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कोचिंग में OBC छात्रों के दाखिले की मांग वाली याचिका पर जामिया को नोटिस, दिल्ली हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - DELHI HIGH COURT ON JAMIA

दिल्ली हाईकोर्ट ने यूपीएससी कोचिंग को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और यूजीसी को नोटिस जारी किया है.

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 23, 2025, 8:34 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिए आवासीय कोचिंग अकादमी में अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) छात्रों के प्रवेश को लेकर दायर जनहित याचिका पर जामिया मिलिया इस्लामिया से जवाब मांगा हैं. मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने विधि स्नातक सत्यम सिंह की जनहित याचिका पर जामिया मिलिया इस्लामिया और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को नोटिस जारी किया.

सत्यम सिंह ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि जामिया मुफ्त कोचिंग को केवल छात्राओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदायों तक सीमित नहीं कर सकता, उसका दायित्व ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) दोनों को लाभ प्रदान करना है.

कोर्ट ने जिक्र किया कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिसपर याचिकाकर्ता ने अपनी राहत केवल ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) तक ही सीमित रखी. हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय यूजीसी के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है, इसलिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाता है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) उम्मीदवार के रूप में कोचिंग अकादमी में प्रवेश लेने के अधिकार पर सवाल उठाया था. पीठ ने कहा, 'आप हमसे नीति को नए सिरे से तैयार करने के लिए कह रहे हैं. प्रवेश नियमित पाठ्यक्रमों में नहीं, बल्कि कोचिंग सेंटर में दिया जाता है. आरक्षण प्रदान करना प्राधिकारियों का काम है. आप हमसे अधिकार बनाने के लिए कह रहे हैं'.

अधिवक्ता आकाश वाजपेयी, आयुष सक्सेना पुरु मुदगल के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि यूजीसी ने जामिया सहित चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता दी है और इसलिए उसका यह दायित्व है कि वह वंचित छात्रों से भेदभाव न करे. याचिका में कहा गया है कि आवासीय कोचिंग अकादमी के लिए वर्तमान प्रवेश नीति मनमानी और भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें उन छात्रों की श्रेणी को छोड़ दिया गया है जो प्रवेश के हकदार थे. जनहित याचिका में कहा गया है कि आवासीय कोचिंग अकादमी का उद्देश्य वंचित वर्ग के छात्रों को कोचिंग कार्यक्रम प्रदान करके समान विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है.

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सत्यम सिंह ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि जामिया मुफ्त कोचिंग को केवल छात्राओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदायों तक सीमित नहीं कर सकता, उसका दायित्व ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) दोनों को लाभ प्रदान करना है.

कोर्ट ने जिक्र किया कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिसपर याचिकाकर्ता ने अपनी राहत केवल ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) तक ही सीमित रखी. हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय यूजीसी के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है, इसलिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाता है.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) उम्मीदवार के रूप में कोचिंग अकादमी में प्रवेश लेने के अधिकार पर सवाल उठाया था. पीठ ने कहा, 'आप हमसे नीति को नए सिरे से तैयार करने के लिए कह रहे हैं. प्रवेश नियमित पाठ्यक्रमों में नहीं, बल्कि कोचिंग सेंटर में दिया जाता है. आरक्षण प्रदान करना प्राधिकारियों का काम है. आप हमसे अधिकार बनाने के लिए कह रहे हैं'.

अधिवक्ता आकाश वाजपेयी, आयुष सक्सेना पुरु मुदगल के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि यूजीसी ने जामिया सहित चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों को वित्तीय सहायता दी है और इसलिए उसका यह दायित्व है कि वह वंचित छात्रों से भेदभाव न करे. याचिका में कहा गया है कि आवासीय कोचिंग अकादमी के लिए वर्तमान प्रवेश नीति मनमानी और भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसमें उन छात्रों की श्रेणी को छोड़ दिया गया है जो प्रवेश के हकदार थे. जनहित याचिका में कहा गया है कि आवासीय कोचिंग अकादमी का उद्देश्य वंचित वर्ग के छात्रों को कोचिंग कार्यक्रम प्रदान करके समान विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को समान अवसर प्रदान करना है.

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