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Asia and India Book of Records: लॉकडाउन में पूरा किया शौक, बना दिये यह अनोखे रिकार्ड

कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन ने सभी को प्रभावित किया है. लॉकडाउन ने कई घरों को तबाह कर दिया तो कईयों को नये आइडिया भी मिले. इसी दौरान किसी ने एक्सपेरिमेंट किया तो किसी ने अपने शौक पूरे किए.

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Published : May 10, 2022, 7:23 PM IST

Updated : May 10, 2022, 7:49 PM IST

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पुणे: कोरोना काल में प्रयोग करने वालों की फेहरिस्त में पुणे के युवक नितिन भोइते का भी नाम शामिल है. जिन्होंने अपने शौक से एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स व इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया है. नितिन ने देश भर के 1000 किलों का दौरा किया और वहां के तरह-तरह के पत्थरों को इकट्ठा किया है. उनका यह शौक एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया.

ऐसे शुरू हुआ नितिन का शौक: कोरोना की वजह से लगाए गए पहले लॉकडाउन में सब बंद था. सारा कारोबार ठप हो गया था. कोई बाहर नहीं निकल सकता था. ऐसे में नितिन ट्रेकिंग करते और बाहर घूमने जाया करते थे. नितिन दुविधा में थे कि क्या करें और क्या न करें. दूसरे लॉकडाउन के बाद कुछ छूट दी गई. इसलिए उन्होंने फैसला किया कि उन्हें वास्तव में जो करना है, जो सीखना है, इसे सही तरीके से कैसे किया जाए. तब उन्होंने किलों में जाने का विचार किया और वहां से पत्थर लाने का भी निश्चय किया. तभी से उनका शौक शुरू हो गया.

10 राज्यों में घूमे: 12 दिसंबर 2020 से उन्होंने अलग-अलग पत्थरों को इकट्ठा किया. प्रत्येक किले का भ्रमण करने के बाद नितिन विभिन्न प्रकार के पत्थरों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें अपने साथ लाते हैं. लॉकडाउन में नितिन उन किलों में गए जहां जाने की अनुमति रही. नितिन किलों में गए और पत्थरों को इकट्ठा किया. महाराष्ट्र के अलावा नितिन ने कर्नाटक, गोवा, राजस्थान, दमन व दीव, गुजरात, यूपी, एमपी, हरियाणा जैसे दस राज्यों के किलों तक पहुंचे.

यह भी पढ़ें- भारतीय रेल ने शुरू की 'बेबी बर्थ', जानिए क्या करना होगा

किलों को संरक्षण की जरुरत: भोइते ने कहा कि हमारी पीढ़ी ने किले देखे हैं और हमारी अगली पीढ़ी मिट्टी के टीले देखेगी. किले पर नितिन भोइते द्वारा एकत्र किए गए पत्थरों को एशिया बुक में एक रिकॉर्ड और इंडिया बुक में दो के रूप में दर्ज किया गया है. इन पत्थरों को संरक्षित किया जाएगा. भोइते ने कहा कि इसके लिए एक संस्था का गठन किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इससे लोगों में किलों के प्रति आकर्षण पैदा होगा.

पुणे: कोरोना काल में प्रयोग करने वालों की फेहरिस्त में पुणे के युवक नितिन भोइते का भी नाम शामिल है. जिन्होंने अपने शौक से एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स व इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया है. नितिन ने देश भर के 1000 किलों का दौरा किया और वहां के तरह-तरह के पत्थरों को इकट्ठा किया है. उनका यह शौक एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया.

ऐसे शुरू हुआ नितिन का शौक: कोरोना की वजह से लगाए गए पहले लॉकडाउन में सब बंद था. सारा कारोबार ठप हो गया था. कोई बाहर नहीं निकल सकता था. ऐसे में नितिन ट्रेकिंग करते और बाहर घूमने जाया करते थे. नितिन दुविधा में थे कि क्या करें और क्या न करें. दूसरे लॉकडाउन के बाद कुछ छूट दी गई. इसलिए उन्होंने फैसला किया कि उन्हें वास्तव में जो करना है, जो सीखना है, इसे सही तरीके से कैसे किया जाए. तब उन्होंने किलों में जाने का विचार किया और वहां से पत्थर लाने का भी निश्चय किया. तभी से उनका शौक शुरू हो गया.

10 राज्यों में घूमे: 12 दिसंबर 2020 से उन्होंने अलग-अलग पत्थरों को इकट्ठा किया. प्रत्येक किले का भ्रमण करने के बाद नितिन विभिन्न प्रकार के पत्थरों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें अपने साथ लाते हैं. लॉकडाउन में नितिन उन किलों में गए जहां जाने की अनुमति रही. नितिन किलों में गए और पत्थरों को इकट्ठा किया. महाराष्ट्र के अलावा नितिन ने कर्नाटक, गोवा, राजस्थान, दमन व दीव, गुजरात, यूपी, एमपी, हरियाणा जैसे दस राज्यों के किलों तक पहुंचे.

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किलों को संरक्षण की जरुरत: भोइते ने कहा कि हमारी पीढ़ी ने किले देखे हैं और हमारी अगली पीढ़ी मिट्टी के टीले देखेगी. किले पर नितिन भोइते द्वारा एकत्र किए गए पत्थरों को एशिया बुक में एक रिकॉर्ड और इंडिया बुक में दो के रूप में दर्ज किया गया है. इन पत्थरों को संरक्षित किया जाएगा. भोइते ने कहा कि इसके लिए एक संस्था का गठन किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इससे लोगों में किलों के प्रति आकर्षण पैदा होगा.

Last Updated : May 10, 2022, 7:49 PM IST

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