सागर। बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में देवों के देव महादेव का भूतेश्वर मंदिर स्थित है, जो काफी प्राचीन और ऐतिहासिक है. इस ऐतिहासिक मंदिर का जीर्णोद्धार सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर किया जा रहा है. मंदिर ट्रस्ट करीब पांच करोड़ की लागत से मंदिर का जीर्णोद्धार कर रहा है. खास बात ये है कि मंदिर में वो ही पत्थर उपयोग किया जा रहे हैं, जिन पत्थरों का उपयोग अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के लिए किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त तय हो जाने के बाद सागर के भूतेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य इसलिए रोक दिया गया. क्योंकि राममंदिर में पत्थरों की कमी ना हो जाए. हालांकि मंदिर प्रबंधन ने भले ही फिलहाल काम रोक दिया हो, लेकिन अयोध्या की सप्लाई पूरी होते ही सागर पत्थर आना शुरू हो जाएगा और फिर काम शुरू हो जाएगा.
जयपुर से आ रहा है मंदिर के लिए लाल पत्थर: भूतेश्वर मंदिर के प्रमुख ट्रस्टी पंडित वीरेन्द्र पाठक बताते हैं कि ''मंदिर का काम फिलहाल हमनें बंद कर दिया है, क्योंकि हम जयपुर से मंदिर निर्माण के लिए लाल पत्थर ला रहे थे और यही पत्थर अयोध्या में बन रहे रामलला के मंदिर के लिए भी जा रहे हैं. मंदिर की तारीख तय होने पर अयोध्या में मंदिर निर्माण समय पर पूरा करने के लिए लाल पत्थरों की मांग ज्यादा बढ़ गयी. हमें इसकी जानकारी लगी, तो हमनें खुद जयपुर से फिलहाल पत्थर मंगाना बंद कर दिए हैं. हमें सूचना मिली है कि कुछ दिनों में फिर पत्थर आना शुरू हो जाएगा. हालांकि पहले से आया कुछ लाल पत्थर अभी हमारे पास है, लेकिन मंदिर की कार्ययोजना के हिसाब से हमें और लाल पत्थर की जरूरत है. इसलिए हमनें मंदिर का काम फिलहाल बंद कर दिया था, जो अब जल्द शुरू हो जाएगा.''
सागर का इकलौता दक्षिण मुखी शिवलिंग: भूतेश्वर मंदिर शहर का एकमात्र दक्षिण मुखी शिवलिंग वाला मंदिर है. करीब पांच एकड़ परिसर में फैला ये मंदिर करीब 4 सौ साल पुराना है. कहा जाता है कि जहां आज मंदिर है, वहां पहले एक विशाल बाजार भरा करता था और दूर-दूर के व्यापारी यहां व्यावसाय करने आते थे. कहा जाता है कि एक व्यापारी जब रात में सो रहा था, तो उसे भगवान शिव ने दर्शन दिए और मंदिर परिसर में खुदाई करने को कहा. व्यापारी के बताई जगह पर खुदाई करने पर एक शिवलिंग निकला, जिसे वहीं विधि विधान से स्थापित कर दिया गया. फिर मंदिर निर्माण शुरू किया गया. भूतेश्वर बाबा का शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है. इसके अलावा मंदिर में संत परमहंस मस्तराम की समाधि, अन्नपूर्णा माता, हरसिद्धि माता, राम लक्ष्मण और सीता का मंदिर है.
कैसा होगा भूतेश्वर मंदिर का निर्माण: श्री भूतेश्वर देवस्थानम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित वीरेन्द्र पाठक का कहना है कि ''मंदिर का परिसर करीब पांच एकड़ है जो भक्तों की संख्या के हिसाब से काफी छोटा है. सोमवार के दिन और भगवान शिव से जुडे त्योहारों के समय पर भीड़ के कारण काफी समस्या हो जाती है. इसलिए मंदिर में भक्तों की सुविधाओं को ध्यान रखते हुए मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना बनायी गयी है. इस योजना के तहत मंदिर का परिसर पांच गुना बढ जाएगा. परिसर में करीब 5500 वर्गफीट में मंदिर का निर्माण किया जाएगा. मंदिर की ऊंचाई 51 फीट तय की गयी है. इसके अलावा लंबाई 101 और चौडाई 51 फीट रहेगी. मंदिर का गर्भगृह काफी छोटा है. यहां शिवलिंग पर पूजापाठ करने और जल अर्पित करने में त्यौहार के समय भक्तों को काफी दिक्कत होती है. इसलिए मंदिर का गर्भगृह 20×20 का बनाया जाएगा. ऐसी व्यवस्था तैयार की जाएगी कि एक बार में करीब 15 सौ श्रृद्धालु दर्शन कर सकेंगे. मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत पांच करोड़ है, जो भविष्य में बढ़ सकती है.''
सोमनाथ मंदिर बनाने वाले को परिजन बनाएंगे मंदिर: इस मंदिर के निर्माण में उन्ही कारीगरों को बुलाया गया है, जिनके पूर्वज या जिन कारीगरों ने सोमनाथ मंदिर के निर्माण में काम किया है. ज्यादातर कारीगर गुजरात और राजस्थान के रहने वाले हैं. इन कारीगरों की खास बात ये है कि ये सिर्फ मंदिर निर्माण का कार्य करते हैं और पत्थर के काम में इनको महारत हासिल है. फिलहाल काम रुकने के कारण कारीगर अपने घर चले गए हैं और उनको वापिस आने के लिए मंदिर ट्रस्ट ने संदेश भेज दिया है.
क्या कहना है ट्रस्ट का: श्री भूतेश्वर देवस्थानम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित वीरेन्द्र पाठक बताते हैं कि ''हमनें पिछले साल से मंदिर के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया था और हम जयपुर से लाल पत्थर बुलाकर मंदिर का निर्माण कर रहे हैं. इसी पत्थर से अयोध्या के मंदिर का निर्माण हो रहा है. लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा राम मंदिर के लोकार्पण की तिथि तय करने के बाद जल्द मंदिर निर्माण पूरा करने के लिए राजस्थान के लाल पत्थर की सभी खदानों का पत्थर अयोध्या भेजे जाने लगा और जब हमें जानकारी मिली, तो हमने खुद तय किया कि हम राम मंदिर के निर्माण तक यहां काम रोक देते हैं. हमें अभी सूचना मिली है कि अयोध्या में जितने पत्थर की जरूरत है, उसकी सप्लाई पूरी होते ही पत्थर आना शुरू हो जाएगा. इसलिए हमनें फिर निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है और पत्थर आने पर काम शुरू हो जाएगा. मंदिर में भक्तों की सुविधा को ध्यान रखते हुए जीर्णोद्धार किया जा रहा है. सीमेंट की उम्र 100 साल से ज्यादा ना होने के कारण हम पूरा निर्माण पत्थरों से कराएंगे.''