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शंकराचार्य मंदिर में छड़ी मुबारक का पूजन, अमरनाथ यात्रा आज से

कोरोना महामारी के बीच मंगलवार से शुरू हो रही वार्षिक अमरनाथ यात्रा इस बार कटौती के साथ सिर्फ 14 दिनों यानी तीन अगस्त (सावन पूर्णिमा) तक सीमित कर दी गई है. यात्रा की शुरुआत से एक दिन पूर्व सोमवार को हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या) के अवसर पर छड़ी मुबारक (भगवान शिव की पवित्र गदा) को ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर ले जाया गया, जहां उसका विधिवत पूजन किया गया. कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के लिए, पूजा-अर्चना में कुछ चुनिंदा साधुओं ने ही हिस्सा लिया.

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श्रावण अमावस्या के अवसर पर ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर में हुआ छड़ी मुबारक पूजन
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Published : Jul 20, 2020, 7:25 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 12:45 AM IST

श्रीनगर : वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पूर्व छड़ी मुबारक हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या) के अवसर पर सोमवार की सुबह पूजन के लिए यहां ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर ले जाई गई. इस दौरान महंत दीपेंद्र गिरि ने मंदिर में साधुओं के एक समूह का नेतृत्व करते हुए छड़ी मुबारक की पूजा-अर्चना की. शंख की ध्वनि से पूरा वातावरण गूंज उठा. देशभर से आए साधुओं और तीर्थयात्रियों के गिने-चुने समूह ने 90 मिनट से भी ज्यादा समय तक चली प्रार्थना में भाग लिया. शांति और समृद्धि के लिए सामूहिक प्रार्थना भी की गई.

महंत दीपेंद्र गिरि ने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के लिए, प्रार्थना में कुछ चुनिंदा साधुओं ने ही भाग लिया. उन्होंने कहा कि पुजारियों ने महामारी के खात्मे के लिए सामूहिक प्रार्थना भी की, ताकि दुनियाभर के लोग जल्द से जल्द अपना सामान्य और प्राकृतिक जीवन शुरू कर सकें.

शंकराचार्य मंदिर में छड़ी मुबारक का पूजन

आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बीच मंगलवार से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा इस बार कटौती के साथ सिर्फ 14 दिनों यानी तीन अगस्त (सावन पूर्णिमा) तक सीमित कर दी गई है.

भगवान की अलौकिक शक्तियों से संपन्न छड़ी को मंगलवार को शारिका भवानी मंदिर, हरि पर्वत पर ले जाया जाएगा.

हर वर्ष, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा आयोजित और प्रबंधित यात्रा लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. उनका गंतव्य अमरनाथ गुफा, जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में उच्च हिमालय में स्थित है. यात्रा का समय आम तौर पर दो महीने तक का रहता है.

पढ़ें : अमरनाथ यात्रा : एक दिन में 500 से ज्यादा तीर्थयात्रियों को इजाजत नहीं

पहलगाम सदियों से पारंपरिक मार्ग है, जिसमें सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं. हालांकि, महामारी के कारण, इस बार सोनमर्ग-बालटाल की ओर से एक गैर-पारंपरिक और छोटे मार्ग से सीमित संख्या में तीर्थयात्रियों को गुफा तक जाे की अनुमति दी जाएगी.

आधिकारिक आदेश के अनुसार इस बार प्रत्येक दिन अधिकतम 500 भक्तों को ही तीर्थयात्रा की अनुमति होगी. गौरतलब है कि बीते वर्ष पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद यह यात्रा अचानक स्थगित कर दी गई थी.

श्रीनगर : वार्षिक अमरनाथ यात्रा से पूर्व छड़ी मुबारक हरियाली अमावस्या (श्रावण अमावस्या) के अवसर पर सोमवार की सुबह पूजन के लिए यहां ऐतिहासिक शंकराचार्य मंदिर ले जाई गई. इस दौरान महंत दीपेंद्र गिरि ने मंदिर में साधुओं के एक समूह का नेतृत्व करते हुए छड़ी मुबारक की पूजा-अर्चना की. शंख की ध्वनि से पूरा वातावरण गूंज उठा. देशभर से आए साधुओं और तीर्थयात्रियों के गिने-चुने समूह ने 90 मिनट से भी ज्यादा समय तक चली प्रार्थना में भाग लिया. शांति और समृद्धि के लिए सामूहिक प्रार्थना भी की गई.

महंत दीपेंद्र गिरि ने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करने के लिए, प्रार्थना में कुछ चुनिंदा साधुओं ने ही भाग लिया. उन्होंने कहा कि पुजारियों ने महामारी के खात्मे के लिए सामूहिक प्रार्थना भी की, ताकि दुनियाभर के लोग जल्द से जल्द अपना सामान्य और प्राकृतिक जीवन शुरू कर सकें.

शंकराचार्य मंदिर में छड़ी मुबारक का पूजन

आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बीच मंगलवार से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा इस बार कटौती के साथ सिर्फ 14 दिनों यानी तीन अगस्त (सावन पूर्णिमा) तक सीमित कर दी गई है.

भगवान की अलौकिक शक्तियों से संपन्न छड़ी को मंगलवार को शारिका भवानी मंदिर, हरि पर्वत पर ले जाया जाएगा.

हर वर्ष, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा आयोजित और प्रबंधित यात्रा लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. उनका गंतव्य अमरनाथ गुफा, जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में उच्च हिमालय में स्थित है. यात्रा का समय आम तौर पर दो महीने तक का रहता है.

पढ़ें : अमरनाथ यात्रा : एक दिन में 500 से ज्यादा तीर्थयात्रियों को इजाजत नहीं

पहलगाम सदियों से पारंपरिक मार्ग है, जिसमें सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं. हालांकि, महामारी के कारण, इस बार सोनमर्ग-बालटाल की ओर से एक गैर-पारंपरिक और छोटे मार्ग से सीमित संख्या में तीर्थयात्रियों को गुफा तक जाे की अनुमति दी जाएगी.

आधिकारिक आदेश के अनुसार इस बार प्रत्येक दिन अधिकतम 500 भक्तों को ही तीर्थयात्रा की अनुमति होगी. गौरतलब है कि बीते वर्ष पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के बाद यह यात्रा अचानक स्थगित कर दी गई थी.

Last Updated : Jul 21, 2020, 12:45 AM IST
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