार्कों के रख रखाव से लेकर सीवरों तक के सभी जनता से जुड़े कार्य गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं.
दिल्ली में भाजपा सरकार बनते ही गठन किया जाएगा 'छठा दिल्ली वित्त आयोग'
— Vijender Gupta (@Gupta_vijender) February 12, 2025
पिछले चार साल से AAP सरकार ने जानबूझकर छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन नहीं किया, जिससे MCD की वित्तीय स्थिति डगमगा गई और जनता बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो गई।
यह दिल्ली की विकास योजनाओं में बाधा बना और साथ…
विकास कार्यों को प्राथमिकता: विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली की जनता को आश्वस्त करते हुए कहा है कि पिछले दस साल में आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की जो दुर्दशा की है, उसको एक एक करके ठीक किया जाएगा और इसी कारण जनता से जुड़े सभी विकास कार्यों को प्राथमिकता सूची में रखा गया है. सड़क, बिजली, पानी, साफ सफाई हमारी प्राथमिकता है. भाजपा की सरकार बनने के बाद होने वाली कैबिनेट की पहली बैठक में ही इन सभी विकास कार्यों पर महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे. साथ ही कैग की पिछले पांच सालों से लंबित 14 रिपोर्ट्स को विधानसभा के प्रथम सत्र में रखवाना भी भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी.
जनहित के मुद्दों की उपेक्षा नहीं की जाएगी उपेक्षा: उन्होंने एक बार फिर से दोहराया कि जनहित के मुद्दों की उपेक्षा नहीं की जाएगी और चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में जो-जो जन कल्याण की योजनाओं की घोषणा की थी, उन सभी को जल्द से जल्द क्रियान्वित करने के समवेत प्रयास किये जाएंगे, क्योंकि ये सभी घोषणाएं मोदी की गारंटी के रूप में जनता के समक्ष रखी गई थी और इस नाते इन्हें पूरा कर अपना वादा निभाने के लिए दिल्ली की डबल इंजन की सरकार हमेशा प्रयासरत रहेगी.
बता दें कि भाजपा सरकार के काम करने के तौर-तरीके की तर्ज पर दिल्ली में भी नई सरकार के गठन होने से पहले ही सरकार के 100 दिनों के कामकाज का एजेंडा तय कर विभागों को निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार ने सभी विभाग प्रमुखों के अधिकारियों की एक मीटिंग में उन्हें निर्देश दिया है कि नई सरकार के संभावित एजेंडे और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी विभाग एक रिपोर्ट तैयार करें. ताकि सरकार के गठन के पहले 100 दिनों में विभाग कौन-कौन से काम प्राथमिकता के आधार पर किए जाएंगे.
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