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मध्य प्रदेश : दुनिया को सबसे अधिक 29 शावक देने वाली बाघिन की मौत

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में अहम योगदान देने वाली बाघिन (tigress passes away in pench tiger reserve seoni) अब इस दुनिया में नहीं रही. बाघिन ने आठ बार में 29 शावकों को जन्म दिया. बाघिन ने सबसे ज्यादा बच्चे देने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था.

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Published : Jan 16, 2022, 5:05 PM IST

सिवनी/छिंदवाड़ा : विश्व भर में सर्वाधिक शावकों को जन्म देने का कीर्तिमान स्थापित करने वाली बाघिन (tigress passes away in pench tiger reserve seoni) अब कभी नहीं दिख पाएगी. शनिवार को लगभग 16 वर्ष की उम्र में टी–15 कॉलर वाली बाघिन ने पेंच टाइगर रिजर्व में अंतिम सांस लीं. यह जानकारी लगते ही पेंच प्रबंधन में शोक का माहौल है. बाघिन ने सबसे ज्यादा बच्चे देने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है.

2005 में हुआ था जन्मबाघिन का मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में अहम योगदान रहा है. बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था. सबसे पहले मात्र ढाई साल की उम्र में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया. बाघिन ने सबसे ज्यादा एक साथ पांच शावकों को जन्म दिया था.

देहरादून में मिला था नाम 11 मार्च 2008 को भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने बाघिन को रेडियो कॉलर पहनाई थी. तब से बाघिन कॉलर वाली के नाम से पहचानी जाने लगी. पर्यटकों को भी यह सबसे ज्यादा दिखाई पड़ने वाली बाघिन है. कॉलर वाली बाघिन की अपनी मां और भाई-बहनों के साथ बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म 'टाइगर स्पाय इन द जंगल' भी काफी लोकप्रिय है.

पन्ना टाइगर रिजर्व में निभाई अहम भूमिकापन्ना टाइगर रिजर्व में कॉलर वाली बाघिन ने अहम भूमिका निभाई है. यहां बाघों की संख्या शून्य होने के बाद पेंच टाइगर रिजर्व से एक किशोरवय बाघिन को वहां भेजा जाना था तो इसके मादा शावक को पन्ना भेजा गया.

बुढ़ापे की वजह से तोड़ा दमसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉलर वाली बाघिन बुढ़ापे के चलते कमजोर हो गई थी. उसकी अच्छी तरह से पेंच प्रबंधन द्वारा देखभाल की गई. उसे कोई चोट या बीमारी नहीं थी, केवल बुढ़ापे के आगे वह झुक गई.

रानी की तरह रहती थी कॉलर वाली बाघिनवह एक रानी की तरह रहती थी और रानी की तरह ही उसने अंतिम सांस ली. अपने अंतिम क्षणों में भी, वह राजसी, आत्मविश्वासी और अपने आचरण को बनाए रखने वाली थी. शनिवार को उसने शरीर को छोड़ने से पहले, एक सुंदर धारा के करीब एक स्थान चुना (भूरादत्त नाला के पास सीताघाट में) जहां एक धुंधली सर्दियों में सूर्यास्त के उसने अंतिम सांस ली. इस दौरान चीतल का एक झुंड आकर कॉलर वाली बाघिन को अंतिम समय में सम्मान दिया.

पढ़ें :- क्या जहर देने से रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघिन की हुई मौत ?

पहली बार ढाई वर्ष की उम्र में 3 शावकों को जन्म दिया था.

दूसरी बार में 4 शावकों को जन्म दिया.

सबसे ज्यादा तीसरी बार में 5 शावकों को जन्म दिया.

चौथी बार में बाघिन ने फिर 3 शावकों को जन्म दिया.

पांचवीं बार में 3 नर शावकों को जन्म दिया.

छठवीं बार में 4 शावकों को जन्म दिया.

टी-15 बाघिन ने सातवीं बार में 3 शावकों को जन्म दिया.

आठवीं और अंतिम बार में फिर कॉलर वाली बाघिन ने 4 शावकों को जन्म दिया.

सिवनी/छिंदवाड़ा : विश्व भर में सर्वाधिक शावकों को जन्म देने का कीर्तिमान स्थापित करने वाली बाघिन (tigress passes away in pench tiger reserve seoni) अब कभी नहीं दिख पाएगी. शनिवार को लगभग 16 वर्ष की उम्र में टी–15 कॉलर वाली बाघिन ने पेंच टाइगर रिजर्व में अंतिम सांस लीं. यह जानकारी लगते ही पेंच प्रबंधन में शोक का माहौल है. बाघिन ने सबसे ज्यादा बच्चे देने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है.

2005 में हुआ था जन्मबाघिन का मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा दिलाने में अहम योगदान रहा है. बाघिन का जन्म सितंबर 2005 में हुआ था. सबसे पहले मात्र ढाई साल की उम्र में बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद बाघिन ने 29 शावकों को जन्म दिया. बाघिन ने सबसे ज्यादा एक साथ पांच शावकों को जन्म दिया था.

देहरादून में मिला था नाम 11 मार्च 2008 को भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों ने बाघिन को रेडियो कॉलर पहनाई थी. तब से बाघिन कॉलर वाली के नाम से पहचानी जाने लगी. पर्यटकों को भी यह सबसे ज्यादा दिखाई पड़ने वाली बाघिन है. कॉलर वाली बाघिन की अपनी मां और भाई-बहनों के साथ बनी डाक्यूमेंट्री फिल्म 'टाइगर स्पाय इन द जंगल' भी काफी लोकप्रिय है.

पन्ना टाइगर रिजर्व में निभाई अहम भूमिकापन्ना टाइगर रिजर्व में कॉलर वाली बाघिन ने अहम भूमिका निभाई है. यहां बाघों की संख्या शून्य होने के बाद पेंच टाइगर रिजर्व से एक किशोरवय बाघिन को वहां भेजा जाना था तो इसके मादा शावक को पन्ना भेजा गया.

बुढ़ापे की वजह से तोड़ा दमसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉलर वाली बाघिन बुढ़ापे के चलते कमजोर हो गई थी. उसकी अच्छी तरह से पेंच प्रबंधन द्वारा देखभाल की गई. उसे कोई चोट या बीमारी नहीं थी, केवल बुढ़ापे के आगे वह झुक गई.

रानी की तरह रहती थी कॉलर वाली बाघिनवह एक रानी की तरह रहती थी और रानी की तरह ही उसने अंतिम सांस ली. अपने अंतिम क्षणों में भी, वह राजसी, आत्मविश्वासी और अपने आचरण को बनाए रखने वाली थी. शनिवार को उसने शरीर को छोड़ने से पहले, एक सुंदर धारा के करीब एक स्थान चुना (भूरादत्त नाला के पास सीताघाट में) जहां एक धुंधली सर्दियों में सूर्यास्त के उसने अंतिम सांस ली. इस दौरान चीतल का एक झुंड आकर कॉलर वाली बाघिन को अंतिम समय में सम्मान दिया.

पढ़ें :- क्या जहर देने से रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघिन की हुई मौत ?

पहली बार ढाई वर्ष की उम्र में 3 शावकों को जन्म दिया था.

दूसरी बार में 4 शावकों को जन्म दिया.

सबसे ज्यादा तीसरी बार में 5 शावकों को जन्म दिया.

चौथी बार में बाघिन ने फिर 3 शावकों को जन्म दिया.

पांचवीं बार में 3 नर शावकों को जन्म दिया.

छठवीं बार में 4 शावकों को जन्म दिया.

टी-15 बाघिन ने सातवीं बार में 3 शावकों को जन्म दिया.

आठवीं और अंतिम बार में फिर कॉलर वाली बाघिन ने 4 शावकों को जन्म दिया.

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