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तत्काल वापस नहीं होगा किसान आंदोलन : राकेश टिकैत - तीन कृषि कानूनों वापस लेने पर प्रतिक्रिया

केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद किसान आंदोलन चलता रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन के जारी रहने की घोषणा की है.

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत
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Published : Nov 19, 2021, 10:34 AM IST

Updated : Nov 19, 2021, 2:10 PM IST

पालघर (महाराष्ट्र) : केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद किसान आंदोलन चलता रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन के जारी रहने की घोषणा की है. उनका कहना है कि जब तक तीन कृषि कानून संसद में रद्द नहीं हो जाते हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

राकेश टिकैत ने साफ किया सरकार किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बात करे. उन्होंने कहा, 'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.'

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत .

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि बिना बात के किसान नहीं लौटेंगे. उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून भी बनाना होगा. तीन कृषि कानून वापस होने को किसान नेता ने इसे किसानों के संघर्ष का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि वह संसद में जाएं और जो भी कार्यवाही है (कृषि कानून वापस लेने की) उसको पूरा करें. आज संयुक्त किसान मौर्चा की बैठक है, उसमें सारी चीजें तय होगीं. हमारी एक कमेटी बनेगी जो अलग-अलग मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेगी. उन्होंने कहा यह किसानों की जीत है जो मरने वाले किसानों के अलावा 750 से अधिक धिक किसानों और इस आंदोलन का हिस्सा बनने वाले आदिवासियों, श्रमिकों, महिलाओं को समर्पित है.

ये भी पढ़ें - सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

इससे पहले केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. पीएम मोदी ने अपने भाषण में एमएसपी को मजबूत बनाने का जिक्र तो किया लेकिन इसको लेकर कानून बनाने पर कोई स्पष्ट बात नहीं की.

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत किया है. हम संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह भारत में एक साल के किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी.

बता दें कि पिछले साल मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून लागू किए थे. पंजाब और हरियाणा के किसानों ने इनका विरोध करते हुए आंदोलन की शुरुआत की और एक साल तक दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन को जमाए रखा. किसानों ने अभी बॉर्डर पर ही जमे रहने का फैसला किया है.

पालघर (महाराष्ट्र) : केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद किसान आंदोलन चलता रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन के जारी रहने की घोषणा की है. उनका कहना है कि जब तक तीन कृषि कानून संसद में रद्द नहीं हो जाते हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

राकेश टिकैत ने साफ किया सरकार किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बात करे. उन्होंने कहा, 'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.'

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत .

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि बिना बात के किसान नहीं लौटेंगे. उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून भी बनाना होगा. तीन कृषि कानून वापस होने को किसान नेता ने इसे किसानों के संघर्ष का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि वह संसद में जाएं और जो भी कार्यवाही है (कृषि कानून वापस लेने की) उसको पूरा करें. आज संयुक्त किसान मौर्चा की बैठक है, उसमें सारी चीजें तय होगीं. हमारी एक कमेटी बनेगी जो अलग-अलग मुद्दों पर भारत सरकार से बात करेगी. उन्होंने कहा यह किसानों की जीत है जो मरने वाले किसानों के अलावा 750 से अधिक धिक किसानों और इस आंदोलन का हिस्सा बनने वाले आदिवासियों, श्रमिकों, महिलाओं को समर्पित है.

ये भी पढ़ें - सरकार का तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान : पीएम मोदी

इससे पहले केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. पीएम मोदी ने अपने भाषण में एमएसपी को मजबूत बनाने का जिक्र तो किया लेकिन इसको लेकर कानून बनाने पर कोई स्पष्ट बात नहीं की.

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत किया है. हम संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेंगे. अगर ऐसा होता है तो यह भारत में एक साल के किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी.

बता दें कि पिछले साल मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून लागू किए थे. पंजाब और हरियाणा के किसानों ने इनका विरोध करते हुए आंदोलन की शुरुआत की और एक साल तक दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन को जमाए रखा. किसानों ने अभी बॉर्डर पर ही जमे रहने का फैसला किया है.

Last Updated : Nov 19, 2021, 2:10 PM IST
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