उत्तर कन्नड़ (कर्नाटक): पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित तुलसी गौड़ा (Padma Shri Awardee Tulsi Gowda) को बारिश के कारण भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 'इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट' (वन का विश्वकोश) के रूप में जाने जानी वाली तुलसी गौड़ा के घर के पास बहने वाले पानी से बचने के लिए पुल नहीं है. इसको लेकर उन्होंने अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai) से भी अपील की थी लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
72 वर्षीय आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला तालुक में होन्नल्ली नामक एक छोटे से गांव के हलक्की समुदाय से आती हैं. अपना दर्द बयां करते हुए तुलसी गौड़ा ने बताया कि पुरस्कार चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, उन्हें जीने के लिए बुनियादी ढांचे के बिना संघर्ष करना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि अंकोला के होन्नल्ली में घर के सामने एक छोटा सा गड्डा बारिश के मौसम में ओवरफ्लो करने लगता है. जबकि प्रतिदिन शहर जाने के लिए या आपात स्थिति में अस्पताल जाने के अलावा स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर गड्ढे को पार करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि हालांकि पद्मश्री पुरस्कार मिलने के बाद कुछ अधिकारी उनसे मिले थे, इस दौरान उन्होंने अफसरों को बारिश के मौसम में होने वाली दिक्कत के बारे में बताया था.
अस्थायी व्यवस्था का दावा : फिलहाल तुलसी गौड़ा के आवास को जोड़ने वाले छोटे पुल के निर्माण के लिए 25 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं. वहीं सड़क के लिए भी 15 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं. इस पर बारिश के बाद काम शुरू हो जाएगा. अंकोला के विधायक रूपाली एस नायक ने आश्वासन दिया है कि तुलसी गौड़ा के घर को जोड़ने वाला एक अस्थायी पुल एक सप्ताह के भीतर बन जाएगा.
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