भोपाल। लंबे समय से कांग्रेस में बदलाव की जो उम्मीद की जा रही थी उसे आलाकमान ने कर दिखाया है. मध्यप्रदेश कांग्रेस में पीसीसी अध्यक्ष पद से कमलनाथ को विदा कर दिया गया है और अब नए अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जीतू पटवारी को सौंपी गई है. वही आदिवासी चेहरे उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष का दायित्व दिया है. वहीं एक और युवा चेहरे हेमंत कटारे को उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई है.
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श्री जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष एवं श्री उमंग सिंघार को कांग्रेस विधायक दल का नेता व श्री हेमंत कटारे को उपनेता मनोनीत किया गया है।
— MP Congress (@INCMP) December 16, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
“हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ”@jitupatwari @UmangSinghar pic.twitter.com/PCwAyDWAy4
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“हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ”@jitupatwari @UmangSinghar pic.twitter.com/PCwAyDWAy4श्री जीतू पटवारी को मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रदेश अध्यक्ष एवं श्री उमंग सिंघार को कांग्रेस विधायक दल का नेता व श्री हेमंत कटारे को उपनेता मनोनीत किया गया है।
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बदलाव की बयार के मायने समझिए: कांग्रेस ने 2023 में मिली करारी हार के बाद इसे सीरियसली लिया और आखिरकार बदलाव किया. पीसीसी अध्यक्ष के पद पर जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष पर उमंग सिंघार और उप नेता प्रतिपक्ष के पद पर हेमंत कटारे की नियुक्ति को क्या केवल कांग्रेस के पीढ़ी परिवर्तन के तौर पर देखा जाए या वाकई कांग्रेस हाईकमान ने देर से ही सही पार्टी को धार देने परिवारों से इतर जाकर भूल सुधार किया है.
हेमंत कटारे को उस कतार में भले अभी शामिल ना किया जाए लेकिन जीतू पटवारी और उमंग सिंगार कांग्रेस के वो युवा नेता हैं जिनकी पहचान उनकी बेबाकी है. जीतू पटवारी की काबिलियत में शिवराज सरकार पर तीखे प्रहार दर्ज हैं. तो उमंग सिंगार जब बोलने पर आए तो उन्होंने अपने ही नेता दिग्विजय सिंह को भी नहीं बख्शा था. हांलाकि उन गलतियों की माफी वो मांग चुके हैं. बात सिर्फ आदिवासी और युवा की नहीं है. इन चेहरों के साथ कांग्रेस ने खुद उस बीमारी का इलाज तलाशा है जिसकी चपेट में कांग्रेस कभी दमदार विपक्ष की तरह दिखाई नहीं दी. दूसरी अहम बात अब एमपी में सत्ता से लेकर विपक्ष तक मालवा निमाड़ का दबदबा है.
जीतू उमंग कटारे..नौजवानों के सहारे कांग्रेस: एमपी में दिग्विजय और कमलनाथ का युग खत्म समझा जाए. हाईकमान ने फैसला लिया और कांग्रेस की कमान उन नौजवान चेहरों के हाथ में सौंप दी जो वाकई कांग्रेस का भविष्य हैं. भविष्य इसलिए कहा जा सकता है कि अपने अतीत में ये मुखर नेता सड़क से लेकर सदन तक सत्ता की खिलाफत के साथ सियासत को गर्माते रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित कहते हैं ये बहुत देर से लिया गया लेकिन सही फैसला है कांग्रेस का. अगर ये फैसला पहले लिया जाता तो इस चुनाव में भी तस्वीर बदल सकती थी. असल में समाज की तरह सियासत को भी जनरेशन नैक्सट में यकीन करना पड़ेगा. तो अब ये चेहरे बता रहे हैं कि कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का दौर खत्म हो गया.
आदिवासी का हाथ मजबूत किया: उमंग सिंघार का नाम यूं भी नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए सबसे आगे था. जीतू पटवारी की हार के बाद ये नाम और मजबूत हो गया. उमंग सिंघार के नाम के साथ कांग्रेस ने आदिवासी कार्ड खेला है और ये बता दिया है कि अपने कोर वोटर को आगे बढ़ाने में वो कभी पीछे नहीं हटती. जीतू पटवारी युवा नेतृत्व में अकेला नाम है जिसने बीजेपी के अठारह साल के शासन काल में कम से कम दस साल तो सड़क से लेकर सदन तक बहुत धार के साथ मोर्चा संभाला है. अपने पिता दिवंगत कांग्रेस नेता सत्यदेव कटारे से राजनीति का संस्कार लेकर आए हेमंत कटारे इन दोनों के मुकाबले अभी जरा कच्चे हैं लेकिन उनके लिए ये परफार्मेंस दिखाने का मौका है.
अब विपक्ष में भी मालवा निमाड़ का दबदबा: कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले ने एक साथ कई सारे संदेश दिए हैं. एक तरफ बीजेपी की सत्ता जहां से मजबूत हुई उसी मालवा निमाड़ से पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष का चेहरा दिया. उम्मीद ये की जा रही थी कि एमपी में कांग्रेस की अगली पीढ़ी के नुमाइंदे नकुलनाथ और जयवर्धन होंगे. वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित कहते हैं कांग्रेस कायान्तरण के दौर से गुजरती दिखाई दे रही है. हाईकमान ने जो फैसले लिया है वो वक्त की जरुरत भी है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि एमपी में सत्ता से लेकर विपक्ष तक हुए पीढ़ी परिवर्तन में जनता की फिक्र और आवाज़ कौन बनता है.