प्रतापगढ़ : लालगंज सिविल कोर्ट में सोमवार को श्री रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने को लेकर वाद दाखिल किया गया है. ऑल इंडिया रूरल बार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल की ओर से यह वाद दाखिल होते ही कोर्ट में गहमागहमी का माहौल बन गया. परिवाद में इस मांग के साथ ही श्रीमद् भगवतगीता, श्री वाल्मीकि रामायण और श्रीरामचरित मानस के अपमान को लेकर भारत सरकार से दंड संहिता में राष्ट्रद्रोह का अपराध घोषित किए जाने की मांग उठाई गई है. कोर्ट ने आगामी 24 नवंबर को पोषणीयता पर सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.
जिलाधिकारी को बनाया है पक्षकार, शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट से समया मांगा
प्रतापगढ़ के लालगंज सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में सोमवार को दाखिल वाद में अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल की ओर से भारत सरकार के प्रमुख सचिव तथा राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया है. सरकार की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता रामसेवक ने भी पक्ष रखने के लिए कोर्ट से समय मांगा है. कोर्ट में सिविल जज अरविंद सिंह ने अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.
यूपी की किसी अदालत में पहला वाद
कोर्ट ने सहायक शासकीय अधिवक्ता को आपत्ति का अवसर प्रदान करते हुए 24 नवम्बर को दोनों पक्षों की बहस सुने जाने का फरमान सुनाया है. यूपी की किसी अदालत में श्री रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किए जाने का यह पहला वाद है. वाद को लेकर याची अधिवक्ता ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने कहा कि भारत सनातन संस्कृति के देश के रूप में विश्व में प्रतिष्ठित हुआ है. ऐसे में सनातन संस्कृति के इन धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्होंने वाद में हाल के दिनों में सनातन धर्म से जुड़े ग्रंथों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों का भी हवाला दिया है.
सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे साक्ष्य
वाद को लेकर याची के अधिवक्ता संयुक्त अधिवक्ता संघ लालगंज के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश ने बताया कि याचिका में सभी तथ्य रखे गए हैं. आगामी 24 नवम्बर को सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष सभी जरूरी ऐतिहासिक दस्तावेज भी पेश किए जाएंगे. वाद में कोर्ट से करोड़ों देशवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर रोक लगाए जाने की फरियाद की गई है.