दीपावली में मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हारों का छलका दर्द, सरकार से मदद की गुहार

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Published : Oct 22, 2022, 9:29 PM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:29 PM IST

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कोडरमा: दीपावली आते ही मिट्टी के दीयों का कारोबार तेज हो जाता है. दीपावली पर मिट्टी के दीये की डिमांड जरूर रहती है लेकिन, आधुनिकता के युग में कुम्हारों को उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. विशेषकर गरीब कुम्हारों उनको जो परंपरागत तरीके से अपने इस पुश्तैनी धंधे में लगे हुए हैं. कोडरमा में ऐसे कुम्हारों का कहना है कि उन्हें समुचित लाभ नहीं मिल पाता (Potters disappointed with low profits). कुम्हारों की मानें बढ़ती महंगाई के बीच कम मुनाफे से वे परेशान हैं (Low profits amid rising inflation). विडंबना है कि आज भी वे इलेक्ट्रिक चाक के बजाय परंपरागत चाक पर ही मिट्टी के दीये और दूसरे बर्तन तैयार कर रहे हैं. परंपरागत चाक पर डिमांड पूरी करना काफी मुश्किल होता है. ऊपर से मुनाफा भी मेहनत के अनुसार नहीं मिल पाता. कुम्हारों का कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है. आश्वासन के बावजूद अब तक इलेक्ट्रिक चाक भी इन्हें नहीं मिल पाया है. कुम्हारों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:29 PM IST

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