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नवरात्र के पहले दिन नवसंवत्सर की शुरुआत, राजा बुध और मंत्री शुक्र की दोस्ती से आएगी खुशहाली

चैत्र नवरात्र की शुरुआत के साथ ही राजा बुध और मंत्री शुक्र की दोस्ती से कई राशियों के लिए खुशहाली आने के संकेत हैं. लेकिन, कुछ राशि के जातकों को कुछ उपाय करने होंगे, जिससे उनके लिए यह साल शुभकारी और लाभकारी हो.

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Published : Mar 21, 2023, 12:33 PM IST

जानकारी देते ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री

वाराणसी: चैत्र नवरात्र की शुरुआत 22 मार्च यानी बुधवार से हो रही है. 9 दिनों तक माता की भक्ति में लीन रहने के साथ ही यह नवरात्र सनातन धर्म के लिए नवसंवत्सर के रूप में भी जाना जाता है. नवसंवत्सर यानी हिंदू धर्म में नए साल की शुरुआत. इसे सनातन धर्म में रितु और नए महीने के साथ ही तमाम चीजों की शुरुआत भी मानी जाती है. इस दिन को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. लेकिन, नवसंवत्सर की शुरुआत और ग्रह मंडल में ग्रहों के नए मंत्रिमंडल की मौजूदगी नई रूपरेखा भी निर्धारित करती है. जानिए यह नया साल कैसा होगा. साथ ही सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से इसका विभिन्न राशियों पर क्या असर देखने को मिलेगा.

ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री का कहना है कि विक्रमी नवसंवत्सर 2080 शाके 1945 संवत्सर का नाम नल होगा. इसके राजा बुध होंगे और मंत्री शुक्र होंगे. जबकि, धनेश सूर्य और फलेश गुरु हैं. सनातन धर्म में नया साल चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ होता है. इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का आरंभ 22 मार्च 2023 को हो रहा है. राजा और मंत्री में मित्रता होने से सत्ता पक्ष में सरलता पूर्वक कार्य होगा. लेकिन अगर भारतवर्ष की कुंडली का विचार किया जाए तो लग्नेश बुध अष्टम भाव में राहु के साथ विद्यमान है. यह वर्ष विश्व शांति और भारत के लिए उत्तम नहीं माना जाएगा. क्योंकि बुध और राहु का योग बुध ग्रहण योग के भाव से माना जाता है. द्वितीय भाव पर राहु की दृष्टि होने से प्रभाव बस कुछ राष्ट्रों में अंतरिक्ष स्थितियां बिगड़ेगी. कुंडली में तृतीय अपने अष्टम भाव में है. इसलिए पड़ोसियों से संबंध अच्छे नहीं रहेंगे. भारत में रक्त संचार का संघार का परिणाम दिखाई देगा.

आर्थिक दृष्टि पर विचार: आचार्य दैवज्ञ का कहना है कि भारतवर्ष की आर्थिक आधार पर कुंडली को देखा जाए तो विश्व व्यापार के साथ-साथ में आकस्मिक मंदी की स्थिति दिखाई पड़ रही है. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहेंगे. उन्होंने बताया कि लग्नेश अष्टम भाव में है, जबकि बरस का राजा बुध शनि से दृष्ट है. इस स्थिति के अनुसार उग्रवाद आतंकवादी ताकतों का भारत के हर भाग में प्रसार होगा. वाहन दुर्घटना एवं अंतरिक्ष उत्पाद विस्फोट और जनतंत्र की हानि भी संभव है. विचार किया जाए तो कहीं-कहीं पर प्राकृतिक आपदा जन धन हानि भी संभव है. विरोधी दलों का वर्चस्व बढ़ेगा. नया कानून व्यवस्था बनने की उम्मीद है. भारतवर्ष की कुंडली में गुरु पंचमेश पंच मस्त हैं, शनि से मंगल का नवपंचम योग बन रहा है. जिससे भारत की राजनीति में विशेष कानून व्यवस्था लागू होगी.

आचार्य दैवज्ञ के अनुसार, 16 से 31 मार्च के बीच बुध, शनि, राहु की स्थिति के कारण न्यायालयों ने कठोर निर्णय लिए जाने की आशंका है. 22 अप्रैल से गुरु राहु शनि की स्थिति, 10 मई से मंगल की गोचरीय स्थिति विश्वव्यापी स्तर पर प्राकृतिक प्रकोप, युद्धोन्माद, विषाणु जन्य रोग, जनाक्रोश, मूल्यवृद्धि जैसी अवांछित घटनाओं की भी आशंका है. इससे भारत भी अछूता नहीं रह सकेगा.

नए संवत्सर में बरसात का विचार: आर्द्रा प्रवेश विचार से लग्नेश मंगल नीच भाव पर स्थित हैं. गुरु राहु चांडाल योग लग्न में है. इससे अधिकांश भागों में वर्षा सामान्य रहेगी, किंतु पश्चिम भागों में वर्षा की कमी होगी. उत्तर और दक्षिणी भागों में अत्याधिक वर्षा जनजीवन अस्त व्यस्त होगा. ईशान कोण में सामान्य अग्नि कोण और आग्नेय प्रदेश में असामान्य वर्षा होगी. चार धाम के विचार से लग्नेश अष्टम में राहु के साथ हैं. सूर्य के आगे शुक्र पीछे चंद्रमा और बुध सारथी सदस्य हैं. इस कारण उत्पत्ति अच्छी होगी. कहीं वर्षा के कारण नुकसान हो सकता है और शनि के प्रभाव से प्राकृतिक प्रकोप होगें. अति वर्षण होगा, अल्प वर्शन होगा, रोग इत्यादि से किसी के कुछ भागों में हानि होगी. समुद्र में रोहिणी के बाद से अत्यंत वर्षा तथा सब अनाज फसलें अधिक मात्रा में उत्पन्न होगी.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार इस बार नव संवत्सर में ग्रहण उतने नहीं देखने को मिलेंगे, जितने बीते कई सालों से देखने को मिल रहे थे. इस बार विश्व भर में 4 ग्रहों के योग हैं. जिनमें 3 सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण है, लेकिन भारत में सिर्फ एक ग्रह जो चंद्रग्रहण के रूप में होगा. वह 26 अक्टूबर 2023 को भारतवर्ष में देखा जा सकेगा. जबकि, बाकी किसी ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होगा.

राशि अनुसार नवसंवत्सर का प्रभाव

मेषः आर्थिक समस्याएं समाप्त होंगी. लेनदेन में सावधान रहने की आवश्यकता है. उच्च रक्तचाप, हृदय, छोटी आंत में दोष एवं महिलाएं टॉन्सिल के प्रति सावधान रहें.

उपायः मंगलवार के दिन बहते हुए जल में लाल मसूर, गेहूं और लाल मिष्ठान का दान करें.

वृषः वृषभ राशि वालों के लिए यह वर्ष सामान्य सुखदायक रहेगा. संतान का उत्तम सुख होगा. नए व्यक्तियों का सहयोग मिलेगा. व्यवसाय और नौकरी दोनों के लिए ही उत्तम योग बन रहा है. कागजी कार्य में सावधानी रखें अन्यथा बड़ा नुकसान होने के योग बन रहे हैं.

उपायः घर में चांदी के गिलास में जल का सेवन करें, शुक्रवार के दिन संपूर्ण श्रृंगार सामग्री पीला वस्त्र सहित सुहागन स्त्रियों को दान करें.

मिथुनः भाग्य आपका साथ दे रहा है. सामाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी, नौकरी में पदोन्नति की संभावनाएं बनेंगी. अनिद्रा, मासिक धर्म से जुड़े रोग और स्किन एलर्जी के साथ ही दुर्घटना होने या झगड़ा होने के योग बन रहे हैं.

उपायः बुधवार के दिन हरे कपड़े में अपामार्ग की जड़ को धारण करें.

कर्कः मानसिक अशांति शत्रु बाधा कार्यों में रुकावट वाद-विवाद आपके कार्यों में देरी कराएगा. आर्थिक समस्याएं रहेगी. अत: किसी भी प्रकार के निवेश से बचने का प्रयास करें. इस वर्ष स्वास्थ्य को लेकर विशेष तौर पर सावधान रहें.उपाय - सोमवार के दिन चिड़ियों एवं चीटियों को चावल खिलाएं.

सिंहः विशेष आर्थिक लाभ प्राप्त होंगे. विदेश यात्राओं से भी कार्यक्षेत्र में लाभ प्राप्त करेंगे. कोई सहकर्मी आपकी प्रतिष्ठा पर लांछन लगा सकता है. विभिन्न रोगों के कारण परेशान रहेंगे.

उपायः रविवार के दिन केसर, लाल वस्त्र, मसूर और लाल फल का दान करें.

कन्याः इस राशि वालों के लिए यह वर्ष मध्यम रहेगा. कार्यों में रुकावट मन अशांत होगा. विवाद से बचें, किंतु आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, माता के स्वास्थ्य को लेकर सावधान रहें. इस वर्ष आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा. परंतु बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर परेशान हो सकते हैं. नए मकान वाहन के योग हैं.

उपायः अपने साथ में हरा पेन, हरा रुमाल रखें और वो किसी को ना दें.

तुलाः आर्थिक लाभ के योग बन रहे हैं, लेकिन जून माह के बाद सहकर्मियों से संबंध बिगड़ने की आशंका है. माता को स्वास्थ्य समस्याएं रहेंगी. यात्राओं में सावधानी रखें. दुर्घटना के योग बन रहे हैं. साथ साथ में वाद विवाद से बचे.

उपायः शुक्रवार के दिन चावल आटा एवं सफेद पेड़े का दान करें.

वृश्चिकः वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि की ढैया का प्रकोप है, मानसिक कष्ट है. कार्य पूर्व में बिगड़ जाएंगे. निराशा होगी. चोट की आशंका बनी रहेगी. राजनीतिक समाज से जुड़े लोगों के लिए सफलता मिलने की उम्मीदें हैं. सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी और परिवार में प्रसन्नता रहेगी. लेकिन, भावुक होकर कुछ कहने से पहले थोड़ा ध्यान से सोचें. वेतन बढ़ेगा तो वहीं, रुका हुआ धन भी वापस आएगा. रोगों से सचेत रहने की आवश्यकता है.

उपायः मंगलवार के दिन लाल चंदन लाल अक्षत और लाल सिंदूर का दान करें.

धनुः आपको वरिष्ठ अधिकारियों की कृपा प्राप्त होगी. तो वहीं, जो बेरोजगार हैं. उन्हें रोजगार मिलेगा. पुरानी चली आ रही बीमारियां दूर होंगी. पंचम में राहु आपको पेट की समस्याएं दे सकता है. व्यर्थ पर वाद-विवाद आर्थिक लेन-देन में बाधाएं आएंगी.

उपायः जातक को केला पीला वस्त्र और पीला फल का दान करें. कढ़ी का भोग लगाएं.

मकरः मकर राशि वालों के लिए इस वर्ष शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. वाहन से चोट चपेट की संभावना रहेगी. वाद विवाद के कारण मन अशांत रहेगा. कार्यक्षेत्र में उच्चाधिकारियों से प्रशंसा के साथ ही धन लाभ प्राप्त होगा. माता एवं पत्नी के स्वास्थ्य के कारण चिंता रहेगी. मन में हीनभावना आएगी, जिससे रोग होने की संभावना है.

उपायः हनुमान जी को शनिवार के दिन लाल सिंदूर अर्पित करें.

कुंभः इस राशि वालों के लिए इस वर्ष शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. सगे संबंधियों से विवाद हो सकता है. हड्डी और उदर से संबंधित रोग हो सकते हैं. आर्थिक मामलों में सावधान रहने की जरूरत है. छोटे भाई-बहन का सहयोग प्राप्त होगा. रोगों के कारण परेशान रहेंगे. परीक्षा में सफल होने के लिए अधिक परिश्रम की आवश्यकता होगी.

उपायः शनिवार के दिन काला तिल काला उड़द काला वस्त्र का दान करें.

मीनः मीन राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि की साढ़ेसाती का पूर्ण प्रभाव रहेगा. कारोबार में गिरावट हो सकती है. मानसिक कष्ट हो सकता है यात्रा से चोट चपेट परिवार से वाद-विवाद वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा और परिवार में उमंग का वातावरण रहेगा. आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा. परन्तु यात्रा करते हुए सावधान रहें दुर्घटना के योग हैं.

उपायः अपने दाहिने बाजू में कच्ची हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बृहस्पतिवार के दिन धारण करें.

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जानकारी देते ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री

वाराणसी: चैत्र नवरात्र की शुरुआत 22 मार्च यानी बुधवार से हो रही है. 9 दिनों तक माता की भक्ति में लीन रहने के साथ ही यह नवरात्र सनातन धर्म के लिए नवसंवत्सर के रूप में भी जाना जाता है. नवसंवत्सर यानी हिंदू धर्म में नए साल की शुरुआत. इसे सनातन धर्म में रितु और नए महीने के साथ ही तमाम चीजों की शुरुआत भी मानी जाती है. इस दिन को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूप में मनाया जाता है. लेकिन, नवसंवत्सर की शुरुआत और ग्रह मंडल में ग्रहों के नए मंत्रिमंडल की मौजूदगी नई रूपरेखा भी निर्धारित करती है. जानिए यह नया साल कैसा होगा. साथ ही सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से इसका विभिन्न राशियों पर क्या असर देखने को मिलेगा.

ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री का कहना है कि विक्रमी नवसंवत्सर 2080 शाके 1945 संवत्सर का नाम नल होगा. इसके राजा बुध होंगे और मंत्री शुक्र होंगे. जबकि, धनेश सूर्य और फलेश गुरु हैं. सनातन धर्म में नया साल चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ होता है. इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का आरंभ 22 मार्च 2023 को हो रहा है. राजा और मंत्री में मित्रता होने से सत्ता पक्ष में सरलता पूर्वक कार्य होगा. लेकिन अगर भारतवर्ष की कुंडली का विचार किया जाए तो लग्नेश बुध अष्टम भाव में राहु के साथ विद्यमान है. यह वर्ष विश्व शांति और भारत के लिए उत्तम नहीं माना जाएगा. क्योंकि बुध और राहु का योग बुध ग्रहण योग के भाव से माना जाता है. द्वितीय भाव पर राहु की दृष्टि होने से प्रभाव बस कुछ राष्ट्रों में अंतरिक्ष स्थितियां बिगड़ेगी. कुंडली में तृतीय अपने अष्टम भाव में है. इसलिए पड़ोसियों से संबंध अच्छे नहीं रहेंगे. भारत में रक्त संचार का संघार का परिणाम दिखाई देगा.

आर्थिक दृष्टि पर विचार: आचार्य दैवज्ञ का कहना है कि भारतवर्ष की आर्थिक आधार पर कुंडली को देखा जाए तो विश्व व्यापार के साथ-साथ में आकस्मिक मंदी की स्थिति दिखाई पड़ रही है. शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहेंगे. उन्होंने बताया कि लग्नेश अष्टम भाव में है, जबकि बरस का राजा बुध शनि से दृष्ट है. इस स्थिति के अनुसार उग्रवाद आतंकवादी ताकतों का भारत के हर भाग में प्रसार होगा. वाहन दुर्घटना एवं अंतरिक्ष उत्पाद विस्फोट और जनतंत्र की हानि भी संभव है. विचार किया जाए तो कहीं-कहीं पर प्राकृतिक आपदा जन धन हानि भी संभव है. विरोधी दलों का वर्चस्व बढ़ेगा. नया कानून व्यवस्था बनने की उम्मीद है. भारतवर्ष की कुंडली में गुरु पंचमेश पंच मस्त हैं, शनि से मंगल का नवपंचम योग बन रहा है. जिससे भारत की राजनीति में विशेष कानून व्यवस्था लागू होगी.

आचार्य दैवज्ञ के अनुसार, 16 से 31 मार्च के बीच बुध, शनि, राहु की स्थिति के कारण न्यायालयों ने कठोर निर्णय लिए जाने की आशंका है. 22 अप्रैल से गुरु राहु शनि की स्थिति, 10 मई से मंगल की गोचरीय स्थिति विश्वव्यापी स्तर पर प्राकृतिक प्रकोप, युद्धोन्माद, विषाणु जन्य रोग, जनाक्रोश, मूल्यवृद्धि जैसी अवांछित घटनाओं की भी आशंका है. इससे भारत भी अछूता नहीं रह सकेगा.

नए संवत्सर में बरसात का विचार: आर्द्रा प्रवेश विचार से लग्नेश मंगल नीच भाव पर स्थित हैं. गुरु राहु चांडाल योग लग्न में है. इससे अधिकांश भागों में वर्षा सामान्य रहेगी, किंतु पश्चिम भागों में वर्षा की कमी होगी. उत्तर और दक्षिणी भागों में अत्याधिक वर्षा जनजीवन अस्त व्यस्त होगा. ईशान कोण में सामान्य अग्नि कोण और आग्नेय प्रदेश में असामान्य वर्षा होगी. चार धाम के विचार से लग्नेश अष्टम में राहु के साथ हैं. सूर्य के आगे शुक्र पीछे चंद्रमा और बुध सारथी सदस्य हैं. इस कारण उत्पत्ति अच्छी होगी. कहीं वर्षा के कारण नुकसान हो सकता है और शनि के प्रभाव से प्राकृतिक प्रकोप होगें. अति वर्षण होगा, अल्प वर्शन होगा, रोग इत्यादि से किसी के कुछ भागों में हानि होगी. समुद्र में रोहिणी के बाद से अत्यंत वर्षा तथा सब अनाज फसलें अधिक मात्रा में उत्पन्न होगी.

आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार इस बार नव संवत्सर में ग्रहण उतने नहीं देखने को मिलेंगे, जितने बीते कई सालों से देखने को मिल रहे थे. इस बार विश्व भर में 4 ग्रहों के योग हैं. जिनमें 3 सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण है, लेकिन भारत में सिर्फ एक ग्रह जो चंद्रग्रहण के रूप में होगा. वह 26 अक्टूबर 2023 को भारतवर्ष में देखा जा सकेगा. जबकि, बाकी किसी ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होगा.

राशि अनुसार नवसंवत्सर का प्रभाव

मेषः आर्थिक समस्याएं समाप्त होंगी. लेनदेन में सावधान रहने की आवश्यकता है. उच्च रक्तचाप, हृदय, छोटी आंत में दोष एवं महिलाएं टॉन्सिल के प्रति सावधान रहें.

उपायः मंगलवार के दिन बहते हुए जल में लाल मसूर, गेहूं और लाल मिष्ठान का दान करें.

वृषः वृषभ राशि वालों के लिए यह वर्ष सामान्य सुखदायक रहेगा. संतान का उत्तम सुख होगा. नए व्यक्तियों का सहयोग मिलेगा. व्यवसाय और नौकरी दोनों के लिए ही उत्तम योग बन रहा है. कागजी कार्य में सावधानी रखें अन्यथा बड़ा नुकसान होने के योग बन रहे हैं.

उपायः घर में चांदी के गिलास में जल का सेवन करें, शुक्रवार के दिन संपूर्ण श्रृंगार सामग्री पीला वस्त्र सहित सुहागन स्त्रियों को दान करें.

मिथुनः भाग्य आपका साथ दे रहा है. सामाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी, नौकरी में पदोन्नति की संभावनाएं बनेंगी. अनिद्रा, मासिक धर्म से जुड़े रोग और स्किन एलर्जी के साथ ही दुर्घटना होने या झगड़ा होने के योग बन रहे हैं.

उपायः बुधवार के दिन हरे कपड़े में अपामार्ग की जड़ को धारण करें.

कर्कः मानसिक अशांति शत्रु बाधा कार्यों में रुकावट वाद-विवाद आपके कार्यों में देरी कराएगा. आर्थिक समस्याएं रहेगी. अत: किसी भी प्रकार के निवेश से बचने का प्रयास करें. इस वर्ष स्वास्थ्य को लेकर विशेष तौर पर सावधान रहें.उपाय - सोमवार के दिन चिड़ियों एवं चीटियों को चावल खिलाएं.

सिंहः विशेष आर्थिक लाभ प्राप्त होंगे. विदेश यात्राओं से भी कार्यक्षेत्र में लाभ प्राप्त करेंगे. कोई सहकर्मी आपकी प्रतिष्ठा पर लांछन लगा सकता है. विभिन्न रोगों के कारण परेशान रहेंगे.

उपायः रविवार के दिन केसर, लाल वस्त्र, मसूर और लाल फल का दान करें.

कन्याः इस राशि वालों के लिए यह वर्ष मध्यम रहेगा. कार्यों में रुकावट मन अशांत होगा. विवाद से बचें, किंतु आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, माता के स्वास्थ्य को लेकर सावधान रहें. इस वर्ष आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा. परंतु बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर परेशान हो सकते हैं. नए मकान वाहन के योग हैं.

उपायः अपने साथ में हरा पेन, हरा रुमाल रखें और वो किसी को ना दें.

तुलाः आर्थिक लाभ के योग बन रहे हैं, लेकिन जून माह के बाद सहकर्मियों से संबंध बिगड़ने की आशंका है. माता को स्वास्थ्य समस्याएं रहेंगी. यात्राओं में सावधानी रखें. दुर्घटना के योग बन रहे हैं. साथ साथ में वाद विवाद से बचे.

उपायः शुक्रवार के दिन चावल आटा एवं सफेद पेड़े का दान करें.

वृश्चिकः वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि की ढैया का प्रकोप है, मानसिक कष्ट है. कार्य पूर्व में बिगड़ जाएंगे. निराशा होगी. चोट की आशंका बनी रहेगी. राजनीतिक समाज से जुड़े लोगों के लिए सफलता मिलने की उम्मीदें हैं. सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी और परिवार में प्रसन्नता रहेगी. लेकिन, भावुक होकर कुछ कहने से पहले थोड़ा ध्यान से सोचें. वेतन बढ़ेगा तो वहीं, रुका हुआ धन भी वापस आएगा. रोगों से सचेत रहने की आवश्यकता है.

उपायः मंगलवार के दिन लाल चंदन लाल अक्षत और लाल सिंदूर का दान करें.

धनुः आपको वरिष्ठ अधिकारियों की कृपा प्राप्त होगी. तो वहीं, जो बेरोजगार हैं. उन्हें रोजगार मिलेगा. पुरानी चली आ रही बीमारियां दूर होंगी. पंचम में राहु आपको पेट की समस्याएं दे सकता है. व्यर्थ पर वाद-विवाद आर्थिक लेन-देन में बाधाएं आएंगी.

उपायः जातक को केला पीला वस्त्र और पीला फल का दान करें. कढ़ी का भोग लगाएं.

मकरः मकर राशि वालों के लिए इस वर्ष शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. वाहन से चोट चपेट की संभावना रहेगी. वाद विवाद के कारण मन अशांत रहेगा. कार्यक्षेत्र में उच्चाधिकारियों से प्रशंसा के साथ ही धन लाभ प्राप्त होगा. माता एवं पत्नी के स्वास्थ्य के कारण चिंता रहेगी. मन में हीनभावना आएगी, जिससे रोग होने की संभावना है.

उपायः हनुमान जी को शनिवार के दिन लाल सिंदूर अर्पित करें.

कुंभः इस राशि वालों के लिए इस वर्ष शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा. सगे संबंधियों से विवाद हो सकता है. हड्डी और उदर से संबंधित रोग हो सकते हैं. आर्थिक मामलों में सावधान रहने की जरूरत है. छोटे भाई-बहन का सहयोग प्राप्त होगा. रोगों के कारण परेशान रहेंगे. परीक्षा में सफल होने के लिए अधिक परिश्रम की आवश्यकता होगी.

उपायः शनिवार के दिन काला तिल काला उड़द काला वस्त्र का दान करें.

मीनः मीन राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि की साढ़ेसाती का पूर्ण प्रभाव रहेगा. कारोबार में गिरावट हो सकती है. मानसिक कष्ट हो सकता है यात्रा से चोट चपेट परिवार से वाद-विवाद वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा और परिवार में उमंग का वातावरण रहेगा. आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा. परन्तु यात्रा करते हुए सावधान रहें दुर्घटना के योग हैं.

उपायः अपने दाहिने बाजू में कच्ची हल्दी की गांठ पीले कपड़े में बृहस्पतिवार के दिन धारण करें.

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