नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच एजेंसी(CBI) के निदेशक को आदेश देते हुए कहा कि कोर्ट को बताएं कि उनकी अभियोजन इकाई को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और इसमें क्या बाधाएं हैं.
बता दें, सीबीआई (Central Bureau of Investigation) की लापरवाही से सुप्रीम कोर्ट नाराज है. कोर्ट ने सीबीआई का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने का मन बनाया है. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की बेंच ने कहा कि केवल केस दर्ज कर लेना ही काफी नहीं है. सीबीआई को जांच करके यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि अभियोजन पूरा हो. अदालत CBI की परफॉर्मेंस और जांच तथा मामलों को लॉजिकल एंड तक ले जाने में उसकी सफलता दर को भी देखेगी. शुक्रवार को अदालत ने सीबीआई निदेशक से उसके सामने उन मामलों की संख्या रखने को कहा जिनमें सीबीआई आरोपी को सजा दिलाने में सफल रही.
सुप्रीम कोर्ट सीबीआई की प्रॉसीक्यूटिंग विंग अपने काम में कितनी कुशल है, इसकी जांच कर रहा है. शीर्ष अदालत ने पहले पाया था कि सीबीआई अपने काम में बहुत लापरवाही कर रही है जिसके चलते अदालतों में मुकदमे दायर करने में बेवजह की देरी होती है. अदालत ने सीबीआई निदेशक से इसपर जवाब मांगा था.
CBI के तर्क पर अदालत का दांव
वहीं, सीबीआई की तरफ से पेश हुए ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि भारत में मुकदमेबाजी की जैसी प्रणाली है, उसे देखते हुए मुकदमेबाजी की सफलता दर को एजेंसी की दक्षता आंकते समय बस एक पहलू के रूप में देखा जाना चाहिए. इस पर बेंच ने कहा कि दुनियाभर में यही पैमाना चलता है और ऐसी कोई वजह नहीं है कि सीबीआई पर भी इसे लागू नहीं होना चाहिए.
अदालत ने कहा कि किसी अभियोजन एजेंसी की कुशलता इस बात से तय होती है कि वह कितने मामलों को कितने समय में तार्किक निष्कर्ष तक ले जा पाती है. सुप्रीम कोर्ट ने डेटा फाइल करने के लिए सीबीआई निदेशक को चार हफ्तों का समय दिया है. अगली सुनवाई पर अदालत उस डेटा की छानबीन करेगा.