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MP निर्वाचन अधिकारियों की 8 लाख मतदाताओं पर नजर, वोटर्स के घर वापसी की मिली जिम्मेदारी

EC Preparation Bring Voters Back To MP: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने और लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने अलग-अलग पहल कर रहा है. अब चुनाव आयोग की नजर उन मतदाताओं पर है, जो प्रदेश से बाहर हैं. उन्हें वापस बुलाने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को सौंपी है. पढ़िए भोपाल से संवाददाता बृजेंद्र पटेरिया की यह रिपोर्ट...

EC initiative to increase voting percentage in MP
वोट के वास्त
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 9, 2023, 7:35 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव अधिकारी की निगाह अब उन मजदूरों और युवाओं पर है, जो कामकाज और पढ़ाने के लिए क्षेत्र से बाहर हैं. ऐसे मजदूरों और युवाओं की संख्या 8 लाख के करीब है. जिन्हें मतदान के दिन बुलाने के लिए चुनाव अधिकारियों को पसीना बहाना पड़ रहा है. इसके लिए चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे युवाओं और मजदूरों को वोट डलवाने के लिए जिला अधिकारियों का व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए हैं, ताकि दीपावली पर आने वाले युवाओं और मजदूरों को मतदान तक रोका जा सके.

करीब 8 लाख युवाओं और मजदूरों पर फोकस: प्रदेश के बुंदेलखंड, ग्वालियर चंबल और आदिवासी अंचल से बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन कर दूसरे राज्यों में काम के लिए जाते हैं. चुनाव आयोग प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए ऐसे श्रमिकों पर खास फोकस कर रहा है. यह श्रमिक मतदान के दिन तक अपने गांव में रूकें और मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें, इसके लिए चुनाव आयोग ने प्रदेश से सटे राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीगढ़ और महाराष्ट्र राज्य को पत्र लिखा है. जिसमें कहा है कि मतदान के लिए मजदूरों को सवैतनिक अवकाश दिया जाए.

उधर प्रदेश में बीएलओ के माध्यम से सभी जिलों में ऐसे मजदूरों को चिन्हित किया गया है. इन मजदूरों से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है. दरअसल मतदान के 5 दिन पहले दीपावली भी है, आयोग की कोशिश है कि इन्हें 17 नवंबर मतदान की तारीख तक रोका जा सके. इसके लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए हैं, जिस पर सभी की जानकारी बुलाई जा रही है.

युवा मतदाताओं को रोकने की कवायद: कमोवेश यही स्थिति युवाओं को लेकर भी है. प्रदेश में फर्स्ट टाइम वोटर की संख्या 20 लाख 36 हजार है. इन युवा मतदाताओं में बड़ी संख्या में पढ़ाई या जॉब के लिए शहर या राज्य के बाहर जाते हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश दीपावली के त्योहार पर वापस तो आएगा, लेकिन मतदान तक रूक सके, इसके लिए परिजनों से भी इन्हें रोकने की अपील की जा रही है. प्रदेश में 20 से 29 साल के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 41 लाख है.

यहां पढ़ें...

10 हजार मतदान केन्द्रों में कम हुआ था मतदान: चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश के 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 हजार 397 मतदान केन्द्रों पर 65 प्रतिशत से कम मतदान हुआ था. प्रदेश में औसत मतदान 75.63 फीसदी हुआ था, लेकिन 10 हजार 397 मतदान केन्द्रों में यह 65 फीसदी से भी कम था. इनमें से भी 10 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशन 62 फीसदी से भी कम था.

इनमें अम्बाह विधानसभा क्षेत्र में 59.32 फीसदी, गोहद विधानसभा में 59.33 फीसदी, ग्वालियर उत्तर में 58.18 फीसदी, भिंड में 58.70 फीसदी, अलीराजपुर में 59.84 फीसदी और ग्वालियर दक्षिण में 60.54 फीसदी मतदान हुआ था. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन के मुताबिक सभी को मतदान में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. जहां तक दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए जाने वाले मध्य प्रदेश के श्रमिकों की बात है. उनसे भी मतदान की अपील की जा रही है. इसके लिए सभी राज्यों को वेतन के साथ अवकाश देने के लिए आयोग की तरफ से पत्र लिखा गया है.

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव अधिकारी की निगाह अब उन मजदूरों और युवाओं पर है, जो कामकाज और पढ़ाने के लिए क्षेत्र से बाहर हैं. ऐसे मजदूरों और युवाओं की संख्या 8 लाख के करीब है. जिन्हें मतदान के दिन बुलाने के लिए चुनाव अधिकारियों को पसीना बहाना पड़ रहा है. इसके लिए चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे युवाओं और मजदूरों को वोट डलवाने के लिए जिला अधिकारियों का व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए हैं, ताकि दीपावली पर आने वाले युवाओं और मजदूरों को मतदान तक रोका जा सके.

करीब 8 लाख युवाओं और मजदूरों पर फोकस: प्रदेश के बुंदेलखंड, ग्वालियर चंबल और आदिवासी अंचल से बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन कर दूसरे राज्यों में काम के लिए जाते हैं. चुनाव आयोग प्रदेश में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए ऐसे श्रमिकों पर खास फोकस कर रहा है. यह श्रमिक मतदान के दिन तक अपने गांव में रूकें और मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें, इसके लिए चुनाव आयोग ने प्रदेश से सटे राज्यों जैसे गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीगढ़ और महाराष्ट्र राज्य को पत्र लिखा है. जिसमें कहा है कि मतदान के लिए मजदूरों को सवैतनिक अवकाश दिया जाए.

उधर प्रदेश में बीएलओ के माध्यम से सभी जिलों में ऐसे मजदूरों को चिन्हित किया गया है. इन मजदूरों से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है. दरअसल मतदान के 5 दिन पहले दीपावली भी है, आयोग की कोशिश है कि इन्हें 17 नवंबर मतदान की तारीख तक रोका जा सके. इसके लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए हैं, जिस पर सभी की जानकारी बुलाई जा रही है.

युवा मतदाताओं को रोकने की कवायद: कमोवेश यही स्थिति युवाओं को लेकर भी है. प्रदेश में फर्स्ट टाइम वोटर की संख्या 20 लाख 36 हजार है. इन युवा मतदाताओं में बड़ी संख्या में पढ़ाई या जॉब के लिए शहर या राज्य के बाहर जाते हैं. हालांकि इनमें से अधिकांश दीपावली के त्योहार पर वापस तो आएगा, लेकिन मतदान तक रूक सके, इसके लिए परिजनों से भी इन्हें रोकने की अपील की जा रही है. प्रदेश में 20 से 29 साल के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 41 लाख है.

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10 हजार मतदान केन्द्रों में कम हुआ था मतदान: चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश के 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 हजार 397 मतदान केन्द्रों पर 65 प्रतिशत से कम मतदान हुआ था. प्रदेश में औसत मतदान 75.63 फीसदी हुआ था, लेकिन 10 हजार 397 मतदान केन्द्रों में यह 65 फीसदी से भी कम था. इनमें से भी 10 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशन 62 फीसदी से भी कम था.

इनमें अम्बाह विधानसभा क्षेत्र में 59.32 फीसदी, गोहद विधानसभा में 59.33 फीसदी, ग्वालियर उत्तर में 58.18 फीसदी, भिंड में 58.70 फीसदी, अलीराजपुर में 59.84 फीसदी और ग्वालियर दक्षिण में 60.54 फीसदी मतदान हुआ था. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन के मुताबिक सभी को मतदान में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. जहां तक दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए जाने वाले मध्य प्रदेश के श्रमिकों की बात है. उनसे भी मतदान की अपील की जा रही है. इसके लिए सभी राज्यों को वेतन के साथ अवकाश देने के लिए आयोग की तरफ से पत्र लिखा गया है.

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