भिंड। पीड़ित युवक रवि गुप्ता ने बताया कि उन्हें साल 2019 में पहला नोटिस आयकर विभाग से मिला था, जिसमें 3.5 करोड़ रुपय जमा कराने की बात कही गई थी. लेकिन उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं थी. उनके नाम से किसी ने फर्जी कंपनी बनाकर ट्रांज़ेक्शन किए थे. अपने साथ हुई फ्रॉड की लिखित शिकायत उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस और एमपी पुलिस में की थी. जिसको लेकर मध्यप्रदेश ईओडब्लू द्वारा मामले को जांच की जा रही है. इसकी सूचना वह पूर्व में ही आयकर विभाग को दे चुके हैं. बावजूद उन्हें कई बार नोटिस जारी किया गया है. उन्हें हाल ही में एक और डिमांड नोटिस 23 मार्च को आया. जिसमें उन्हें एक महीने का समय देते हुए 113 करोड़ 83 लाख 32 हज़ार 8 रुपय जमा कराने की बात लिखी है. इसी तरह के नोटिस दो अन्य कर्मचारी कपिल शुक्ला और प्रवीण राठौर को मिले हैं. जो उनके पैन कार्ड और केवाईसी से 150 करोड़ और 290 करोड़ के कथित लेनदेन के नाम पर जारी किए गए. अपने नाम पर अरबों रुपए के बकाया टैक्स के नोटिस पाकर इन तीनों कर्मचारियों के होश उड़ गए, लिहाजा पूरे मामले की शिकायत की गई लेकिन कोई हल नहीं निकला.
खंडवा के प्रवीण राठौर को भी मिल चुका है नोटिस: रवि गुप्ता ने पूरे मामले की शिकायत ईडी और सीबीआई के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय में की थी, लिहाजा पीएमओ ने इस मामले को जांच के लिए रिजर्व बैंक और अन्य एजेंसियों को भेज दिया. लिहाजा पूरे मामले की अब जांच की जा रही है. प्रथम दृष्टया इस पूरे मामले में एक बड़े सिंडिकेट के शामिल होने का पता चला है. इस मामले में यह भी चला है की तीनों शिकायतकर्ता को एक ही वर्ष और एक ही लोकेशन पर एक जैसे काम के दौरान यह नोटिस दिए गए हैं. पीड़ित शिकायतकर्ता रवि गुप्ता के मुताबिक उनके साथ एक बीपीओ में काम करने वाले कपिल शुक्ला और खंडवा के प्रवीण राठौर को 2011-12 के लिए इसी तरह के आई-टी नोटिस मिले हैं.
हर महीने सवा करोड़ रुपये की पेनल्टी : इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की और से जारी किए नोटिस में लिखा गया है कि समय सीमा में यदि संबंधित राशि का भुगतान नहीं किया गया तो प्रति महीने उसे एक प्रतिशत की दर से ब्याज भी भरना होगा. रवि ने बताया की वह दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर के पद पर काम कर रहे हैं और उनकी तनख़्वाह ही मात्र 50 हजार रुपये है. रवि गुप्ता का कहना है कि आयकर अधिकारी उनसे पूर्व में शिकायत ना किए जाने का तर्क देते रहे हैं. उनका कहना है कि जब फ्रॉड हुआ तब इसकी शिकायत क्यों नहीं की.
ईओडब्लू ने शुरू की जांच : पीड़ित युवक रवि गुप्ता का कहना है कि उन्होंने इस सम्बंध में जब सीबीआई से 2020 में शिकायत की. तब जाकर EOW के जरिए इसकी जाँच शुरू की गई है. आयकर विभाग कोई सहयोग नहीं कर रहा है. ये भी नहीं बता रहा कि किन दस्तावेज के आधार पर उन फर्जी कंपनियों का केवाईसी किया गया है. ना ही फर्म का नाम बताया जा रहा है. सिर्फ़ नोटिस के ज़रिये टैक्स मांगा जा रहा है. रवि गुप्ता ने यह भी बताया कि इस तरह का फ्रॉड उनके अकेले के साथ ही नहीं हुआ है. एमपी में ही दो अन्य युवक भी इसी तरह के फ्रॉड में फंस गए हैं. वे भी उनकी तरह ही कंपनी में काम करते थे. उनके नाम से भी सूरत में डायमंड फर्म खोली गई है.
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यह है पूरा मामला : भिंड के मिहोना क़स्बे में रहने वाले रवि गुप्ता दिल्ली की एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं. उन्हें 2019 में इनकम टैक्स विभाग ने 3.5 करोड़ रुपये का टैक्स भरने के लिए नोटिस जारी किया था. जब इस संबंध में उन्होंने जानकारी जुटाई तो पता चला कि उनके नाम से मुंबई के मलाड क्षेत्र में एक्सिस बैंक की शाखा में फर्जी अकाउंट खोलकर क़रीब 132 करोड़ रुपय के ट्रांजेक्शन किए गए. बैंक से जानकारी लेने पता चला कि यह खाता सिर्फ़ उनके पैनकार्ड के नंबर के ज़रिए खोला गया था. बैंक से जानकारी माँगने पर उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि यह अकाउंट आपका नहीं है तो जानकारी नहीं दे सकते हैं. इसके बाद युवक ने इस मामले महाराष्ट्र पुलिस से शिकायत की वहीं जब मध्यप्रदेश पुलिस के पास वह अपनी शिकायत लेकर पहुंचा तो उसकी कंप्लेंट लिखने से मना कर दिया गया. काफी जद्दोजहद के बाद भी मामला दर्ज नहीं हुआ तो 2020 में रवि ने सीबीआई से मामले की शिकायत की, जिन्होंने इसकी जांच EOW को सौंपी. लेकिन आयकर विभाग अब भी इस संबंध में 113 करोड़ से अधिक का टैक्स वसूलने की कोशिश कर रहा है.