नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों में Covid19 टीकों की प्रभावशीलता से संबंधित एक वीडियो में किए गए दावों को झूठा करार दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सोशल मीडिया पर प्रसारित इस वीडियो बच्चों में Covid19 वैक्सीन की प्रभावकारिता के बारे में गलत और भ्रामक दावे किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि Covid19 के टीके बच्चों के लिए सुरक्षित हैं और उनकी प्रभावशीलता को लेकर वैक्सीन का परीक्षण किया गया है.
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, देश में लगाए जा रहे सभी कोरोना टीके सुरक्षित हैं. बच्चों को दिए जाने वाले टीकों की सिफारिश विशेषज्ञों द्वारा की गई है. हाल ही में, सोशल पोस्ट पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें मुंबई के घाटकोपर की एक किशोरी की मौत के लिए कोरोना टीकाकरण को जिम्मेदार ठहराया गया.
इस प्रकरण में यह भी दिलचस्प है कि चिकित्सा विशेषज्ञों की राज्य उप-समिति ने भी कोरोना टीकाकरण के कारण 15 साल की किशोरी की मौत होने से इनकार किया, लेकिन वैक्सीन लगने के बाद मौत को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. बॉम्बे नगर निगम ने एक संदेश में कहा, 'हम सभी से अनुरोध करते हैं कि अफवाहों के शिकार न हों.' बीएमसी ने कहा कि अफवाहें प्रसारित न करें, फर्जी खबरों के दुष्चक्र से बचें.'
बता दें कि भारत में 15-18 वर्ष की आयु के बच्चों का कोरोना टीकाकरण 3 जनवरी से शुरू हुआ है. अब तक 3,68,55,963 किशोर बच्चों को कोविड-19 टीके की पहली डोज लगाई जा चुकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना टीकाकरण से संबंधित प्रोटोकॉल स्थापित किए हैं. प्रोटोकॉल के तहत कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले किशोरों को पर टीके का दुष्प्रभाव (adverse event following immunization-AEFI) देखने के लिए वैक्सीन लगवाने के बाद आधे घंटे इंतजार कराया जाएगा. यह कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज की पात्रता के लिए अनिवार्य है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार आंकड़ों के अनुसार, भारत में कुल वैक्सीनेशन के 0.005 प्रतिशत मामलों में AEFI रिपोर्ट की गई है.
इस संबंध में स्वास्थ्य मामलों की जानकार डॉ सुनीला गर्ग ने बताया कि भारत में प्रयोग किए जा रहे Covid-19 टीके सुरक्षित हैं. गर्ग ने कहा, वर्तमान में किशोरों को कोवैक्सीन लगाई जा रही है. यह सुरक्षित है क्योंकि वैक्सीन को होल-विरियन इनएक्टिवेटेड वीरो सेल प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी (Whole-Virion Inactivated Vero Cell derived platform technology) पर विकसित की गई है.'
डॉ गर्ग ने कहा कि मौत के कारण का पता लगाने के लिए उचित मौखिक शव परीक्षण जरूरी (proper verbal autopsy necessary) है. बता दें कि डॉ गर्ग वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (OMAG) की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.