ETV Bharat / bharat

MP: ग्वालियर-चंबल में प्रसाद की तरह बंटता है बंदूकों का लाइसेंस, गोलियों से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन?

author img

By

Published : May 6, 2023, 8:18 PM IST

Updated : May 7, 2023, 12:04 PM IST

ग्वालियर-चंबल अंचल इन दिनों सुर्खियों में है क्योंकि चंबल के मुरैना जिले में आपसी रंजिश के चलते एक परिवार ने दूसरे परिवार के 6 सदस्यों को गोलियों से भून डाला. अक्सर चंबल इलाके में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं. यहां पर मामूली विवाद पर लोग अपने घरों से बंदूक निकाल कर ले आते हैं. यही कारण है कि चंबल में हर घर में मौजूद लाइसेंसी बंदूकों से हर साल सैकड़ों मौतें होती हैं. अब सवाल यह है कि चंबल में आखिर लाइसेंसी बंदूकों से हो रही मौतों का जिम्मेदार कौन है?

gun licenses distributed in Gwalior Chambal
एमपी बंदूक लाइसेंस वितरण
एमपी बंदूक लाइसेंस वितरण पर नेताओं की राय

ग्वालियर। पूरे मध्यप्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल एक ऐसा इलाका है जहां पर बंदूक को एक स्टेटस सिंबल के रूप में माना जाता है यहां के लोगों के कंधे पर जब तक लाइसेंसी बंदूक नहीं टगी होती है तब तक वह अपने आपको हीन भावना से देखता है. यही कारण है कि यहां के लोग बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए कुछ भी हद तक कर गुजरते हैं और तो और विधायक मंत्री से लेकर सरकार के बड़े नेताओं के यहां जाकर लाइसेंस बनवाने के लिए जुगाड़ लगाते हैं. यही कारण है कि चंबल इलाके में लगभग हर घर में आपको बंदूक जरूर मिलेगी और तो और 30 फीसदी घर ऐसे हैं जहां पर परिवार के हर सदस्य के पास लाइसेंसी बंदूक मौजूद है. अंचल में बंदूकों के लाइसेंस प्रसाद की तरह बांटे जाते हैं?

gun licenses distributed in Gwalior Chambal
बंदूकों का लाइसेंस

माननीयों की अनुशंसा पर लाइसेंस: मध्य प्रदेश में आगामी समय विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इस समय ग्वालियर चंबल अंचल के माननीय भी इसका भरपूर फायदा उठाते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में माननीय अपने वोट बैंक के लिए लोगों को बंदूक लाइसेंस के लिए अनुशंसा करते हैं इसके साथ ही यहां के लोग मोटी रिश्वत देकर भी शस्त्र लाइसेंस बनवाते हैं. यहां के नेताओं को भी पता है कि अंचल में मौजूद लोग सबसे ज्यादा बंदूक का लाइसेंस बनवाने की अनुशंसा करते हैं. इसलिए चुनाव के समय जिला प्रशासन के पास हजारों की संख्या में शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन पहुंचते हैं और इन आवेदनों की अनुशंसा खुद यहां के विधायक, मंत्री करते हैं. इसलिए लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में लाइसेंसी बंदूक की संख्या मध्य प्रदेश में सबसे अधिक है और यही लाइसेंसी बंदूक अब मौत का कारण भी बनती जा रही है.

  1. MP में सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल-अंचल में लाइसेंसी बंदूकें
  2. स्टेटस सिंबल के रूप में कंधे पर लटकाते हैं बंदूकें
  3. लगभग हर घर में लाइसेंसी बंदूक मौजूद
  4. शादियों में बंदूक से दिखाते हैं स्टेटस सिंबल
  5. शादियों में ताबड़तोड़ फायरिंग करने का क्रेज
  6. हर्ष फायरिंग के दौरान अक्सर होती है मौतें

विकास नहीं बंदूक प्रथमिकता: ग्वालियर चंबल अंचल में हालात यह है कि यहां के लोग विधायक मंत्रियों से बिजली पानी सड़क के लिए गुहार नहीं लगाते हैं बल्कि सबसे ज्यादा यहां शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए माननीयों के पास पहुंचते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में ग्वालियर, मुरैना और भिंड सबसे ऊपर है. यहां के लोग सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस बनवाने में भोपाल और दिल्ली तक पहुंचते हैं और ऐसे में अब चुनाव नजदीक है तो सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदन जिला प्रशासन के पास पहुंचने लगे हैं और सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदन ग्वालियर, मुरैना, भिंड और दतिया जिला आगे है.

gun licenses distributed in Gwalior Chambal
प्रसाद की तरह बंटता है बंदूकों का लाइसेंस

बीहड़ इलाकों में बंदूकें ही बंदूकें: ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंसों की संख्या को लेकर बात करते हैं. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस मौजूद है. अंचल के ग्वालियर जिले में लगभग 39 हजार शस्त्र लाइसेंस मौजूद है तो वहीं मुरैना जिले में 30 हजार, भिंड जिले में 24 हजार और दतिया जिले में 12 हजार लाइसेंस बंदूकों की संख्या है. इसके साथ ही अंचल के दूसरे जिलों में शस्त्र लाइसेंस बंदूकों की संख्या 5 से 10 हजार तक है. यहां पर हर साल जिला पुलिस प्रशासन के पास लगभग 2 से 4 हजार तक शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन पहुंचते हैं और इन आवेदनों पर अधिकतर विधायक, मंत्री या किसी बड़े नेता की अनुशंसा होती है. इसके साथ ही पुलिस प्रशासन के पास बंदूकों के लाइसेंस बनवाने के लिए कई माननीयों की फोन भी पहुंचते हैं और वह लाइसेंस बनवाने के लिए व्यक्तिगत अधिकारी को फोन लगाकर उसकी अनुशंसा भी करवाते हैं.

  1. ग्वालियर, मुरैना, भिंड और दतिया में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस
  2. ग्वालियर में लगभग 39,000 शस्त्र लाइसेंस
  3. मुरैना में 30,000, भिंड में 24,000
  4. दतिया में लगभग 12,000 है लाइसेंसी बंदूक
  5. चुनावी मौसम में लाइसेंस बनवाने की मचती है होड़
  6. चुनाव के समय वोट बैंक बनाने की होती है लालसा
  7. माननीय भी करते हैं शस्त्र लाइसेंस के लिए अनुशंसा

ऐसे बनता है बंदूकों का लाइसेंस: अब हम आपको बताते हैं कि शस्त्र लाइसेंस बंदूक बनवाने के लिए ग्वालियर चंबल अंचल के लोग किस तरह एड़ी और चोटी का जोर लगाते हैं. सबसे पहले ग्वालियर चंबल अंचल के लोग शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं जिसमें पिस्टल, 12 बोर बंदूक और राइफल के लाइसेंस शामिल होते हैं. जैसे ही लाइसेंस बनवाने का आवेदन ऑनलाइन होता है तो उसके बाद यहां से एप्रोच की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. यहां के लोग पुलिस से अनुशंसा कराने के लिए स्थानीय विधायक या मंत्रियों के चक्कर काटते हैं और जिस आवेदक की एप्रोच माननीय तक होती है उसका आवेदन जिले में पुलिस विभाग से अनुशंसा होकर प्रशासन तक पहुंचता है और उसके बाद यही प्रक्रिया अपनाई जाती है और उसके बाद धीरे-धीरे माननीय की कृपा से यह शस्त्र लाइसेंस आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाइसेंस बन कर तैयार हो जाता है. सबसे खास बात यह है कि जिस व्यक्ति के पास कोई एप्रोच नहीं होती है वह अपने पैसों के दम पर शस्त्र लाइसेंस बनवाता है. अंचल में कई ऐसे ठेकेदार हैं जो सीधे लाइसेंस बनवाने का ठेका लेते हैं और उसके बाद शस्त्र लाइसेंस बंदूक उनके पास आ जाती है. मतलब छानबीन की कोई प्रक्रिया नहीं होती है कहावत है "पैसा फेंको तमाशा देखो" यह पूरी तरह सिद्ध होती नजर आती है.

  1. जर, जोरू और जमीन का रण है चंबल, जरा सी बात पर यहां चल जाती हैं गोलियां
  2. पान सिंह तोमर के इलाके में फिर जमीन के लिए बहता खून... बस ये रील नहीं रीयल सीन है
  3. खून का बदला खून: डाकू पान सिंह तोमर के गांव में 6 लोगों की हत्या, ताबड़तोड़ चली गोलियां

अधिक बंदूकें-अधिक मौतें: ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस बंदूके होने के कारण यहां पर अब मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ने लगी है. हालात यह है चंबल अंचल में मामूली विवाद को लेकर हर व्यक्ति अपने घर से लाइसेंसी बंदूक निकाल कर ले आता है और सामने वाले व्यक्ति का सीना छलनी कर देता है. इसलिए हर साल ग्वालियर चंबल अंचल में सैकड़ों मौतें इन लाइसेंसी बंदूकों से हो रहीं है. इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल में जो शादियां होती है उनमे भी लाइसेंसी बंदूक से मौत का मंजर कई बार देखा जाता है यहां की शादियों में हर्ष फायरिंग के दौरान मौतें होती रहती है.

लाइसेंस देने से पहले प्रशासन करे जांच: चंबल अंचल में लगातार बढ़ रहे लाइसेंस को लेकर बीजेपी के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि ये बात सही है कि अंचल में लगातार लाइसेंस का क्रेज है और यह क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. कई प्रकार के नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं. उनका कहना है कि यह बात सही है कि यहां के लोग नेताओं के पास लाइसेंस बनवाने के लिए आते हैं और वह अनुशंसा कर देते हैं लेकिन यह प्रशासन को देखना चाहिए कि बात इसको जरूरत है या नहीं. वहीं इसको लेकर कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि अंचल में लगातार लाइसेंसी बंदूक बढ़ने के कारण हर साल बेवजह मौतें भी होती है प्रशासन और यहां के नेताओं को इन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहिए.

एमपी बंदूक लाइसेंस वितरण पर नेताओं की राय

ग्वालियर। पूरे मध्यप्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल एक ऐसा इलाका है जहां पर बंदूक को एक स्टेटस सिंबल के रूप में माना जाता है यहां के लोगों के कंधे पर जब तक लाइसेंसी बंदूक नहीं टगी होती है तब तक वह अपने आपको हीन भावना से देखता है. यही कारण है कि यहां के लोग बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए कुछ भी हद तक कर गुजरते हैं और तो और विधायक मंत्री से लेकर सरकार के बड़े नेताओं के यहां जाकर लाइसेंस बनवाने के लिए जुगाड़ लगाते हैं. यही कारण है कि चंबल इलाके में लगभग हर घर में आपको बंदूक जरूर मिलेगी और तो और 30 फीसदी घर ऐसे हैं जहां पर परिवार के हर सदस्य के पास लाइसेंसी बंदूक मौजूद है. अंचल में बंदूकों के लाइसेंस प्रसाद की तरह बांटे जाते हैं?

gun licenses distributed in Gwalior Chambal
बंदूकों का लाइसेंस

माननीयों की अनुशंसा पर लाइसेंस: मध्य प्रदेश में आगामी समय विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इस समय ग्वालियर चंबल अंचल के माननीय भी इसका भरपूर फायदा उठाते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में माननीय अपने वोट बैंक के लिए लोगों को बंदूक लाइसेंस के लिए अनुशंसा करते हैं इसके साथ ही यहां के लोग मोटी रिश्वत देकर भी शस्त्र लाइसेंस बनवाते हैं. यहां के नेताओं को भी पता है कि अंचल में मौजूद लोग सबसे ज्यादा बंदूक का लाइसेंस बनवाने की अनुशंसा करते हैं. इसलिए चुनाव के समय जिला प्रशासन के पास हजारों की संख्या में शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन पहुंचते हैं और इन आवेदनों की अनुशंसा खुद यहां के विधायक, मंत्री करते हैं. इसलिए लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में लाइसेंसी बंदूक की संख्या मध्य प्रदेश में सबसे अधिक है और यही लाइसेंसी बंदूक अब मौत का कारण भी बनती जा रही है.

  1. MP में सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल-अंचल में लाइसेंसी बंदूकें
  2. स्टेटस सिंबल के रूप में कंधे पर लटकाते हैं बंदूकें
  3. लगभग हर घर में लाइसेंसी बंदूक मौजूद
  4. शादियों में बंदूक से दिखाते हैं स्टेटस सिंबल
  5. शादियों में ताबड़तोड़ फायरिंग करने का क्रेज
  6. हर्ष फायरिंग के दौरान अक्सर होती है मौतें

विकास नहीं बंदूक प्रथमिकता: ग्वालियर चंबल अंचल में हालात यह है कि यहां के लोग विधायक मंत्रियों से बिजली पानी सड़क के लिए गुहार नहीं लगाते हैं बल्कि सबसे ज्यादा यहां शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए माननीयों के पास पहुंचते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में ग्वालियर, मुरैना और भिंड सबसे ऊपर है. यहां के लोग सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस बनवाने में भोपाल और दिल्ली तक पहुंचते हैं और ऐसे में अब चुनाव नजदीक है तो सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदन जिला प्रशासन के पास पहुंचने लगे हैं और सबसे ज्यादा शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदन ग्वालियर, मुरैना, भिंड और दतिया जिला आगे है.

gun licenses distributed in Gwalior Chambal
प्रसाद की तरह बंटता है बंदूकों का लाइसेंस

बीहड़ इलाकों में बंदूकें ही बंदूकें: ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंसों की संख्या को लेकर बात करते हैं. मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस मौजूद है. अंचल के ग्वालियर जिले में लगभग 39 हजार शस्त्र लाइसेंस मौजूद है तो वहीं मुरैना जिले में 30 हजार, भिंड जिले में 24 हजार और दतिया जिले में 12 हजार लाइसेंस बंदूकों की संख्या है. इसके साथ ही अंचल के दूसरे जिलों में शस्त्र लाइसेंस बंदूकों की संख्या 5 से 10 हजार तक है. यहां पर हर साल जिला पुलिस प्रशासन के पास लगभग 2 से 4 हजार तक शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन पहुंचते हैं और इन आवेदनों पर अधिकतर विधायक, मंत्री या किसी बड़े नेता की अनुशंसा होती है. इसके साथ ही पुलिस प्रशासन के पास बंदूकों के लाइसेंस बनवाने के लिए कई माननीयों की फोन भी पहुंचते हैं और वह लाइसेंस बनवाने के लिए व्यक्तिगत अधिकारी को फोन लगाकर उसकी अनुशंसा भी करवाते हैं.

  1. ग्वालियर, मुरैना, भिंड और दतिया में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस
  2. ग्वालियर में लगभग 39,000 शस्त्र लाइसेंस
  3. मुरैना में 30,000, भिंड में 24,000
  4. दतिया में लगभग 12,000 है लाइसेंसी बंदूक
  5. चुनावी मौसम में लाइसेंस बनवाने की मचती है होड़
  6. चुनाव के समय वोट बैंक बनाने की होती है लालसा
  7. माननीय भी करते हैं शस्त्र लाइसेंस के लिए अनुशंसा

ऐसे बनता है बंदूकों का लाइसेंस: अब हम आपको बताते हैं कि शस्त्र लाइसेंस बंदूक बनवाने के लिए ग्वालियर चंबल अंचल के लोग किस तरह एड़ी और चोटी का जोर लगाते हैं. सबसे पहले ग्वालियर चंबल अंचल के लोग शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं जिसमें पिस्टल, 12 बोर बंदूक और राइफल के लाइसेंस शामिल होते हैं. जैसे ही लाइसेंस बनवाने का आवेदन ऑनलाइन होता है तो उसके बाद यहां से एप्रोच की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. यहां के लोग पुलिस से अनुशंसा कराने के लिए स्थानीय विधायक या मंत्रियों के चक्कर काटते हैं और जिस आवेदक की एप्रोच माननीय तक होती है उसका आवेदन जिले में पुलिस विभाग से अनुशंसा होकर प्रशासन तक पहुंचता है और उसके बाद यही प्रक्रिया अपनाई जाती है और उसके बाद धीरे-धीरे माननीय की कृपा से यह शस्त्र लाइसेंस आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद लाइसेंस बन कर तैयार हो जाता है. सबसे खास बात यह है कि जिस व्यक्ति के पास कोई एप्रोच नहीं होती है वह अपने पैसों के दम पर शस्त्र लाइसेंस बनवाता है. अंचल में कई ऐसे ठेकेदार हैं जो सीधे लाइसेंस बनवाने का ठेका लेते हैं और उसके बाद शस्त्र लाइसेंस बंदूक उनके पास आ जाती है. मतलब छानबीन की कोई प्रक्रिया नहीं होती है कहावत है "पैसा फेंको तमाशा देखो" यह पूरी तरह सिद्ध होती नजर आती है.

  1. जर, जोरू और जमीन का रण है चंबल, जरा सी बात पर यहां चल जाती हैं गोलियां
  2. पान सिंह तोमर के इलाके में फिर जमीन के लिए बहता खून... बस ये रील नहीं रीयल सीन है
  3. खून का बदला खून: डाकू पान सिंह तोमर के गांव में 6 लोगों की हत्या, ताबड़तोड़ चली गोलियां

अधिक बंदूकें-अधिक मौतें: ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस बंदूके होने के कारण यहां पर अब मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ने लगी है. हालात यह है चंबल अंचल में मामूली विवाद को लेकर हर व्यक्ति अपने घर से लाइसेंसी बंदूक निकाल कर ले आता है और सामने वाले व्यक्ति का सीना छलनी कर देता है. इसलिए हर साल ग्वालियर चंबल अंचल में सैकड़ों मौतें इन लाइसेंसी बंदूकों से हो रहीं है. इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल में जो शादियां होती है उनमे भी लाइसेंसी बंदूक से मौत का मंजर कई बार देखा जाता है यहां की शादियों में हर्ष फायरिंग के दौरान मौतें होती रहती है.

लाइसेंस देने से पहले प्रशासन करे जांच: चंबल अंचल में लगातार बढ़ रहे लाइसेंस को लेकर बीजेपी के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि ये बात सही है कि अंचल में लगातार लाइसेंस का क्रेज है और यह क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. कई प्रकार के नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं. उनका कहना है कि यह बात सही है कि यहां के लोग नेताओं के पास लाइसेंस बनवाने के लिए आते हैं और वह अनुशंसा कर देते हैं लेकिन यह प्रशासन को देखना चाहिए कि बात इसको जरूरत है या नहीं. वहीं इसको लेकर कांग्रेस के विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि अंचल में लगातार लाइसेंसी बंदूक बढ़ने के कारण हर साल बेवजह मौतें भी होती है प्रशासन और यहां के नेताओं को इन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहिए.

Last Updated : May 7, 2023, 12:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.