नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने माता-पिता की नौकरी छूटने की वजह से बीच में ही पढ़ाई छोड़ दिए बच्चों के बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) से जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी निर्देश दिया है कि वे उन बच्चों के बारे में जवाब दाखिल करें जो प्रभावित हुए हैं.
न्यायमूर्ति एलएन राव (Justice LN Rao) और न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justice BR Gavai) की पीठ कोविड-19 महामारी में अपने या दोनों माता-पिता / अभिभावकों के खोने के कारण 'सड़क की स्थिति में बच्चों' के संबंध में एक मामले की सुनवाई कर रही थी. अदालत के समक्ष न्याय मित्र द्वारा पेश किए गए मामले में कहा कि उन बच्चों के अलावा, जिन्होंने कोविड में माता-पिता को खो दिया है ऐसे में बड़ी संख्या में इस प्रकार के भी बच्चे हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से पीड़ित हैं जिसकी वजह से इन बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा है. न्याय मित्र ने कहा कि एक कक्षा में एक या दो ड्रॉप आउट होंगे जिनकी पहचान करना शिक्षा विभाग के लिए आसान होगा.
साथ ही उन्होंने कहा कि आठवीं कक्षा तक ऐसे बच्चों की पहचान की जा सकती है क्योंकि शिक्षा का अधिकार 6-14 साल के बच्चों का मौलिक अधिकार है. इस दौरान जस्टिस एलएनराव ने कहा कि राज्य उनके बचाव में क्यों नहीं आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य और अधिकारियों से पूछ सकते हैं और हमें अगले सप्ताह बता सकते हैं. साथ ही जस्टिस राव ने कहा कि इस बारे में राज्यों के वकील भी सुझाव ले सकते हैं और हम यह सुनिश्चित करें कि बच्चों की शिक्षा बंद न हो.
ये भी पढ़ें - एकतरफा तलाक के सभी रूपों को असंवैधानिक घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
इसी क्रम में बाल तस्करी से जुड़ा मामला भी कोर्ट में लाया गया. इस दौरान अंतरराज्यीय बाल तस्करी के मामलों की एक सूची अदालत के समक्ष पेश की गई थी जिसके लिए अदालत ने रजिस्ट्री को उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रारों को सूची प्रेषित करने का निर्देश दिया था, जो बदले में संबंधित सत्र और निचली अदालतों के नोटिस में इसे लाएंगे. इस मामले की सुनवाई अगले साल सितंबर में होगी.