ETV Bharat / bharat

गोडसे ने यहीं रची थी गांधी की हत्या की साजिश - गांधी की हत्या की साजिश

इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाई जा रही है. इस अवसर पर ईटीवी भारत दो अक्टूबर तक हर दिन उनके जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा कर रहा है. साथ ही प्रतिदिन उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों की प्रस्तुति दे रहे हैं. प्रस्तुत है आज 17वीं कड़ी.

महात्मा गांधी
author img

By

Published : Sep 1, 2019, 7:03 AM IST

Updated : Sep 29, 2019, 1:06 AM IST

ग्वालियर: 30 जनवरी 1948 की शाम आज तक सबसे मनहूस मानी जाती है, क्योंकि इसी शाम दिल्ली के बिड़ला भवन में चली गोली की आवाज ने पूरे देश को 'खामोश' कर दिया था. उस दिन गोड्से की पिस्तौल से निकली गोलियों ने मानवता को मौत की नींद सुला दिया था. जिसने अहिंसा की विचारधारा पर प्रतिघात किया था. उस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर गोली चलाई गई थी. जिसकी पटकथा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में लिखी गई थी.

गांधी की 150वीं जयंती पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ग्वालियर में शिंदे की छावनी वो जगह थी, जहां से पिस्टल खरीदी गई थी और यहीं पर हत्यारे को एक महात्मा की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया था. एक असफल प्रयास के बाद नाथूराम गोडसे ग्वालियर पहुंचा, जहां हिंदू महासभा के नेताओं की मदद से 500 रुपये में पिस्टल खरीदा और ट्रेनिंग लेकर 29 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंच गया, फिर शाम होते ही तीन गोलियां बापू के सीने में उतार दी. गोली की इस गूंज से पूरे देश में सन्नाटा छा गया. चारों ओर अफरा तफरी मच गयी. पूरा देश आंसुओं में डूब गया, जबकि हिंदू महासभा इस हत्या को अपनी जीत मानकर बेहद खुश था.

ग्वालियर शुरू से ही हिंदू महासभा का गढ़ रहा है, जहां आज भी गोडसे को भगवान की तरह पूजा जाता है. उन दिनों गोडसे के सहयोगी ग्वालियर आते-जाते रहते थे. 20 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या की नाकाम कोशिश के बाद गोडसे ग्वालियर आ गये और अपने साथियों के बदले खुद ही गांधीजी की जान लेने की तैयारी करने लगे.

गांधीजी की हत्या करने में गोड्से की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परिचित गंगाधर दंडवत ने की, क्योंकि ग्वालियर रियासत में पिस्टल खरीदने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती थी. इसीलिए गोडसे ने यहीं से पिस्टल खरीदा और उसे चलाने का प्रशिक्षण भी लिया.

गोडसे की पिस्टल से निकली गोली गांधी के सीने पर लगी और इसके साथ ही चारों ओर सन्नाटा पसर गया. आसमान भी रो पड़ा. उसके अगले दिन जब मानवता का जनाजा सड़कों पर निकला, मानो गिद्धों को भोज का निमंत्रण मिल गया था. जो मानवता के जिस्म को अपनी चोंचों से नोच रहे थे, जो आज भी किसी न किसी रूप में इसी समाज में मौजूद हैं.

ग्वालियर: 30 जनवरी 1948 की शाम आज तक सबसे मनहूस मानी जाती है, क्योंकि इसी शाम दिल्ली के बिड़ला भवन में चली गोली की आवाज ने पूरे देश को 'खामोश' कर दिया था. उस दिन गोड्से की पिस्तौल से निकली गोलियों ने मानवता को मौत की नींद सुला दिया था. जिसने अहिंसा की विचारधारा पर प्रतिघात किया था. उस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर गोली चलाई गई थी. जिसकी पटकथा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में लिखी गई थी.

गांधी की 150वीं जयंती पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ग्वालियर में शिंदे की छावनी वो जगह थी, जहां से पिस्टल खरीदी गई थी और यहीं पर हत्यारे को एक महात्मा की जान लेने का प्रशिक्षण भी दिया गया था. एक असफल प्रयास के बाद नाथूराम गोडसे ग्वालियर पहुंचा, जहां हिंदू महासभा के नेताओं की मदद से 500 रुपये में पिस्टल खरीदा और ट्रेनिंग लेकर 29 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंच गया, फिर शाम होते ही तीन गोलियां बापू के सीने में उतार दी. गोली की इस गूंज से पूरे देश में सन्नाटा छा गया. चारों ओर अफरा तफरी मच गयी. पूरा देश आंसुओं में डूब गया, जबकि हिंदू महासभा इस हत्या को अपनी जीत मानकर बेहद खुश था.

ग्वालियर शुरू से ही हिंदू महासभा का गढ़ रहा है, जहां आज भी गोडसे को भगवान की तरह पूजा जाता है. उन दिनों गोडसे के सहयोगी ग्वालियर आते-जाते रहते थे. 20 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या की नाकाम कोशिश के बाद गोडसे ग्वालियर आ गये और अपने साथियों के बदले खुद ही गांधीजी की जान लेने की तैयारी करने लगे.

गांधीजी की हत्या करने में गोड्से की मदद डॉक्टर परचुरे और उनके परिचित गंगाधर दंडवत ने की, क्योंकि ग्वालियर रियासत में पिस्टल खरीदने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती थी. इसीलिए गोडसे ने यहीं से पिस्टल खरीदा और उसे चलाने का प्रशिक्षण भी लिया.

गोडसे की पिस्टल से निकली गोली गांधी के सीने पर लगी और इसके साथ ही चारों ओर सन्नाटा पसर गया. आसमान भी रो पड़ा. उसके अगले दिन जब मानवता का जनाजा सड़कों पर निकला, मानो गिद्धों को भोज का निमंत्रण मिल गया था. जो मानवता के जिस्म को अपनी चोंचों से नोच रहे थे, जो आज भी किसी न किसी रूप में इसी समाज में मौजूद हैं.

Intro:Body:Conclusion:
Last Updated : Sep 29, 2019, 1:06 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.