श्योपुर। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से चीतों और शावकों के मौत की खबरें आने का सिलसिला बंद होने का नाम नहीं ले रहा. बीते एक महीने के अंदर कूनो से 4 चीतों की मौत की खबर सामने आ चुकी है, जिसमें 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत हुई थी. वहीं 23 मई को ज्वाला चीता के एक शावक ने बिमारी के चलते जान गंवा दी थी. अब दो और शावकों के मौत की खबर सामने आई है. ज्वाला चीता के बचे हुए 3 शावकों में से 2 शावकों ने गुरुवार को बिमारी के चलते दम तोड़ा. कहा जा रहा है बचा हुए एक और शावक की तबीयत भी खराब है, उसके भी बचने की उम्मीद कम है. कुछ दिनों पहले ही ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया था.
कैसे हो रही है शावकों की मौत: जानकारी के मुताबिक एक शावक की मौत के बाद बचे हुए तीन शावकों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी. ज्वाला चीता को दोपहर के वक्त सप्लीमेंट फूड दिया जाता था. अचानक से 3 शावकों की तबीयत खराब होने पर उन्हें तुरंत इलाज के लिए पालपुर स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां शावकों की लगातार खराब होती तबीयत और तेज गर्मी के चलते 2 शावकों को नहीं बचाया जा सका. जबकि चौथे शावक की हालत भी गंभीर बताई जा रही है. बता दें कि चीतों और शावकों के इलाज के लिए नामीबिया और साउथ अफ्रीका के चीता विशेषज्ञों से लगातार सलाह ली जा रही है.
क्या है मौत की वजह: दो महीने पहले ही जन्म लेने वाले चीते के दोनों शावकों की भीषण गर्मी और साथ ही कमजोरी की वहज से मौत होना बताया जा रहा है. यही नहीं चीतों के शावकों को डिहाइड्रेशन हो गया था. कूनो पालपुर पार्क में अब कुल 1 शावक ही बचा है. वन्यप्राणी चिकित्सक चीता ज्वाला को लगातार फूड सप्लीमेंट्स दे रहे हैं. जिस दिन चीते बीमार हुए वो साल का सबसे गर्म दिन था. यह 23 मई की बात है जो मध्य प्रदेश में इस साल का सबसे गर्म दिन रहा. 23 मई को दिन का अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस के आसपास था. दिन भर तेज गर्म हवाएं और लू चली. असामान्य स्थिति को देखते हुए प्रबंधन और वन्यजीव डॉक्टरों की टीम ने तुरंत तीनों शावकों को बचाने और आवश्यक उपचार करने का फैसला किया. तमाम कोशिशों के बावजूद 2 शावकों की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें नहीं बचाया जा सका.
क्या बोले पीसीसीएफ: पीसीसीएफ जेएस चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि कूनो नेशनल पार्क में एक शावक चीते की मौत होने के बाद तीन अन्य शावकों की स्थिति ठीक नहीं लग रही थी. इसे ध्यान में रखते हुए कूनो वन्य प्राणी चिकित्सकों की देखरेख में इन तीनों शावकों को रखा गया था. अधिक तापमान होने और लू के चलते इनकी तबीयत खराब होना बताई गई है. गुरुवार को इलाज के दौरान दो की मौत हो गई है. एक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है.
कूनो में चीतों की मौत: चीता ज्वाला के पहले शावक की मौत 23 मई को ही हुई थी. साल 2022 में सितंबर में नामीबिया से एमपी के कुनो में 8 चीते लाए गए थे. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते आए. इन तीन चीता शावकों की मौत से फिर से कुनो पालपुर नेशनल पार्क प्रबंधन और प्रशासन पर उंगलियां उठने लगी हैं. सबसे पहले 26 मार्च का साशा चीता की मौत हुई थी. साशा की मौत की वजह किडनी और लीवर में इंफेक्शन बताई गई थी. 23 अप्रैल के दूसरा चीता उदय का अस्त हो गया. मेडिकल रिपोर्ट उसकी मौत की वजह किडनी का फेल्योर बताया गया. 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत हुई. मेटिंग के दौरान बाड़े में चीते हिंसक हो गए और इसमें मादा चीता दक्षा की जान चली गई. इसके बाद 23 मई को ज्वाला चीता के एक शावक ने दम तोड़ा. जो बीमार था. वहीं 25 मई को ज्वाला चीता के 2 और शावकों की मौत हो गई है.
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चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट की सलाह: कूनो में लगातार हो रही मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा चुका है. इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि अगर चीतों के लिए राजस्थान का वातावरण अनुकूल हो तो उन्हे वहां शिफ्ट किया जा सकता है. कोर्ट के साथ ही चीतों की मौत से राज्य सरकार भी परेशान नजर आई. सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को चीतों की शिफ्टिंग के लिए पहले ही सलाह दिया जा चुका है. हालांकि एमपी की शिवराज सरकार फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है. मगर अब इन नई मौतों के बाद क्या होगा सरकार एक्सपर्ट कमेटी की अनुशंसा के आधार पर तय करेगी. उधर राजस्थान की बात करें तो वहां शिफ्टिंग की तैयारी हुई थी मगर केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अनुमति बाकी है.