सागर। देश और दुनिया में बाघों के आशियाने के रूप में मशहूर मध्यप्रदेश में एक दौर ऐसा आया था कि बाघों की संख्या तेजी से कम हो गई थी. 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व तो बाघ विहीन हो गया था. बाघों की तेजी से कम हो रही संख्या को देखते हुए बाघ पुनर्स्थापना योजना की शुरुआत की गई और तय किया गया था कि एक दशक में बाघों की संख्या दोगुनी करनी है. योजना के तहत प्रदेश के तमाम टाइगर रिजर्व, नेशनल पार्क और अभ्यारण्यों में बाघों को बचाने के लिए प्रयास किए गए. टाइगर रिजर्व में जहां बाघों का कुनबा बढ़ गया,तो नौरादेही अभ्यारण्य जैसे बाघों के नए आशियाने तैयार हुए हैं. हालांकि 2022 में हुई बाघों की गणना के परिणाम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. उम्मीद की जा रही है कि मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 700 तक पहुंच सकती है. (sagar tiger reserve)
बाघ विहीन हो गया था पन्ना टाइगर रिजर्वः मध्यप्रदेश की बाघों को लेकर देश और दुनिया में अलग पहचान है. मध्य प्रदेश को लंबे समय तक टाइगर स्टेट का दर्जा भी हासिल रहा है. मध्यप्रदेश के टाइगर स्टेट के दर्जे के इतिहास पर जाए, तो 2006 में मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 300 थी. लेकिन शिकार आपसी संघर्ष और बीमारियों की वजह से ये संख्या 2010 में घटकर 257 रह गई थी. 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व तो बाघ विहीन हो गया था. 2010 में जब पूरे देश में बाघों की गणना की गई, तो देश भर में सिर्फ 1706 बाघ पाए गए थे. मध्यप्रदेश में सिर्फ 257 बाघ रह गए थे और मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा छिन गया था. (tiger family in sagar)
बाल पुनर्स्थापना योजना से बदली तस्वीरः 2010 में जब मध्यप्रदेश में सिर्फ 257 बार रह गए, तो बाघ पुनर्स्थापना योजना की शुरुआत की गई. आगामी 10 वर्षों में बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया. 2010 की गणना में पूरे देश भर में बाघों की संख्या 1706 थी और 2020 तक संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत रखा गया. 2018 में जब बाघों की गणना हुई, तो देशभर में बाघों की संख्या दोगुनी तो नहीं हुई. काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए और बाघों की संख्या 2967 हो गई. मध्यप्रदेश में जरूर बाघों की संख्या दोगुनी हो गई. 2018 की गणना में मध्यप्रदेश में भी बाघों की संख्या 257 (2010) से दोगुनी होकर 526 पहुंच गई. (numbers of tiger in sagar)
बाघों की संख्या भले दोगुनी, लेकिन खतरा अभी भी बरकरारः बाघ पुनर्स्थापना योजना के परिणाम काफी सकारात्मक आए हैं और मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या 2010 में 257 से दोगुनी होकर 2018 में 526 पर पहुंच गई है. दूसरी तरफ 10 वर्षों में 254 बाघों की मौत के मामले भी सामने आए. बाघों की मौत के प्रमुख तीन कारण बताए जा रहे हैं. इनमें शिकार, आपसी संघर्ष और बीमारी प्रमुख है. 2012 से लेकर 2020 तक 8 वर्षों में 202 बाघों की मौत हुई है. 2021 से अब तक 52 से ज्यादा बाघों की मौत हो चुकी है. (Panna Tiger Reserve)
बाघों की संख्या 700 तक पहुंचने की उम्मीदः 2018 के बाद 2020 में हर 2 साल में होने वाली बाघों की गणना नहीं की गई थी. 2018 के बाद बाघों की गणना 2022 में की जा रही है. इन 4 सालों में बाघों की संख्या बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक 2018 में दर्ज की गई 526 बाघों की संख्या 2022 में 700 तक पहुंच सकती है. हाल ही में 10 अप्रैल को बाघों की गणना के लिए लगाए गए कैमरे हटाए गए हैं. जल्द ही केंद्र सरकार राज्यवार बाघों की संख्या की घोषणा करेंगी.
तैयार हो रहे हैं बाघों के नए आशियानेः फिलहाल मध्यप्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या 6 है. 10 नेशनल पार्क हैं और 25 वन्य जीव अभ्यारण्य हैं. टाइगर रिजर्व के अलावा बाघ पुनर्स्थापना योजना के अंतर्गत प्रदेश के अभयारण्य में बाघों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही और रातापानी अभयारण्य में बाघों को बसाने की शुरुआत की गई है. 2018 में बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत नौरादेही अभयारण्य में कान्हा किसली से बाघिन राधा और बांधवगढ़ से बाघ किशन को नौरादेही अभ्यारण्य में लाया गया. नौरादेही में इन दोनों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया और इसका परिणाम ये हुआ कि मई 2019 में बाघिन राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया. इसके बाद नवंबर 2021 में दो शावकों को जन्म दिया. इस तरह है नौरादेही अभयारण्य में बाघों की संख्या 7 पहुंच गई. पिछले दिनों एक और बाघ ने नौरादेही अभ्यारण्य में अपना बसेरा बनाया है. इसके बाद 29 अप्रैल को नौरादेही अभ्यारण्य में राधा बाघिन से जन्मी बाघिन एन-112 दो शावकों के साथ कैमरे में कैद की गई है. इस तरह नौरादेही अभ्यारण में 4 सालों में बाघों की संख्या 2 से 10 तक पहुंच गई है. (Nauradehi Sanctuary)
टाइगर रिजर्व बनाने के लिए भेजा गया प्रस्तावः नौरादेही अभ्यारण्य के एसडीओ एसआर मलिक बताते हैं कि नौरादेही में तेजी से बाघों का कुनबा बढ़ने के बाद टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. हाल ही में हुई स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री ने सैद्धांतिक सहमति जताई है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर प्रस्ताव केंद्र सरकार भेजे जाने की बात कही है.
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क्या कहते हैं वाइल्डलाइफ एक्सपर्टः वाइल्ड लाइफ एक्ट पार्ट अजय दुबे का कहना है कि नौरादेही में बाघों को बचाने के काफी सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व से कॉरिडोर बनाने वाले नौरादेही अभ्यारण्य में पिछले 4 सालों में बाघों की संख्या 2 से 10 तक पहुंच गई है, जो खुशी की बात है. जहां तक नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की बात है. नौरादेही अभ्यारण्य में अतिक्रमण और विस्थापन एक बड़ी समस्या है. करोड़ों खर्च होने के बाद भी आज भी अभ्यारण्य में 40 से 50 गांव हैं, जो विस्थापित नहीं हो सके हैं. इसके अलावा नौरादेही अभ्यारण्य प्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य में और इधर ही सबसे ज्यादा लकड़ी तस्कर सक्रिय रहते हैं. इन स्थितियों में बाघों के लिए खतरा कायम है.