भोपाल। देश में समान नागरिक संहित लागू करने को लेकर केन्द्र सरकार अभी भले ही विचार कर रही हो, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने इसको लेकर एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया है (uniform civil code in mp). अगर ऐसा हुआ तो उत्तराखंड के बाद मध्यप्रदेश दूसरा राज्य होगा. उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित कमेटी द्वारा ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. इसको लेकर जल्द ही लोगों के सुझाव मांगे जाएंगे. सीएम ने मंच ने कहा कि वे इस कानून के पक्ष में हैं. एक देश में दो विधान नहीं चलना चाहिए.
बड़वानी में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे सीएम: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पेसा एक्ट लागू होने के बाद बड़वानी में आयोजित पेसा एक्ट जागरूकता कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा प्रदेश में आदिवासियों के नाम पर कई बार बड़े खेल होते हैं. जो लोग अपने नाम जमीन नहीं ले सकते, वे आदिवासियों के नाम से जमीन ले लेते हैं. कई बार तो आदिवासी की बेटी से शादी करके जमीन उसके नाम से ले लेते हैं. सीएम ने कहा मैं देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्षधर हूं (uniform civil code in mp), क्योंकि एक से ज्यादा शादी क्यों कोई करे. एक देश में दो विधान क्यों चले. इसलिए मध्यप्रदेश में एक कमेटी का गठन किया जा रहा है ( committee will be formed in mp). सीएम ने कहा कि समान नागरिक संहिता एक पत्नी रखने का अधिकार है तो एक ही पत्नी सबके लिए होनी चाहिए.
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उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य होगा एमपी: समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा कदम उठाने के मामले में मध्यप्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य होगा. उत्ताखंड सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की थी (uniform civil code law in uttarakhand) और सत्ता में आने के बाद उत्ताखंड की पुष्कर धामी सरकार ने कॉमन सिविल कोड को लेकर कमेटी गठित की थी. बताया जा रहा है कि कमेटी ने ड्राफ्ट लगभग फाइनल कर लिया है और इस पर जल्द ही लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे. उधर अब उत्ताखंड की बीजेपी सरकार के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसके लिए कमेटी गठित करने का ऐलान किया है.
क्या है समान नागरिक संहिता: पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई के दौरान देश में समान नागरिक संहिता (uniform civil code) लागू करने की वकालत की थी. केन्द्र सरकार से इस दिशा में समुचित कदम उठाने के लिए कहा था. समान नागरिक संहिता का मतलब धर्म, समाज और वर्ग से ऊपर उठकर पूरे देश में एक समान कानून लागू करना है. इसके लागू हो जाने से पूरे देश में शादी, तलाक, उत्ताधिकार और गोद लेने जैसे तमाम सामाजिक मुद्दे सभी एक समान कानून के अंतर्गत आ जाते हैं. इसमें धर्म के आधार पर अलग से कोई कानूनी व्यवस्था नहीं होती.