पूर्व सीएम की सदस्यता, हेमंत की कुर्सी और सरकार की सेहत का मामला गर्म, बाबूलाल मरांडी की ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत - ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत
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झारखंड का सियासी पारा चरम पर है. सीएम पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट की तलवार लटक रही है. इस मामले में उनकी तरफ से चुनाव आयोग को जवाब दे दिया गया है. दूसरी तरफ शेल कंपनियों में उनकी भूमिका का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. इस बीच बाबूलाल मरांडी पर दलबदल मामले की सुनवाई खत्म होने से ठीक पहले याचिकाकर्ता सह पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने "बाबूलाल गयो" कहकर एक नयी बेहस छेड़ दी है. ऊपर से सीनियर आईएएस पूजा सिंघल से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में ईडी की कार्रवाई के दौरान आए दिन चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. इस बात की भी चर्चा हो रही है कि अगर राजनीतिक अस्थिरता की नौबत आई तो भाजपा की क्या भूमिका होगी. झामुमो को उन दावों में कितनी सच्चाई है कि भाजपा वाले सरकार को अस्थिर करने की फिराक में हैं. इन तमाम सवालों पर हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार ने भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से एक्सक्लूसिव बातचीत की. बाबूलाल मरांडी ने अंदेशा जताया है कि उनकी सदस्यता रद्द करने की तैयारी चल रही है. उन्होंने राजकुमार यादव के वीडियो क्लिप को तव्वजों न देते हुए कहा कि यह बात तो खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कह चुके हैं कि बाबूलाल मरांडी कभी नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाएंगे. उन्होंने हालिया राजनीतिक हालात के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जिम्मावार ठहराते हुए कहा कि उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. बाबूलाल मरांडी ने यह भी कहा कि भाजपा अच्छी तरह जानती है कि उसके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं है. फिर भी झामुमो के लोग सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा पर बेबुनियाद सवाल खड़े कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से कौन प्रत्याशी होगा, इसके थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. बाबूलाल मरांडी ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि जब 2014 के चुनाव के बाद जेवीएम के छह विधायक भाजपा में शामिल हुए थे, तब उनकी संख्या दो तिहाई थी. फिर भी आपने इसका विरोध किया था. इस बार आप अकेले भाजपा में शामिल हुए हैं. दूसरी तरफ प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की संख्या दो तिहाई है. फिर दोनों मामलों में क्या फर्क है.