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महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड में मौजूदा मुख्यमंत्री संभाल सकते हैं पार्टी की कमान - assembly election

भाजपा के शासन वाले इन तीनों राज्यों में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों में पार्टी के मौजूदा मुख्यमंत्री पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं.

देवेंद्र फडणवीस, रघुबरदास और खट्टर
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Published : Aug 19, 2019, 5:42 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:34 AM IST

नई दिल्ल: भाजपा शासित महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव भगवा पार्टी के अपने मौजूदा मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व के तहत लड़ने की संभावना है. यह जानकारी पार्टी के नेताओं ने दी.

भाजपा के शासन वाले इन तीनों राज्यों में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को हरियाणा में एक रैली में संभवत: यह स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस पद के लिए एक बार फिर पार्टी की पंसद होंगे.

वहीं, सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस और झारखंड के रघुवर दास अपने-अपने राज्यों में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.

हरियाणा के जींद में एक रैली में शाह ने मनोहर लाल खट्टर सरकार की वापसी के लिए मतदाताओं से 90 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 75 सीटें देने का अनुरोध किया.

पार्टी के एक नेता ने कहा,सभी तीनों मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में पांच साल शासन किया है। यदि भाजपा सत्ता में लौटी तो सरकार का नेतृत्व करने के लिए वे स्वभाविक पंसद होंगे.

गौरतलब है कि भाजपा ने इन तीनों राज्यों में पिछला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये बगैर लड़ा था और चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद ही मुख्यमंत्रियों की घोषणा की थी.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया, चाहे वह खट्टर, फडणवीस या दास हों, सभी ने लोगों के बीच एक साफ सुथरी छवि बनाई है.

भगवा दल मोदी कैबिनेट के हालिया फैसलों को मिले जन समर्थन, अपनी सरकारों के कामकाज और विपक्षी खेमे में एकजुटता के अभाव के चलते इन तीनों राज्यों में सत्ता में काबिज रहने के प्रति आश्वस्त है.

पढ़ें- लद्दाख के प्रमुख नेताओं ने केन्द्र सरकार से की आदिवसी क्षेत्रों को बचाने की अपील

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बनी हुई है. उनकी लोकप्रियता के चलते ही 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था.

पार्टी का मानना है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को लोगों का समर्थन मिला, जिसके चलते कई विपक्षी नेताओं को भी इसका समर्थन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

नई दिल्ल: भाजपा शासित महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव भगवा पार्टी के अपने मौजूदा मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व के तहत लड़ने की संभावना है. यह जानकारी पार्टी के नेताओं ने दी.

भाजपा के शासन वाले इन तीनों राज्यों में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को हरियाणा में एक रैली में संभवत: यह स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस पद के लिए एक बार फिर पार्टी की पंसद होंगे.

वहीं, सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस और झारखंड के रघुवर दास अपने-अपने राज्यों में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे.

हरियाणा के जींद में एक रैली में शाह ने मनोहर लाल खट्टर सरकार की वापसी के लिए मतदाताओं से 90 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 75 सीटें देने का अनुरोध किया.

पार्टी के एक नेता ने कहा,सभी तीनों मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में पांच साल शासन किया है। यदि भाजपा सत्ता में लौटी तो सरकार का नेतृत्व करने के लिए वे स्वभाविक पंसद होंगे.

गौरतलब है कि भाजपा ने इन तीनों राज्यों में पिछला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये बगैर लड़ा था और चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद ही मुख्यमंत्रियों की घोषणा की थी.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया, चाहे वह खट्टर, फडणवीस या दास हों, सभी ने लोगों के बीच एक साफ सुथरी छवि बनाई है.

भगवा दल मोदी कैबिनेट के हालिया फैसलों को मिले जन समर्थन, अपनी सरकारों के कामकाज और विपक्षी खेमे में एकजुटता के अभाव के चलते इन तीनों राज्यों में सत्ता में काबिज रहने के प्रति आश्वस्त है.

पढ़ें- लद्दाख के प्रमुख नेताओं ने केन्द्र सरकार से की आदिवसी क्षेत्रों को बचाने की अपील

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बनी हुई है. उनकी लोकप्रियता के चलते ही 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था.

पार्टी का मानना है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को लोगों का समर्थन मिला, जिसके चलते कई विपक्षी नेताओं को भी इसका समर्थन करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

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Last Updated : Sep 27, 2019, 11:34 AM IST
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