शहडोल। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष गुप्ता ने बताया है कि ''कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 8 अगस्त को शहडोल जिले के दौरे पर रहेंगे. जहां वो ब्यौहारी में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे.'' राहुल के इस दौरे के साथ ही अब राजनीति भी गरमा गई है. क्योंकि राहुल गांधी शहडोल जिले के जिस ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र में जनसभा करने जा रहे हैं, उसे लेकर अब कई मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि कांग्रेस यहां राहुल गांधी की जनसभा कराके एक तीर से कई शिकार करने के फिराक में है.
शहडोल बना राजनीति का अखाड़ा: शहडोल जिला इन दिनों राजनीति का बड़ा अखाड़ा बना हुआ है. अभी ज्यादा दिन नहीं हुए एक जुलाई को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल जिले के दौरे पर आए. जिले के लालपुर में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया और जिले के पकरिया गांव में आम के बगीचे में अलग-अलग समूह के लोगों के साथ चौपाल लगाई, उनके साथ चर्चा की. फिर आदिवासी समाज के लोगों के साथ भोजन भी किया, जिसे लेकर वह काफी सुर्खियों में भी रहे. पीएम मोदी के इस दौरे को लेकर पहले से ही कहा जा रहा है की आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी आदिवासियों को साधने में जुटी हुई है और अब इसमें कांग्रेस भी पीछे नहीं है. अब कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी 8 अगस्त को शहडोल जिले के ब्यौहारी में बड़ी जनसभा करने जा रहे हैं, और राहुल गांधी के इस सभा को तो कई नजरिए से देखा जा रहा है.
राहुल के ब्यौहारी दौरे के कई मायने: जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल के दौरे पर आ रहे थे उस दौरान एक आदिवासी सम्मेलन में कांग्रेस के बड़े नेता अजय सिंह राहुल ने कहा था कि अभी पीएम मोदी शहडोल के दौरे पर आ रहे हैं, इसके बाद कांग्रेस भी कुछ ऐसा करेगी जो पीएम मोदी के इस दौरे का जवाब होगा. अब कांग्रेस आगामी चुनाव को देखते हुए राजनीति की बड़ी बिसात बिछाने जा रही है, और अपना सबसे बड़ा दांव इस आदिवासी क्षेत्र में खेलने जा रही है. जिसे लेकर काफी सोच समझकर शहडोल जिले के ब्यौहारी क्षेत्र में राहुल गांधी की जनसभा कराई जा रही है. जिसके बाद विंध्य क्षेत्र की राजनीति गरमा गई है. शहडोल जिले का ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र, जो कि सीधी संसदीय क्षेत्र में आता है और यह वही सीधी जिला है जो अभी हाल ही में 'मूत्र कांड' को लेकर सुर्खियों में था.
विंध्य-महाकौशल पर नजर: मध्यप्रदेश में अब विधानसभा चुनाव को लेकर महज कुछ महीने ही बचे हैं, जिसे लेकर अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां चुनावी बिसात बिछाना शुरू कर चुकी हैं. बीजेपी की ओर से चुनाव की कमान जहां खुद गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल ली है, और आए दिन मध्यप्रदेश के दौरे कर रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मध्यप्रदेश में पूरी तरह से एक्टिव हो चुके हैं. इसी के साथ मध्यप्रदेश में सियासी पारा भी हाई हो चुका है. यही वजह है कि राहुल गांधी का कार्यक्रम कांग्रेस ने उसी शहडोल में रखा है जहां कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा हुई थी.
जीत की चाबी आदिवासियों के पास: राहुल गांधी का शहडोल दौरा इतना अहम क्यों माना जा रहा है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि शहडोल विंध्य क्षेत्र का प्रमुख संभाग है, और शहडोल ही वह इलाका है जहां से विंध्य और महाकौशल दोनों ही इलाकों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. इन दोनों ही इलाकों में एक खास बात और है कि यहां आदिवासी समाज के वोटर्स की संख्या ज्यादा है. पहले से ही कहा जा रहा है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत की चाबी आदिवासियों के पास है. मतलब आदिवासी वोटर ही निर्णायक भूमिका में रहेंगे. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही खुद को आदिवासियों का हितैषी साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
ऐसे समझिए आदिवासी सीट का गणित: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश में आदिवासियों को निर्णायक भूमिका में माना जा रहा है और इसीलिए भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियां आदिवासी वोटर्स को साधने में जुटी हुई हैं. इसी के तहत भारतीय जनता पार्टी ने अपने शीर्ष नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी मैदान में उतारा, और शहडोल जिले का दौरा कराया तो वहीं अब कांग्रेस राहुल गांधी की जनसभा शहडोल जिले के ब्यौहारी में कराने जा रही है.
- आदिवासियों को साधने में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी इतना जोर क्यों लगा रही हैं. सीटों के गणित को ऐसे समझा जा सकता है कि, मध्य प्रदेश में टोटल 47 आदिवासी विधानसभा सीटें हैं जिन्हें काफी अहम माना जा रहा है.
- शहडोल के ब्यौहारी में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी जनसभा करेंगे, तो वहां से 12 जिलों की 26 आदिवासी विधानसभा सीटों तक पहुंचने की कोशिश होगी.
- विंध्य-महाकौशल क्षेत्र में कांग्रेस ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 आदिवासी सीट पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से एक सीट अनूपपुर विधानसभा है जो कि बिसाहूलाल के बीजेपी में जाने के बाद उपचुनाव में बीजेपी के पाले में चली गई थी.
- 12 जिलों के जिन 26 आदिवासी सीटों पर कांग्रेस ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी. उनमें शहपुरा, डिंडोरी, पुष्पराजगढ़, मंडला, बिछिया, निवास, बैहर, बरघाट, लखनादौन, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, पांढुर्णा, घोड़ाडोंगरी, अनुपपुर और भैंसादेही विधानसभा सीटें शामिल हैं.
- साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जहां जीत दर्ज की थी उसमें चितरंगी, धौहनी, ब्योहारी, जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़, मानपुर, बड़वारा, सिहोरा, मंडला, और टिमरनी की सीटें शामिल हैं.
मध्यप्रदेश चुनाव में आदिवासी निर्णायक भूमिका में: अब मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने का वक्त बचा है, जिसे लेकर सभी पार्टियां एक्टिव हो गई है, और आदिवासी वोटर्स को इस बार निर्णायक माना जा रहा है. इसीलिए आदिवासियों को साधने में सभी जुटे हुए हैं, एमपी में आदिवासी सीट इतना अहम क्यों है, इसे ऐसे समझ सकते हैं.
- मध्य प्रदेश में टोटल 47 आदिवासी सीट हैं, साल 2018 के चुनाव में आदिवासियों के वोट बैंक के कारण ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस की फिर से सत्ता में वापसी हुई थी, क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटों में से 30 सीटें जीती थी.
- इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में देखें तो आदिवासियों के लिए आरक्षित मध्य प्रदेश की 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थी तो कांग्रेस के खाते में महज 15 सीटें आई थी. मतलब जो भी पार्टी आदिवासी सीटों पर बाजी मारती है, वह सत्ता पर काबिज होने में कामयाब होती है. इसीलिए बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों की नजर आदिवासी वोटर्स पर बनी हुई है और उन्हें लुभाने में लगे हुए हैं.
राहुल के दौरे से विंध्य पर नजर: कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि और रीवा सह प्रभारी अजय अवस्थी कहते हैं कि ''राहुल गांधी की जनसभा जो ब्यौहारी में होने जा रही है इसमें पूरे विंध्य से लोग शामिल होंगे. इसके अलावा मंडला, डिंडोरी से भी महाकौशल क्षेत्र से भी लोग यहां शामिल होंगे. करीब एक लाख से भी ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है, देखा जाए तो विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस साल दर साल कमजोर होती आई है.
- साल 2018 के विधानसभा चुनाव में देखें तो विंध्य क्षेत्र के टोटल 30 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को जहां 24 सीट में जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस 6 सीट पर ही सिमट गई थी.
- साल 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में विंध्य के 30 सीटों में से 16 सीट में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 12 सीट पर जीत मिली थी.
- साल 2008 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो विंध्य क्षेत्र में भाजपा की 30 सीटों में से 24 सीट में बीजेपी जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी. कांग्रेस की यहां बहुत ज्यादा किरकिरी हुई थी. कांग्रेस पार्टी से मात्र 2 विधायक ही जीत सके थे, और कांग्रेस से ज्यादा तो बसपा को यहां सीट मिल गई थीं. उनके तीन प्रत्याशी जीत गए थे.
विंध्य में कमजोर है कांग्रेस: कुल मिलाकर देखा जाए तो विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती रही है, और यह क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बन चुका है. ऐसे में राहुल गांधी के इस दौरे से कांग्रेस को भी काफी उम्मीदें होंगी. साथ ही कांग्रेस भी एक बड़ा दांव खेल रही है कि राहुल गांधी की जो ये ब्यौहारी में जनसभा होगी उससे विंध्य क्षेत्र में उनकी एक मजबूत पकड़ बनेगी. जिससे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उन्हें इसका फायदा मिल सकता है.
मोदी लहर के सामने कुछ नहीं राहुल की सभा: इधर शहडोल बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश तिवारी का कहना है कि ''लोकसभा चुनाव पर राहुल गांधी की इस जनसभा का बिल्कुल भी असर नहीं होगा. मोदी लहर है और उस लहर के सामने राहुल की सभा कुछ भी नहीं है. हालांकि वरिष्ठ बीजेपी नेता का मानना है कि विधानसभा चुनाव में जरूर राहुल गांधी के सभा का थोड़ी बहुत असर देखने को मिल सकता है. क्योंकि आदिवासियों के बीच इस तरह की जनसभा करने का असर देखने को मिलता आया है.''