चाईबासा: मझगांव प्रखंड अंतर्गत बीएमसी उर्दू मकतब मध्य विद्यालय खड़पोस में पढ़ने वाले बच्चों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. पड़ोस से मांग कर बच्चे अपनी प्यास बुझा रहे हैं. 2007-08 से इस भवन में कक्षाएं संचालित होती आ रही हैं, लेकिन छात्र छात्राओं का दुर्भाग्य है कि तब से अब तक विद्यालय में पानी के लाले पड़े हैं. विद्यालय प्रबंधन समिति सहित अभिभावक क्षेत्र के सभी विधायकों-सांसदों, पंचायत जनप्रतिनिधि, पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व जिला उपायुक्त अबू बकर सिद्दीक तक को पानी के लिए आवेदन और मौखिक गुहार लगाकर थक चुके हैं लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया है.
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पानी-पानी को तरस रहे विद्यार्थी
विद्यालय में कुल 141 छात्र-छात्राएं नमांकित हैं. करोना महामारी के कारण शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार वर्तमान में आठवीं कक्षा के छात्र- छात्राएं ही आ रहे हैं. इन छात्र-छात्राओं का मध्याह्न भोजन बनाने के लिए पड़ोस के घरों से पानी मांगना पड़ रहा है. विभाग की ओर से शौचालय का निर्माण तो किया गया है लेकिन पानी के अभाव में शौचालय शोभा की वस्तु बनी हुई है. जरूरत पड़ने पर छात्र-छात्राएं मुख्य सड़क पार कर तालाब से पानी लाकर शौचालय जाने के लिए विवश रहते हैं. प्रचंड गर्मी के कारण पड़ोस के लोग भी पानी देने को झिझक रहे हैं. ऐसे हालत में पानी लाएं तो कहां से. स्कूल के पड़ोस में ही प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक हाट लगती है. चहारदीवारी नहीं होने के कारण कई बार नशेड़ी तबके के लोग विद्यालय आकर उधम मचाते हैं. विद्यालय के प्रधान शिक्षक जाकिर हुसैन ने बताया कि पिछले 11 साल से प्रत्येक बार शिक्षा विभाग को यू डाइस भरकर दिया जा रहा है. विद्यालय में पानी का घोर अभाव है.
विद्यालय की सुध लेने वाला कोई नहीं
शेख शकील अहमद प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मझगांव ने कहा कि विद्यालय में पानी के लिए वरीय पदाधिकारियों को बारंबार लिखित तौर पर अवगत कराया जा चुका है. जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा. अब्दुल रहीम एसएमसी अध्यक्ष ने कहा कि स्कूली छात्र-छात्राओं का दुर्भाग्य है कि सभी जनप्रतिनिधियों सहित पूर्व जिला उपायुक्त तक को पानी के लिए गुहार लगाया जा चुका है लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है, अब विभाग पानी दे या फिर विद्यालय बंद कर दे.
क्या बोले विद्यार्थी
विद्यालय की एक छात्रा निशा तिरिया ने कहा कि पानी लाकर शौचालय जाने में शर्म महसूस होती है. वहीं दूसरी छात्रा मीना चातार ने कहा कि एमडीएम खाने के बाद पानी के अभाव में प्लेट और हाथ धोने तालाब जाना पड़ता है. छात्र प्रेमचंद्र हेंब्रम और आफताब आलम ने कहा कि कई बार पढ़ाई के दौरान पानी पीने के लिए घर भी जाना पड़ता है और हमारे विद्यालय में पानी के साथ-साथ चहारदीवारी भी नहीं है.