चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने एमवीएम-3-एम3/वनवेब इंडिया-2 मिशन के सफल प्रक्षेपण के साथ एक और उपलब्धि प्राप्त की क्योंकि इसी तरह के रॉकेट का इस्तेमाल इंसान को अंतरिक्ष में पहुंचाने के महत्वकांक्षी गगनयान मिशन के लिए किया जाएगा.
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने रविवार को बताया कि संगठन के अब तक के सबसे भारी एमवीएम-3 (पूर्व में भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान एमके-III नाम) राकेट ने वनवेब के 36 उपग्रहों को आज एक साथ सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया और इसमें एस200 मोटर लगी हैं जो गगनयान मिशन में इस्तेमाल होने वाले प्रक्षेपक में लगी होंगी.
मिशन नियंत्रण केंद्र में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने कहा, ‘‘ इस रॉकेट (एलवीएम-3) में एस 200 मोटर लगी हैं और इन्हें इस तरह से डिजाइन किया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर क्षमता बढ़ाई जा सके और यह विशेषता गगनयान के अनुकूल है. हम प्रसन्न हैं कि इस मिशन में इसने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस रॉकेट में और सुधार किए जाएंगे ताकि मानव मिशन के लिए इसे अति उपयुक्त बनाया जा सके और प्रणाली को बेहतर किया जा सके.’’
सोमनाथ ने कहा, ‘‘मैं गगनयान मिशन में हो रही प्रगति को देखकर बहुत खुश हूं.’’
गौरतलब है कि गगनयान मिशन की परिकल्पना भारत की मानव दल को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता प्रदर्शित करने के लिए की गई है. इसके तहत तीन दिन के मिशन में तीन अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर ऊंची कक्षा में जाएंगे और सुरक्षित वापस भारतीय जल सीमा में उतरेंगे. मिशन को अगले वर्ष की तीसरी तिमाही में अंजाम देने का लक्ष्य है.
अंतरिक्ष विभाग में सचिव का पद संभाल रहे सोमनाथ ने केंद्र सरकार को समर्थन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया.
रविवार के प्रक्षेपण के साथ ही वनवेब द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित उपग्रहों की संख्या बढ़कर 616 हो गई, जो इस साल वैश्विक सेवाएं शुरू करने के लिए पर्याप्त है. वनवेब ने कहा कि यह मिशन भारत से वनवेब द्वारा उपग्रहों का दूसरा प्रक्षेपण है, जो ब्रिटेन और भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के बीच संबंधों को दर्शाता है. प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट बाद उपग्रह का पहला सेट (36 उपग्रहों में से चार शामिल हैं) स्थापित हुआ जबकि शेष को बाद के चरणों में उनकी संबंधित कक्षाओं में स्थापित किया गया.
न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी राधाकृष्णन ने एक जटिल मिशन को पूरा करने और इसमें सफल होने के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की सराहना की। उन्होंने इसे न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के लिए एक ‘महत्वपूर्ण’ दिन करार दिया.
पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किए जाने के बाद उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से लगभग 1,200 किमी की ऊंचाई पर 12 यानों में विभाजित किया गया। इसरो ने कहा कि यान के बीच टकराव को रोकने के लिए प्रत्येक यान को 4 किमी की ऊंचाई पर अलग किया जाएगा.
यह एल.वी.एम.3 का छठा प्रक्षेपण है. इसे पहले इसे ‘जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीककल एम के थ्री’ के नाम से जाना जाता था. इसे चंद्रयान-2 सहित लगातार पांच मिशनों में तैनात किया गया था.
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