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MP Assembly Election 2023: चुनाव में मुद्दा बन सकता है प्याज, क्या सियासी दलों को रुलाएगा ?

इस साल के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर प्याज मुद्दा बन सकता है. दरअसल, प्याज की खड़ी फसल के दौरान मध्यप्रदेश में बेमौसम बारिश हो गई. इसी वजह से प्याज की फसल खराब होने लगी है. अब प्याज मंडियों में जाते ही सड़ने लगा है और इसे स्टॉक भी नहीं किया जा सकता. जब तक चुनाव आएंगे तब तक प्याज के भाव आसमान छूने लगेंगे. इसी वजह से सियासी जानकारों का कहना है कि प्याज का मुद्दा चुनाव में उठ सकता है.

mp assembly election 2023 onion become issue
मध्यप्रदेश चुनाव 2023 में प्याज बनेगा मुद्दा
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Published : May 20, 2023, 7:10 PM IST

Updated : May 20, 2023, 8:40 PM IST

मध्यप्रदेश चुनाव 2023 में प्याज बनेगा मुद्दा !

जबलपुर। प्याज की कीमत कई बार चुनाव की दिशा बदल देती है. देश में सबसे पहले प्याज की कीमत पर चर्चा 1998 के चुनाव में हुई थी, जब सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं और प्याज के दाम 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे. कांग्रेस ने महंगाई को मुद्दा बनाकर प्रचार प्रसार किया था. इसमें सुषमा स्वराज दिल्ली का चुनाव हार गई थीं और कांग्रेस सत्ता में आ गई थी. प्याज ने दूसरी बार दिल्ली की ही राजनीति में 2014 में शीला दीक्षित को आंसू निकलवा दिए थे. 2002 में भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्याज की बढ़ती हुई कीमत ने बड़ा रुलाया था. इंदिरा गांधी भी प्याज की कीमतों को लेकर अपने चुनावी भाषणों में जनता को दिलासा देती नजर आई हैं. अब ऐसा लग रहा है कि इस बार प्याज के दाम मध्यप्रदेश के चुनाव पर सियासी खेल बना या बिगाड़ सकते हैं. मध्यप्रदेश में इस साल के विधानसभा चुनाव में प्याज शिवराज सिंह की किस्मत तय करेगा.

mp assembly election 2023 onion become issue
चुनाव में मुद्दा बन सकता है प्याज

मध्यप्रदेश में प्याज की आपूर्ति: मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर, शाजापुर, सुजालपुर, सागर, खंडवा के अलावा मालवा निमाड़ के कुछ इलाके में प्याज की खेती होती है. मध्य प्रदेश की बड़ी आपूर्ति महाराष्ट्र के नासिक से भी होती है. वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल तक जबलपुर से प्याज जाता है. जबलपुर में प्याज के दाम खंडवा और नासिक की अपेक्षा ज्यादा होते हैं. इन दिनों जब खंडवा में प्याज 1 रुपए किलो बिक रहा है, तब जबलपुर की थोक मंडी में प्याज की कीमत 5 रुपए किलो है. मगर प्याज की आवक जरूरत से ज्यादा है जिसकी वजह से सड़ रहे हैं.

मंडी पहुंचते-पहुंचते सड़ रहा प्याज: जबलपुर कृषि उपज मंडी में बीते 20 सालों से आलू, प्याज का व्यापार करने वाले शिवराज सिंह ठाकुर का कहना है कि "जबलपुर मंडी में हर दिन नरसिंहपुर, सागर और खंडवा से कई ट्रक प्याज आ रहा है. लेकिन किसान के घर से प्याज एकदम सूखे हालात में मिल रहा जो मंडी में एक दिन रुकने पर ही सड़ जा रहा है. मंडी में सड़े हुए प्याज के बड़े-बड़े ढेर देखने को मिल जाते हैं जो मंडी प्रशासन के लिए समस्या खड़ी कर रहा है. सड़े हुए प्याज को अलग करने के लिए छटाई का काम चल रहा है. इसके पहले कभी प्याज इतनी तेजी से सड़ता हुआ नहीं देखा गया है."

onion crops spoiled due to rains
एमपी में बारिश से खराब हुई प्याज की फसल

बेमौसम बारिश से प्याज खराब: इसी तरीके से कृषि उपज मंडी में बीते 40 सालों से प्याज का काम करने वाले व्यापारी संजय गुप्ता का कहना है कि "मंडी में उन्होंने इस साल अभी तक एक भी बोरी प्याज ऐसी नहीं बेची जिसमें बेमौसम बारिश की वजह से पानी न लगा हो. दरअसल, पिछले महीने में बहुत तेज बारिश हुई कुछ जगहों पर ओले भी गिरे. तब प्याज पकने के लिए तैयार थी और खेत में ही थी. मात्र 2% किसान ही पानी के पहले प्याज निकाल पाए थे. इसी वजह से बाजार में अभी जो भी प्याज आ रहा है उस पर पानी लग चुका है. इसके चलते उसमें सड़न पैदा हो रही है."

प्याज का स्टोर: संजय गुप्ता का कहना है कि "प्याज को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर नहीं किया जा सकता. प्याज के स्टोर अलग ढंग के बनते हैं और इनमें न तो बहुत ज्यादा ठंडक होनी चाहिए और न ही बहुत तेज गर्मी पड़नी चाहिए. लगातार हवा का आवागमन बना रहना चाहिए तब जाकर प्याज स्टॉक किया जा सकता है. प्याज में 90% तक पानी होता है ऐसे में अगर इस पर ज्यादा ठंड या गरम का असर पड़ा तो दोनों ही स्थिति में प्याज के फल को खराब कर देता है. इसी वजह से प्याज को स्टॉक करना बड़ा नाजुक काम है. प्याज के स्टॉक के लिए जिस प्याज का इस्तेमाल किया जाता था उसको खेत से भी लेट निकाला जाता था. इस बार भी किसान इसी की तैयारी में थे कि अचानक बारिश हो गई और अब प्याज को काटने पर उसमें गलन अलग से दिखाई दे रही है."

  1. मध्य प्रदेश: किसान के खेत से चुराई गई 30,000 रुपये की प्याज की फसल
  2. किसानों की कड़ी मेहनत पर कोरोना ने फेरा पानी, प्याज की फसल से नहीं निकल रही लागत
  3. प्याज ने बिगाड़ा रसोई का बजट, खरीदने में ही निकल रहे हैं आंसू

प्याज के भविष्य के दाम: संजय गुप्ता और शिवराज ठाकुर दोनों का ही कहना है कि इस समय प्याज के दाम बहुत तेजी से गिर रहे हैं. किसानों को इस बात की जल्दी है की फसल उनके घर में सड़े इससे अच्छा है की वह बाजार में किसी भी दाम में इसे बेच दें. इसी वजह से मंडियों में प्याज की आवक बहुत ज्यादा तेज है. मगर एक बार जैसे ही यह प्याज बिक गया तो बाजार में प्याज की कमी हो जाएगी और दाम आसमान छूने लगेंगे. संजय गुप्ता का कहना है कि ऐसी स्थिति में किसी के पास अगर छोटा-मोटा स्टॉक रह गया तो वह प्याज के मनमाने दाम वसूलेगा. महाराष्ट्र के एक व्यापारी का कहना है कि कीमत प्रति किलो 200 रुपए तक जा सकती है.

उसी समय होंगे चुनाव: जिस समय प्याज अपनी अधिकतम कीमत पर बिकेगी. उसके ठीक बाद मध्य प्रदेश के चुनाव हैं और यही महंगी प्याज मध्यप्रदेश में महंगाई का सबसे बड़ा मुद्दा बनेगी. लेकिन इसे रोकने के लिए किसी के पास कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि प्याज का स्टॉक करके सरकार ने देख लिया है. केवल जबलपुर में ही लाखों रुपए का प्याज सड़ गया था. पूरे प्रदेश में सरकारी स्टॉक की करोड़ों रुपए की प्याज फेंकनी पड़ी थी. मध्यप्रदेश में कांग्रेस महंगाई को मुद्दा बना रही है और इस बार का चुनाव पूरी तरीके से महंगाई के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है. इसी वजह से बाजार में आम आदमी के जरूरत का हर महंगा सामान नेताओं के भाषणों में सुनाई देगा. ऐसा लगता है की इस बार प्याज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को रुलाने के लिए तैयार है.

मध्यप्रदेश चुनाव 2023 में प्याज बनेगा मुद्दा !

जबलपुर। प्याज की कीमत कई बार चुनाव की दिशा बदल देती है. देश में सबसे पहले प्याज की कीमत पर चर्चा 1998 के चुनाव में हुई थी, जब सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं और प्याज के दाम 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए थे. कांग्रेस ने महंगाई को मुद्दा बनाकर प्रचार प्रसार किया था. इसमें सुषमा स्वराज दिल्ली का चुनाव हार गई थीं और कांग्रेस सत्ता में आ गई थी. प्याज ने दूसरी बार दिल्ली की ही राजनीति में 2014 में शीला दीक्षित को आंसू निकलवा दिए थे. 2002 में भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्याज की बढ़ती हुई कीमत ने बड़ा रुलाया था. इंदिरा गांधी भी प्याज की कीमतों को लेकर अपने चुनावी भाषणों में जनता को दिलासा देती नजर आई हैं. अब ऐसा लग रहा है कि इस बार प्याज के दाम मध्यप्रदेश के चुनाव पर सियासी खेल बना या बिगाड़ सकते हैं. मध्यप्रदेश में इस साल के विधानसभा चुनाव में प्याज शिवराज सिंह की किस्मत तय करेगा.

mp assembly election 2023 onion become issue
चुनाव में मुद्दा बन सकता है प्याज

मध्यप्रदेश में प्याज की आपूर्ति: मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर, शाजापुर, सुजालपुर, सागर, खंडवा के अलावा मालवा निमाड़ के कुछ इलाके में प्याज की खेती होती है. मध्य प्रदेश की बड़ी आपूर्ति महाराष्ट्र के नासिक से भी होती है. वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल तक जबलपुर से प्याज जाता है. जबलपुर में प्याज के दाम खंडवा और नासिक की अपेक्षा ज्यादा होते हैं. इन दिनों जब खंडवा में प्याज 1 रुपए किलो बिक रहा है, तब जबलपुर की थोक मंडी में प्याज की कीमत 5 रुपए किलो है. मगर प्याज की आवक जरूरत से ज्यादा है जिसकी वजह से सड़ रहे हैं.

मंडी पहुंचते-पहुंचते सड़ रहा प्याज: जबलपुर कृषि उपज मंडी में बीते 20 सालों से आलू, प्याज का व्यापार करने वाले शिवराज सिंह ठाकुर का कहना है कि "जबलपुर मंडी में हर दिन नरसिंहपुर, सागर और खंडवा से कई ट्रक प्याज आ रहा है. लेकिन किसान के घर से प्याज एकदम सूखे हालात में मिल रहा जो मंडी में एक दिन रुकने पर ही सड़ जा रहा है. मंडी में सड़े हुए प्याज के बड़े-बड़े ढेर देखने को मिल जाते हैं जो मंडी प्रशासन के लिए समस्या खड़ी कर रहा है. सड़े हुए प्याज को अलग करने के लिए छटाई का काम चल रहा है. इसके पहले कभी प्याज इतनी तेजी से सड़ता हुआ नहीं देखा गया है."

onion crops spoiled due to rains
एमपी में बारिश से खराब हुई प्याज की फसल

बेमौसम बारिश से प्याज खराब: इसी तरीके से कृषि उपज मंडी में बीते 40 सालों से प्याज का काम करने वाले व्यापारी संजय गुप्ता का कहना है कि "मंडी में उन्होंने इस साल अभी तक एक भी बोरी प्याज ऐसी नहीं बेची जिसमें बेमौसम बारिश की वजह से पानी न लगा हो. दरअसल, पिछले महीने में बहुत तेज बारिश हुई कुछ जगहों पर ओले भी गिरे. तब प्याज पकने के लिए तैयार थी और खेत में ही थी. मात्र 2% किसान ही पानी के पहले प्याज निकाल पाए थे. इसी वजह से बाजार में अभी जो भी प्याज आ रहा है उस पर पानी लग चुका है. इसके चलते उसमें सड़न पैदा हो रही है."

प्याज का स्टोर: संजय गुप्ता का कहना है कि "प्याज को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर नहीं किया जा सकता. प्याज के स्टोर अलग ढंग के बनते हैं और इनमें न तो बहुत ज्यादा ठंडक होनी चाहिए और न ही बहुत तेज गर्मी पड़नी चाहिए. लगातार हवा का आवागमन बना रहना चाहिए तब जाकर प्याज स्टॉक किया जा सकता है. प्याज में 90% तक पानी होता है ऐसे में अगर इस पर ज्यादा ठंड या गरम का असर पड़ा तो दोनों ही स्थिति में प्याज के फल को खराब कर देता है. इसी वजह से प्याज को स्टॉक करना बड़ा नाजुक काम है. प्याज के स्टॉक के लिए जिस प्याज का इस्तेमाल किया जाता था उसको खेत से भी लेट निकाला जाता था. इस बार भी किसान इसी की तैयारी में थे कि अचानक बारिश हो गई और अब प्याज को काटने पर उसमें गलन अलग से दिखाई दे रही है."

  1. मध्य प्रदेश: किसान के खेत से चुराई गई 30,000 रुपये की प्याज की फसल
  2. किसानों की कड़ी मेहनत पर कोरोना ने फेरा पानी, प्याज की फसल से नहीं निकल रही लागत
  3. प्याज ने बिगाड़ा रसोई का बजट, खरीदने में ही निकल रहे हैं आंसू

प्याज के भविष्य के दाम: संजय गुप्ता और शिवराज ठाकुर दोनों का ही कहना है कि इस समय प्याज के दाम बहुत तेजी से गिर रहे हैं. किसानों को इस बात की जल्दी है की फसल उनके घर में सड़े इससे अच्छा है की वह बाजार में किसी भी दाम में इसे बेच दें. इसी वजह से मंडियों में प्याज की आवक बहुत ज्यादा तेज है. मगर एक बार जैसे ही यह प्याज बिक गया तो बाजार में प्याज की कमी हो जाएगी और दाम आसमान छूने लगेंगे. संजय गुप्ता का कहना है कि ऐसी स्थिति में किसी के पास अगर छोटा-मोटा स्टॉक रह गया तो वह प्याज के मनमाने दाम वसूलेगा. महाराष्ट्र के एक व्यापारी का कहना है कि कीमत प्रति किलो 200 रुपए तक जा सकती है.

उसी समय होंगे चुनाव: जिस समय प्याज अपनी अधिकतम कीमत पर बिकेगी. उसके ठीक बाद मध्य प्रदेश के चुनाव हैं और यही महंगी प्याज मध्यप्रदेश में महंगाई का सबसे बड़ा मुद्दा बनेगी. लेकिन इसे रोकने के लिए किसी के पास कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि प्याज का स्टॉक करके सरकार ने देख लिया है. केवल जबलपुर में ही लाखों रुपए का प्याज सड़ गया था. पूरे प्रदेश में सरकारी स्टॉक की करोड़ों रुपए की प्याज फेंकनी पड़ी थी. मध्यप्रदेश में कांग्रेस महंगाई को मुद्दा बना रही है और इस बार का चुनाव पूरी तरीके से महंगाई के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है. इसी वजह से बाजार में आम आदमी के जरूरत का हर महंगा सामान नेताओं के भाषणों में सुनाई देगा. ऐसा लगता है की इस बार प्याज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को रुलाने के लिए तैयार है.

Last Updated : May 20, 2023, 8:40 PM IST
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