नई दिल्ली : सोनिया गांधी की अगुवाई में विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई. सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी देश के सामने खड़े प्रमुख मुद्दों पर विपक्षी दलों को साथ लेकर सरकार को घेरने की कोशिश में हैं और इसी प्रयास के तहत यह बैठक बुलाई गई .
विपक्ष की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि संसद में विपक्षी एकता का भरोसा, लेकिन इसके बाहर बड़ी राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी. उन्होंने कहा कि पेगासस जासूसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सरकार की अनिच्छा के कारण संसद का मॉनसून सत्र पूरी तरह बेकार चला गया.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मुताबिक, अंतिम लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में विश्वास करने वाली सरकार देने के लिए व्यवस्थित रूप से योजना बनानी होगी. उन्होंने विपक्षी दलों का आह्वान किया, 'यह एक चुनौती है, लेकिन हम साथ मिलकर इससे पार पा सकते हैं और अवश्य पाएंगे, क्योंकि मिलकर काम करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. हम सभी की अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन अब समय आ गया है जब राष्ट्र हित यह मांग करता है कि हम इन विवशताओं से ऊपर उठें.'
सोनिया ने कहा, 'देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ अपने व्यक्तिगत और सामूहिक संकल्प पर फिर जोर देने का सबसे उचित अवसर है. मैं यह कहूंगी कि कांग्रेस की तरफ से कोई कमी नहीं रहेगी.'
उन्होंने विपक्षी नेताओं से कहा, 'आप लोगों को याद होगा कि हमने 12 मई, 2021 को प्रधानमंत्री को टीकाकरण रणनीति और तीन किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज देने के बारे में संयुक्त रूप से पत्र लिखा था. हम लोगों के दखल के बाद टीकों की खरीद की व्यवस्था में कुछ बदलाव किये गए. यह कहना अब जरूरी नहीं है कि किसी दूसरे ने श्रेय लिया. कोई बात नहीं, इससे देश का फायदा हुआ.'
उन्होंने विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री को लिखे गये कई और पत्रों का भी उल्लेख किया.
सोनिया ने कहा, 'मैं समझती हूं कि शरद पवार जी भी इस बात को उनके (प्रधानमंत्री) संज्ञान में लाये हैं कि कैसे गृह मंत्री की अगुवाई में नया सहकारिता मंत्रालय राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकार और जिम्मेदारियों में सीधा दखल है. ममता बनर्जी जी और उद्धव ठाकरे जी ने भी गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ टीकों की आपूर्ति में भेदभाव का मुद्दा उठाया है.'
उनके मुताबिक, 'कांग्रेस की ओर से मैंने भी कई मौकों पर लोगों के जीवन पर असर डालने वाले कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा.'
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ संयुक्त आंदोलनों को लेकर विपक्षी नेताओं का एक 'कोरग्रुप' बनाने का प्रस्ताव रखा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलायी गयी विपक्षी दलों की डिजिटल बैठक में शिरकत करते हुए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने विपक्षी नेताओं से मतभेद दूर रखने एवं भाजपा का एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान किया.
एक वरिष्ठ तृणमूल नेता के अनुसार बनर्जी ने बैठक में कहा, 'हम यह भूल जाएं कि नेता कौन है, हम अपने निजी हितों का एक तरफ रख दें. हर विपक्षी दल को साथ लाया जाना चाहिए. लोग नेता हैं. हम एक कोर ग्रुप बनाएं और भावी कार्ययोजना एवं कार्यक्रम पर साथ मिलकर निर्णय लें.'
बनर्जी ने यह मुद्दा भी उठाया कि कैसे 'विपक्ष शासित राज्य सरकारों को बदनाम करने के लिए एनएचआरसी जैसे निष्पक्ष संगठनों का केंद्र सरकार ने दुरूपयेाग किया.'
एक अन्य तृणमूल नेता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने किसानों का मुद्दा एवं विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों का केंद्र के हाथों हो रहे कथित उत्पीड़न का विषय भी उठाया.
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इस बैठक में शामिल हुईं. इस बैठक में कांग्रेस के अलावा 18 पार्टियों के नेता शामिल हुए.
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी शामिल हुए हैं.
बैठक में शामिल पार्टियों की सूची-
- टीएमसी (पश्चिम बंगाल-ममता बनर्जी)
- राकांपा
- डीएमके
- शिवसेना
- झामुमो- (झारखंड- हेमंत सोरेन)
- सीपीआई (सीताराम येचुरी)
- सीपीएम (डी राजा)
- एनसी (नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर)
- राजद (बिहार- तेजस्वी यादव)
- एआईयूडीएफ
- वीसीके (तमिलनाडु)
- लोकतांत्रिक जनता दल (शरद यादव)
- जेडीएस
- रालोद
- आरएसपी
- केरल कांग्रेस मनी
- पीडीपी (जम्मू-कश्मीर- महबूबा मुफ्ती)
- आईयूएमएल
गौरतलब है कि विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के वास्ते एकजुट होने के लिए प्रयासरत हैं ताकि अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से कड़ी चुनौती पेश की जा सके.
हाल ही में संपन्न हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी विवाद, किसान आंदोलन और महंगाई के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता देखने को मिली. इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद के केंद्र बिंदु नजर आए.
सोनिया गांधी के साथ डिजिटल बैठक के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार समेत कई विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया गया है.
सोनिया गांधी ने यह बैठक पेगासस जासूसी विवाद और इसे लेकर संसद के हाल में संपन्न मानसून सत्र में हुए हंगामे को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप के बीच बुलाई है. हालांकि, बैठक का एजेंडा सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि बैठक में विपक्षी दलों के मुद्दों पर चर्चा करने और विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने के तरीकों पर विचार विमर्श होगा.
सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान के हालात और पूर्वोत्तर के कुछ हालिया घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में विपक्षी दल सरकार से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सवाल कर सकते हैं.
ममता बनर्जी ने भी पिछले महीने अपने दिल्ली दौरे में विपक्ष की एकजुटता पर जोर दिया था. तब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करने के साथ-साथ कांग्रेस नेताओं... सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कमलनाथ, आनंद शर्मा और अभिषेक मनु सिंघवी से भी मिली थीं.
यह भी पढ़ें- सोनिया गांधी ने वर्चुअल मीटिंग के लिए कई राज्यों के सीएम को भेजा न्योता
बनर्जी ने दिल्ली दौरे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, द्रमुक नेता कनिमोई से भी मुलाकात की थी. इनके अलावा उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी फोन पर बात की थी.
(एजेंसी इनपुट)