छिंदवाड़ा। जिस महिला मजदूर ने कभी प्रधानमंत्री को टीवी पर ठीक से देखा भी नहीं और लाल किला का नाम तो उसने सुना भी नहीं था. ऐसे में अगर लाल किला में प्रधानमंत्री के साथ बतौर विशिष्ट अतिथि बनाकर बुलाया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. यह कहानी है छिंदवाड़ा जिले के नरसला ग्राम पंचायत की रहने वाली मनरेगा मजदूर बतसिया यदुवंशी की. आखिर क्यों स्वतंत्रता दिवस समारोह में महिला मजदूर को विशिष्ट अतिथि के तौर पर लाल किले में शिरकत करने का न्योता आया है, जानिए.
स्वतंत्रता दिवस समारोह में लाल किला में बनेगी विशिष्ट मेहमान: मोहखेड़ जनपद पंचायत के नरसला ग्राम पंचायत की रहने वाली बतसिया बाई यदुवंशी का परिवार मजदूरी करके जिंदगी की गुजर बसर करता है. नरसला में मनरेगा के तहत भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अमृत सरोवर का निर्माण किया जा रहा था. इसी में बतसिया बाई यदुवंशी ने मजदूरी की, सरकारी नियम के अनुसार मनरेगा में 100 दिन का रोजगार मजदूरों को दिया जाता है. इसी के चलते बतसिया बाई ने सबसे ज्यादा मानव दिवस 95 दिन की मजदूरी की. इसी के एवज में भारत सरकार ने तोहफा देते हुए बतासिया बाई को दिल्ली के लाल किला में आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य आयोजन में विशिष्ट अतिथि बनाकर बुलाया है.
PM से मिलकर गांव के विकास के लिए मांगूंगी सौगात: बतसिया बाई यदुवंशी ने ईटीवी भारत को बताया कि "मजदूरी करते हुए उनका बुढ़ापा आ गया, पूरा परिवार मजदूरी करके ही जीवन बसर करता है. अचानक जब उन्हें ग्राम पंचायत सचिव और रोजगार सहायक में जानकारी दी कि उन्हें दिल्ली जाकर स्वतंत्रता दिवस समारोह के कार्यक्रम में शामिल होना है, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. बतसिया बाई बताती हैं कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें ऐसा मौका मिलेगा, लेकिन अब जब उन्हें बुलाया है तो वे दिल्ली जाएंगी और अगर प्रधानमंत्री से बात करने का मौका मिला तो गांव के विकास के लिए चर्चा करूंगी."
विशेष ड्रेस कोड में होंगी शामिल: ग्राम पंचायत सचिव महेंद्र भावरकर ने बताया कि "भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा नई दिल्ली में 15 अगस्त 2023 को आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में मिशन अमृत सरोवर में काम करने वाले श्रमिकों को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. है. मोहखेड़ जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत नरसला से बतसिया बाई पति श्रीचंद का चयन किया गया है. ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कार्यक्रम में भाग लेने वाले मजदूरों के लिये ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है. जिसके अनुसार महिला अतिथियों के लिये सफेद चूड़ीदार सूट, 3 कलर का स्टॉल व पुरुष अतिथियों के लिये सफेद कुर्ता पजामा और 3 कलर का स्टॉल पहनना है."
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अमृत सरोवर योजना में हरेक जिले में 75 तालाबों का हुआ है निर्माण: आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न के हिस्से के रूप में, देश भर के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों को विकसित और पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर मिशन शुरू किया गया था. मिशन का लक्ष्य कुल 50,000 जल निकायों का निर्माण करना था. जिनमें से प्रत्येक लगभग एक एकड़ या उससे अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जो जल संसाधनों के संरक्षण और संवर्द्धन में योगदान देगा.
हर साल जिले में बनाए जाएंगे 75 तालाब: बरसाती पानी के संरक्षण और भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए अब अमृत सरोवर योजना पर काम शुरू हुआ है. योजना है कि हर जिले में ऐसे 75 तालाब बनाए जाएंगे. इसके निर्माण और रखरखाव का खर्च महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून और ग्रामीण विकास की दूसरी योजनाओं की मदद से पूरा किया जाना है. अमृत सरोवर योजना का उद्देश्य तालाबों को पुनर्जीवित करना, उन्हें पर्यटन के लिए आकर्षक बनाना, उनका सौंदर्यीकरण करना, तालाब के चारों ओर रोशनी करना, तालाब के चारों ओर पेड़ लगाना और स्वच्छता बनाए रखना और लोगों को तालाबों के महत्व के बारे में जागरूक करना है. देश में भूमिगत जल का स्तर काफी गिरता जा रहा है. ऐसे में हमें सिंचाई के लिए, पीने के लिए एवं उद्योगों के लिए पानी का संकट पैदा हो गया है. पानी के मुख्य स्रोत सूखे जा रहे हैं. वर्षा जल का संरक्षण नहीं हो पा रहा है. वर्षा जल के संरक्षण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक तालाब अब खत्म होते जा रहे हैं, इसलिए सरकार द्वारा पेयजल संकट से निपटने के लिए अमृत सरोवर योजना लाई गई.