चेन्नई : भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा अन्नाद्रमुक को एनडीए में फिर से शामिल करने के लिए मध्यस्थों के जरिए पार्टी के शीर्ष नेताओं से बातचीत कर रहे हैं. भाजपा के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व तमिलनाडु में एक प्रमुख द्रविड़ ताकत अन्नाद्रमुक को बाहर करने के लिए राज्य नेतृत्व (अन्नामलाई) से पूरी तरह नाखुश है.
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के लिए एक प्रमुख संकटमोचक के रूप में तेजी से उभर रहे हिमंता को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अन्नाद्रमुक से समझौता करने का काम सौंपा है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार, असम के मुख्यमंत्री ने भाजपा नेतृत्व के साथ बातचीत के लिए एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) और एस.पी. वेलुमणि से बात करने के लिए कोयंबटूर के एक प्रभावशाली परिवार की सेवा ली है.
हालांकि, यह देखना होगा कि अन्नाद्रमुक की मांग क्या होगी. अन्नाद्रमुक के कैडर पहले ही एनडीए से बाहर निकलने पर खुशी जता चुके हैं. गौरतलब है कि एनडीए गठबंधन से एआईएडीएमके के बाहर होने के बाद तमिलनाडु या नई दिल्ली से किसी भी वरिष्ठ बीजेपी नेता ने इस मामले पर आक्रामक रुख नहीं अपनाया है. भाजपा नेतृत्व के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व को पता है कि अन्नाद्रमुक के बिना, भगवा पार्टी के लिए तमिलनाडु की राजनीति में पैर जमाना एक कठिन काम होगा.
2021 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक ने 66 सीटें जीती थीं और कुल वोटों का 33.29 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि सत्तारूढ़ द्रमुक को 133 सीटें और 37.7 प्रतिशत का वोट शेयर मिला था. इसका मतलब है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में दोनों द्रविड़ दिग्गजों के बीच अंतर केवल 4.41 प्रतिशत था.
वहीं बीजेपी को सिर्फ 2.61 फीसदी वोट मिले थे. यहां तक कि 4.26 फीसदी के साथ कांग्रेस और 3.82 फीसदी के साथ पीएमके एआईएडीएमके के साथ गठबंधन में भी बीजेपी के वोट शेयर से काफी ऊपर थे. इस बीच अन्नाद्रमुक राज्य में अपना विस्तार करने के मूड में है. ऐसे में यह देखना होगा कि क्या हिमंता का प्रस्ताव सफल होगा क्योंकि अन्नामलाई ने, अन्नाद्रमुक नेताओं के अनुसार, प्रतिष्ठित द्रविड़ नेता सी.एन. अन्नादुरई का कथित रूप से अपमान किया था.
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष ने जे. जयललिता के खिलाफ भी अपना गुस्सा निकाला था, जिनका एआईएडीएमके नेता और कैडर बहुत सम्मान करते हैं. ऐसे में भाजपा से संबंध तोड़ने से तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक की स्वीकार्यता बढ़ गई है, और इसके लिए भगवा पार्टी के खिलाफ अपने आरोपों को वापस लेना और गठबंधन में फिर से शामिल होना काफी मुश्किल काम होगा.
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