नई दिल्ली : मुल्ला बरादर अफगानिस्तान की नई सरकार के मुखिया होंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का नेतृत्व करेंगे. समाचार एजेंसी एएनआई ने रॉयटर्स के हवाले से इस संबंध में खबर दी. इसमें कहा गया, 'इस्लामी समूह के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला बरादर जल्द ही घोषित होने वाली नई अफगान सरकार का नेतृत्व करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि बरादर ने पंजशीर घाटी में विद्रोही लड़ाकों से लड़ाई लड़ी और आर्थिक पतन को रोकने का प्रयास किया.'
हालांकि, समाचार एजेंसी पीटीआई ने गुरुवार को खबर दी थी कि तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा (Mullah Hebatullah Akhundzada) को अफगानिस्तान का सर्वोच्च नेता बनाया जाएगा. पीटीआई की खबर के मुताबिक तालिबान अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर नई सरकार का गठन करेगा. गुरुवार तो तालिबान समूह के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा था कि तालिबान सरकार की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार है.
काबुल में राष्ट्रपति आवास विरोध प्रदर्शन
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में राष्ट्रपति आवास के बाहर एकत्रित हुए कुछ प्रदर्शनकारियों ने देश के नए तालिबान नेतृत्व से पश्चिमी संरक्षण के तहत दिए महिलाओं के अधिकारों को बरकरार रखने और आगामी सरकार में महिलाओं को भी जगह देने का अनुरोध किया.
राष्ट्रपति आवास के एक द्वार पर शुक्रवार को करीब 12 महिलाओं ने छोटे पोस्टर ले रखे थे जिन पर अनुरोध किया गया था, 'महिलाओं की उपस्थिति के साथ एक साहसी मंत्रिमंडल'. प्रदर्शनकारियों ने मानवाधिकारों की मांग करते हुए नारे लगाए और कहा कि वे अतीत में लौटना नहीं चाहतीं.
प्रदर्शनकारियों द्वारा जारी किए एक दस्तावेज में मांग की गयी है कि अफगान महिलाओं को शिक्षा, देश के भविष्य में सामाजिक और राजनीतिक योगदान का अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी समेत सामान्य स्वतंत्रताएं दी जाएं.
इससे पहले बुधवार को तालिबान के 'सूचना एवं संस्कृति आयोग' के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्ला समांगनी ने कहा था, 'नई सरकार बनाने पर बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा हुई.' उन्होंने कहा कि अगले तीन दिन में काबुल में नई सरकार बनाने के लिए समूह पूरी तरह तैयार है.
सूत्रों ने जानकारी दी है कि मुल्ला बरादर के साथ सरकार में मोहम्मद याकूब और शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकेजई भी शामिल होंगे. दो दिन पहले भारतीय राजदूत ने स्टेनिकजई से मुलाकात की थी. याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है.
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नई सरकार में 60 वर्षीय मुल्ला अखुंदजादा तालिबान सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे. ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है. उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है. देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सर्वोच्च नेता का निर्णय अंतिम होता है.
बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) के बीच एक अहम घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की.
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प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए. इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.
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इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा था. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.
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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.
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गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.