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MP:मेधा पाटकर सहित 11 पर नामजद FIR, करोड़ों के हेरफेर का आरोप

एमपी के बड़वानी जिले में 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' (Narmada Bachao Andolan) की नेत्री मेधा पाटकर पर नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट को मिली राशि के गबन को लेकर केस दर्ज हुआ है. शिकायतकर्ता के मुताबिक ‘नर्मदा नव निर्माण अभियान’ में बीते 14 वर्षों में करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया है. वहीं, मेधा पाटकर ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया.(FIR against Medha Patkar)

FIR against Medha Patkar
मेधा पाटकर सहित 11 के खिलाफ एफआईआर
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Published : Jul 11, 2022, 11:51 AM IST

बड़वानी। नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) की नेत्री मेधा पाटकर (Medha Patkar) सहित 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. उन पर नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट को मिली राशि में गबन करने के आरोप लगे हैं. यह आरोप बड़वानी जिले के टेम्ला के रहने वाले प्रीतम बडोले ने लगाए हैं.​ जिन लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज हैं उनमें से आशीष मंडलोई की मृत्यु 12 साल पहले हो चुकी है.

मेधा पाटकर सहित 11 के खिलाफ एफआईआर

मेघा पाटकर ने आरोपों से किया इनकार: इस मामले में मेधा पाटकर ने कहा ''अभी पुलिस की तरफ से कोई सूचना या नोटिस नहीं मिला है. हमारे पैसों का हर साल ऑडिट होता है और हमने पहले भी कई बार इसका जवाब दिया है. हम आगे भी जवाब देने के लिए तैयार हैं. शिकायत करने वाले ने किसी के बहकावे में आकर ऐसा किया होगा. जिसने यह सब किया है वह कानूनी कार्रवाई भी भुगतेगा''.

ट्रस्ट के बहाने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप: कोतवाली थाने पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर सहित 11 लोगों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. उन पर आरोप है कि उनके द्वारा चलाए जा रहे ‘नर्मदा नव निर्माण अभियान’ में बीते 14 वर्षों में करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया. जो राशि आदिवासी बच्चों को पढ़ाई के नाम पर उपयोग होना थी, उसका राष्ट्र विरोधी और अन्य गतिविधियों (Anti National Activities) में उपयोग किया गया. जिले के टेमला के रहने वाले युवक प्रीतम राज बड़ोले ने दर्ज कराई FIR में लिखा कि 14 साल में 13 करोड़ से अधिक की राशि इस ट्रस्ट को मिली, पर राशि के स्त्रोत और व्यय का स्पष्ट खुलासा नहीं किया गया.

करोड़ों का हेरफेर: आरोप है कि डेढ़ करोड़ से ज्यादा राशि बैंक से नकेद निकाली गई है. निकासी की ऑडिट व खाता विवरण भी अस्पष्ट है. ट्रस्ट के 10 खातों से 4 करोड़ से अधिक राशि की नियमित और अज्ञात निकासी हुई. ट्रस्ट ने एकत्रित किए दान का पैसा विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के प्रबंधन के लिए डायवर्ट किया. मेधा पाटकर के सेविंग अकाउंट में 19 लाख से अधिक राशि खाते में आई. जबकि, मेधा पाटकर ने कोर्ट में आय का दावा करते हुए 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष दर्शाया था.

हमारे पास सभी दस्तावेज और प्रमाण हैं, जिसने भी ये शिकायत की है उसे भ्रमित किया गया है. हमने पैसे का इस्तेमाल लोगों को आजीविका पैदा करने में मदद करने के लिए किया है और करते रहेंगे. जिसने झूठे आरोप लगाए हैं, वह वैधानिक कार्रवाई के लिए तैयार रहे.- मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता

Hanuman Chalisa Vivad: VIT में अब NSUI ने किया हनुमान चालीसा का पाठ, सरकार से की प्रबंधन पर FIR दर्ज करने की मांग

जानकारी देने में आनाकानी कर रही पुलिस: फरियादी के अनुसार 14 वर्षों में विभिन्न स्रोतों और कई खातों में 13.50 करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त हुई है. इस मामले में पुलिस ने FIR तो दर्ज कर ली है. मगर मीडिया से दूरी बनाई हुई है. पुलिस अधीक्षक सहित कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और टालमटोल करते नजर आ रहें.

FIR में मृतकों के नाम भी शामिल: नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट पर फरियादी ने गम्भीर आरोप तो लगा दिए किंतु इसमें आशीष मंडलोई की मृत्यु 20 मई 2010 को ह्रदयघात के चलते हो चुकी है. ऐसे में क्या मृतक व्यक्ति द्वारा बैंक के खातों का संचालन किया जा सकता है ? क्या नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट ने मृतकों को वर्तमान में ट्रस्टी बना रखा है ? क्या पुलिस ने इसकी जांच की या आनन फानन में प्राथमिकी दर्ज कर ली? ऐसे कई सवाल हैं जो फरियादी की रिपोर्ट पर संदेह पैदा करते हैं.(FIR against Medha Patkar) (Manipulation of crores in Narmada Navnirman Abhiyan)

बड़वानी। नर्मदा बचाओ आंदोलन (Narmada Bachao Andolan) की नेत्री मेधा पाटकर (Medha Patkar) सहित 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. उन पर नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट को मिली राशि में गबन करने के आरोप लगे हैं. यह आरोप बड़वानी जिले के टेम्ला के रहने वाले प्रीतम बडोले ने लगाए हैं.​ जिन लोगों के नाम एफआईआर में दर्ज हैं उनमें से आशीष मंडलोई की मृत्यु 12 साल पहले हो चुकी है.

मेधा पाटकर सहित 11 के खिलाफ एफआईआर

मेघा पाटकर ने आरोपों से किया इनकार: इस मामले में मेधा पाटकर ने कहा ''अभी पुलिस की तरफ से कोई सूचना या नोटिस नहीं मिला है. हमारे पैसों का हर साल ऑडिट होता है और हमने पहले भी कई बार इसका जवाब दिया है. हम आगे भी जवाब देने के लिए तैयार हैं. शिकायत करने वाले ने किसी के बहकावे में आकर ऐसा किया होगा. जिसने यह सब किया है वह कानूनी कार्रवाई भी भुगतेगा''.

ट्रस्ट के बहाने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप: कोतवाली थाने पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर सहित 11 लोगों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. उन पर आरोप है कि उनके द्वारा चलाए जा रहे ‘नर्मदा नव निर्माण अभियान’ में बीते 14 वर्षों में करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया. जो राशि आदिवासी बच्चों को पढ़ाई के नाम पर उपयोग होना थी, उसका राष्ट्र विरोधी और अन्य गतिविधियों (Anti National Activities) में उपयोग किया गया. जिले के टेमला के रहने वाले युवक प्रीतम राज बड़ोले ने दर्ज कराई FIR में लिखा कि 14 साल में 13 करोड़ से अधिक की राशि इस ट्रस्ट को मिली, पर राशि के स्त्रोत और व्यय का स्पष्ट खुलासा नहीं किया गया.

करोड़ों का हेरफेर: आरोप है कि डेढ़ करोड़ से ज्यादा राशि बैंक से नकेद निकाली गई है. निकासी की ऑडिट व खाता विवरण भी अस्पष्ट है. ट्रस्ट के 10 खातों से 4 करोड़ से अधिक राशि की नियमित और अज्ञात निकासी हुई. ट्रस्ट ने एकत्रित किए दान का पैसा विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के प्रबंधन के लिए डायवर्ट किया. मेधा पाटकर के सेविंग अकाउंट में 19 लाख से अधिक राशि खाते में आई. जबकि, मेधा पाटकर ने कोर्ट में आय का दावा करते हुए 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष दर्शाया था.

हमारे पास सभी दस्तावेज और प्रमाण हैं, जिसने भी ये शिकायत की है उसे भ्रमित किया गया है. हमने पैसे का इस्तेमाल लोगों को आजीविका पैदा करने में मदद करने के लिए किया है और करते रहेंगे. जिसने झूठे आरोप लगाए हैं, वह वैधानिक कार्रवाई के लिए तैयार रहे.- मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता

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जानकारी देने में आनाकानी कर रही पुलिस: फरियादी के अनुसार 14 वर्षों में विभिन्न स्रोतों और कई खातों में 13.50 करोड़ से अधिक की राशि प्राप्त हुई है. इस मामले में पुलिस ने FIR तो दर्ज कर ली है. मगर मीडिया से दूरी बनाई हुई है. पुलिस अधीक्षक सहित कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और टालमटोल करते नजर आ रहें.

FIR में मृतकों के नाम भी शामिल: नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट पर फरियादी ने गम्भीर आरोप तो लगा दिए किंतु इसमें आशीष मंडलोई की मृत्यु 20 मई 2010 को ह्रदयघात के चलते हो चुकी है. ऐसे में क्या मृतक व्यक्ति द्वारा बैंक के खातों का संचालन किया जा सकता है ? क्या नर्मदा नवनिर्माण अभियान ट्रस्ट ने मृतकों को वर्तमान में ट्रस्टी बना रखा है ? क्या पुलिस ने इसकी जांच की या आनन फानन में प्राथमिकी दर्ज कर ली? ऐसे कई सवाल हैं जो फरियादी की रिपोर्ट पर संदेह पैदा करते हैं.(FIR against Medha Patkar) (Manipulation of crores in Narmada Navnirman Abhiyan)

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