लंदन : पी फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNtech) की कोरोना वैक्सीन को यूके की मंजूरी मिल चुकी है. यह वैक्सीन अगले हफ्ते से देशभर में उपलब्ध करा दी जाएगी.
बता दें नवंबर की शुरुआत में महामारी से बचाव के लिए दवा निर्माण में जुटी बहुराष्ट्रीय कंपनी पी फाइजर ने यह एलान किया था कि तीसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल में उन्हें बड़ी सफलता मिली है.
इससे पहले दवा कंपनी फाइजर ने कहा था कि उनका कोरोना वायरस का टीका 95 प्रतिशत तक कारगर है. कंपनी ने कहा कि प्राथमिक विश्लेषण से पता चलता है कि वैक्सीन की पहली खुराक के 28 दिनों के अंदर यह अपना प्रभाव दिखाने लगता है.
18 नवंबर को फाइजर और उसके जर्मन पार्टनर बायोएनटेक ने अंतरिम परिणामों का एक दूसरा बैच जारी किया, जिसमें कहा गया था कि उसका कोरोना वायरस का टीका 95 प्रतिशत तक कारगर है. यह बुजुर्ग लोगों को वायरस का शिकार होने के जोखिम से भी बचाता है.
कंपनी ने कहा कि प्राथमिक विश्लेषण से पता चलता है कि वैक्सीन की पहली खुराक के 28 दिनों के अंदर यह अपना प्रभाव दिखाने लगता है. ट्रायल के दौरान कोविड-19 के 170 पुष्ट मामलों का मूल्यांकन किया गया.
ये घोषणा 9 नवंबर को फाइजर की पहली धमाकेदार घोषणा के एक हफ्ते बाद आई थी, जब इसने कहा था कि इसका टीका 90 प्रतिशत तक प्रभावी है.
पहला परिणाम 43,000 से अधिक स्वयंसेवकों में से चुने गए 100 से कम संक्रमित मरीजों के विश्लेषण पर आधारित था.
फाइजर-बायोएनटेक ने टीका बनाने के लिए एमआरएनए तकनीक का उपयोग किया है, जिसका अर्थ है कि वैक्सीन का शॉट लेने से कोविड-19 होने का कोई जोखिम नहीं है.
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भारत के लिए चुनौती है यह वैक्सीन
इससे पहले एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया था कि दवा कंपनी पी-फाइजर द्वारा विकसित संभावित कोविड-19 टीके के भंडारण के लिए शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस कम तापमान की आवश्यकता होती है. यह भारत जैसे विकासशील देशों, खास तौर से कस्बों और ग्रामीण इलाकों में टीके की आपूर्ति के लिए बड़ी चुनौती है.
गुलेरिया का कहना था कि भारत में ज्यादार टीकों को दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जाता है. देश के ज्यादातर हिस्सों में कोल्ड चेन में सबसे कम शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे तक के तापमान में टीके रखे जा सकते हैं.