नागपुरी लोक कलाकार मधु मंसुरी हंसमुख से ईटीवी भारत की खास बातचीत, जानिए मधुआ से पद्मश्री तक का सफर
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नागपुरी लोक कला और संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए झारखंड के लोक कलाकार मधु मंसुरी हंसमुख को साल 2020 के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा. देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान मिलने के बाद पद्मश्री मधु मंसुरी हंसमुख रांची लौट आए हैं. उन्होंने ईटीवी भारत के संवाददाता उपेंद्र कुमार से मन की बात की. पुराने दिनों को याद करते हुए पद्मश्री मधु मंसुरी हंसमुख कहते हैं कि साल 1976 में रामगढ़ के केदला कोलियरी में एक कार्यक्रम के दौरान जब उन्होंने गीत गाया, तब गुरु जी ने कहा था "हमर तीर के धार और रउरे गीत से अलग राज्य बनेगा झारखंड." झारखंड के जल, जंगल, जमीन, पलायन और राज्य की नौ भाषाओं के संवर्धन सहित कई मुद्दों को अपने गायन के माध्यम से उठाने वाले मधु मंसुर हंसमुख के लिए पूर्व में वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने और फिर रघुवर दास ने उनका नाम पद्मश्री के लिए अनुशंसित कर भेजा था.