नई दिल्ली : नई दिल्ली में सफदरजंग मकबरे के पास स्थित सरकारी बंगला 27 सफदरजंग रोड ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के लिए खास है. यह वही बंगला है जो ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद छिन गया था. अब एक बार फिर से यही बंगाला उनका पता होगा. साल 1980 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया को 27, सफदरजंग रोड वाला बंगला आवंटित हुआ था. इसके बाद से लगातार यह बंगला सिंधिया परिवार के पास ही रहा. ज्योतिरादित्य सिंधिया का बचपन इस बंगले में बीता है.
कहा जाता है कि जब सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए और उन्हें राज्यसभा भेजा गया तो उन्होंने इसी बंगले में रहने की इच्छा जाहिर की थी. हालांकि उस वक्त तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक उस बंगले में रह रहे थे. इसलिए सिंधिया किसी और सरकारी बंगले में रहने के बजाय अपने निजी आवास आनंद लोक में रहने लगे. 4 अप्रैल को निशंक ने यह बंगला खाली कर दिया है. और 'महाराज' फिर से जल्द ही इस बंगले में शिफ्ट कर जाएंगे.
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बंगले से ही सीखी राजनीति की बारिकियां : कहा जाता है सिंधिया ने राजनीति की बारिकियां इसी बंगले में रहते हुए समझी. पिता माधवराव सिंधिया राजीव गांधी सरकार में मंत्री थे और गांधी परिवार के बेहद करीबी थे. घर में राजनीतिक लोगों का आना-जाना लगा रहता था. एक विमान हादसे में जब माधवराव सिंधिया का निधन हुआ तो इसी बंगले से उनकी अंतिम यात्रा निकली थी. यही वजह है कि इस बंगले से सिंधिया और उनके परिवार का भावनात्मक जुड़ाव है. 40 साल तक सिंधिया परिवार ने इस बंगले में वक्त बिताया है.
बता दें कि 27, सफदरजंग रोड का बंगला टाइप-8 का बंगला है. टाइप -8 के बंगले 3 एकड़ में बने होते हैं. इनमें 8 कमरे, एक बड़ा हॉल एक डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम होता है. कैबिनेट मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व उपराष्ट्रपति को आवंटित किए जाते हैं. सिंधिया अभी केंद्र सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं. सांसद के रूल बुक में कहा गया है कि एक मंत्री के अपने प्रभार से वंचित होने के बाद, वह एक महीने के लिए बंगले में रह सकता है. एक सदस्य के रूप में वैकल्पिक आवास आवंटित होने के बाद उसे इसे खाली करना होगा.