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महिलाओं के लिए कारगर साबित हो रहा 'सखी वन स्टॉप सेंटर', 24 घंटे जिला प्रशासन कर रही सहायता

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Published : Dec 18, 2020, 3:34 PM IST

Updated : Dec 19, 2020, 7:57 PM IST

महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा और अपराधिक घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए चाईबासा का "सखी वन स्टॉप सेंटर" कारगर साबित हो रहा है. इस सेंटर में हिंसा की शिकार महिलाओं के मामालों का निस्तारण 24 घंटे में की जा रही है, जिससे महिलाओं को न्याय मिल रहा है.

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महिलाओं के लिए कारगर साबित हो रहा 'सखी वन स्टॉप सेंटर'

चाईबासा: महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा और अपराधिक घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए झारखंड सरकार की पहल पर जिले में स्थापित "सखी वन स्टॉप सेंटर" कारगर साबित हो रहा है. पश्चिम सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल में जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से 'सखी वन स्टॉप सेंटर' का संचालन किया जा रहा है. इस 'सखी वन स्टॉप सेंटर' में अपराधिक हिंसा की शिकार महिलाओं को जिला प्रशासन की ओर से 24 घंटे अपराधिक और अन्य मामलों में शिकार युवतियों को न्याय और मामलों का निस्तारण करने का कार्य कर रही है.

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चाईबासा में 'सखी वन स्टॉप सेंटर' अस्थायी तौर पर संचालित

चाईबासा में 'सखी वन स्टॉप सेंटर' सदर अस्पताल परिसर में अस्थायी तौर पर 2019 से ही संचालित की गई है. यह सेंटर फिलहाल आयुर्वेदिक अस्पताल के बिल्डिंग में संचालित है, जिसमें वर्तमान में खाना बनाने की सुविधा नहीं है. इस कारण पीड़ित महिलाओं को कल्याण विभाग के हॉस्टल में रखकर ही लाभ पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. ऐसे में अब तक में 12 मामले आये हैं, जिसमें से 7 ऑफलाइन मामले आए थे. उन पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा कानूनी और मानसिक सहायता भी मुहैया करवाई गई, साथ ही उनके मामलों को हस्तक्षेप करते हुए न्याय दिलाया गया है. 1 पीड़ित महिला को शेल्टर में रखा गया, जिसके बाद उनके मामले का का समाधान कर उन्हें घर भेजा गया.

ये भी पढ़ें-रांची-टाटा-हावड़ा स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी, सप्ताह में 3 दिन होगा परिचालन

पीड़िता महिलाओं की समस्याओं का निष्पादन

सेंटर में घरेलू हिंसा, पति पत्नी के बीच विवाद, सास-ससुर की ओर से प्रताड़ना, देवर या ननंद की ओर से अत्याचार के साथ-साथ यौन उत्पीड़न, डायन बिसाही, अनैतिक अत्याचार, दहेज प्रताड़ना समेत दुष्कर्म पीड़िता की समस्याओं का निष्पादन किया जा रहा है. जिला समाज कल्याण विभाग के डीसीपीओ अनीता तिवारी बताती हैं कि राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार, 'वन स्टॉप सेंटर' में किसी भी पीड़िता को अधिकतम 5 से 6 दिनों तक रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है. इसके लिए इस सेंटर में 2 कमरों में 6 महिलाओं के लिए व्यवस्था की गई है, साथ ही उनके खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है.

चाईबासा में हिंसा की शिकार महिलाओं को मिलेगा लीगली सपोर्ट

जिला समाज कल्याण विभाग के डीसीपीओ अनीता तिवारी ने बताया कि उनका प्रयास रहता है कि पीड़िता के मामले का समायोजन 5 दिनों में ही करा दिया जाए. इसके लिए उनके क्षेत्र के संबंधित थाना पुलिस का सहयोग लेकर मामलों का समायोजन किया जाता है. बाकी दो मामलों का समायोजन अब तक नहीं हो सका है. उसके लिए प्रयास की डा रही है. जल्द उन मामलों का निष्पादन कर दिया जाए. वहीं, उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि घरेलू और अपराधिक हिंसा की शिकार महिलाओं को लीगली सपोर्ट करने के लिए राज्य सरकार की पहल पर जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' संचालित की गई है. अब तक 7 से 8 महिलाओं को इसका लाभ मिला है, जो उनके लिए काफी कारगर साबित हुआ है.

ये भी पढ़ें-बोर्ड परीक्षा को लेकर सवालों का खाका तैयार, पूछे जाएंगे 40 फीसदी ऑब्जेक्टिव प्रश्न

'सखी वन स्टॉप सेंटर' के स्थाई रूप से निर्माण की तैयारी

उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि यह सेंटर जिला कल्याण पदाधिकारी और डीसीपीओ की देखरेख में संचालित की जा रही है. 'सखी वन स्टॉप सेंटर' के लिए स्थाई रूप से सेंटर का निर्माण किया जा रहा है, जो बहुत ही जल्द बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है, साथ ही लोगों से अपील की जा रही है कि 'वन स्टॉप सेंटर' की जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को भी दें, ताकि घरेलू हिंसा और अपराधिक हिंसा से पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल सके. सेंटर के लिए एक काउंसलर, एक केस वर्कर, एक पैरा लीगल वालंटियर, एक अधिवक्ता और मल्टी परपस कार्यों के लिए एक अन्य महिला की प्रतिनियुक्ति की गई है.

पीड़ित महिलाओं को नहीं पड़ेगा भटकना

यहीं नहीं, समाज कल्याण विभाग की ओर से सेंटर में 3 महिला पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. न्याय के लिए पीड़ित महिलाओं को भटकना नहीं पड़ेगा. पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए पहले कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब 'सखी वन स्टॉप सेंटर' के खुल जाने से पीड़ित महिलाओं को न्याय के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. सेंटर की ओर से पीड़ित महिलाओं को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

चाईबासा: महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा और अपराधिक घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए झारखंड सरकार की पहल पर जिले में स्थापित "सखी वन स्टॉप सेंटर" कारगर साबित हो रहा है. पश्चिम सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल में जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से 'सखी वन स्टॉप सेंटर' का संचालन किया जा रहा है. इस 'सखी वन स्टॉप सेंटर' में अपराधिक हिंसा की शिकार महिलाओं को जिला प्रशासन की ओर से 24 घंटे अपराधिक और अन्य मामलों में शिकार युवतियों को न्याय और मामलों का निस्तारण करने का कार्य कर रही है.

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चाईबासा में 'सखी वन स्टॉप सेंटर' अस्थायी तौर पर संचालित

चाईबासा में 'सखी वन स्टॉप सेंटर' सदर अस्पताल परिसर में अस्थायी तौर पर 2019 से ही संचालित की गई है. यह सेंटर फिलहाल आयुर्वेदिक अस्पताल के बिल्डिंग में संचालित है, जिसमें वर्तमान में खाना बनाने की सुविधा नहीं है. इस कारण पीड़ित महिलाओं को कल्याण विभाग के हॉस्टल में रखकर ही लाभ पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है. ऐसे में अब तक में 12 मामले आये हैं, जिसमें से 7 ऑफलाइन मामले आए थे. उन पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा कानूनी और मानसिक सहायता भी मुहैया करवाई गई, साथ ही उनके मामलों को हस्तक्षेप करते हुए न्याय दिलाया गया है. 1 पीड़ित महिला को शेल्टर में रखा गया, जिसके बाद उनके मामले का का समाधान कर उन्हें घर भेजा गया.

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पीड़िता महिलाओं की समस्याओं का निष्पादन

सेंटर में घरेलू हिंसा, पति पत्नी के बीच विवाद, सास-ससुर की ओर से प्रताड़ना, देवर या ननंद की ओर से अत्याचार के साथ-साथ यौन उत्पीड़न, डायन बिसाही, अनैतिक अत्याचार, दहेज प्रताड़ना समेत दुष्कर्म पीड़िता की समस्याओं का निष्पादन किया जा रहा है. जिला समाज कल्याण विभाग के डीसीपीओ अनीता तिवारी बताती हैं कि राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार, 'वन स्टॉप सेंटर' में किसी भी पीड़िता को अधिकतम 5 से 6 दिनों तक रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है. इसके लिए इस सेंटर में 2 कमरों में 6 महिलाओं के लिए व्यवस्था की गई है, साथ ही उनके खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है.

चाईबासा में हिंसा की शिकार महिलाओं को मिलेगा लीगली सपोर्ट

जिला समाज कल्याण विभाग के डीसीपीओ अनीता तिवारी ने बताया कि उनका प्रयास रहता है कि पीड़िता के मामले का समायोजन 5 दिनों में ही करा दिया जाए. इसके लिए उनके क्षेत्र के संबंधित थाना पुलिस का सहयोग लेकर मामलों का समायोजन किया जाता है. बाकी दो मामलों का समायोजन अब तक नहीं हो सका है. उसके लिए प्रयास की डा रही है. जल्द उन मामलों का निष्पादन कर दिया जाए. वहीं, उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि घरेलू और अपराधिक हिंसा की शिकार महिलाओं को लीगली सपोर्ट करने के लिए राज्य सरकार की पहल पर जिले में 'वन स्टॉप सेंटर' संचालित की गई है. अब तक 7 से 8 महिलाओं को इसका लाभ मिला है, जो उनके लिए काफी कारगर साबित हुआ है.

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'सखी वन स्टॉप सेंटर' के स्थाई रूप से निर्माण की तैयारी

उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि यह सेंटर जिला कल्याण पदाधिकारी और डीसीपीओ की देखरेख में संचालित की जा रही है. 'सखी वन स्टॉप सेंटर' के लिए स्थाई रूप से सेंटर का निर्माण किया जा रहा है, जो बहुत ही जल्द बनकर तैयार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि इसका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है, साथ ही लोगों से अपील की जा रही है कि 'वन स्टॉप सेंटर' की जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को भी दें, ताकि घरेलू हिंसा और अपराधिक हिंसा से पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल सके. सेंटर के लिए एक काउंसलर, एक केस वर्कर, एक पैरा लीगल वालंटियर, एक अधिवक्ता और मल्टी परपस कार्यों के लिए एक अन्य महिला की प्रतिनियुक्ति की गई है.

पीड़ित महिलाओं को नहीं पड़ेगा भटकना

यहीं नहीं, समाज कल्याण विभाग की ओर से सेंटर में 3 महिला पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी. न्याय के लिए पीड़ित महिलाओं को भटकना नहीं पड़ेगा. पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए पहले कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब 'सखी वन स्टॉप सेंटर' के खुल जाने से पीड़ित महिलाओं को न्याय के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. सेंटर की ओर से पीड़ित महिलाओं को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

Last Updated : Dec 19, 2020, 7:57 PM IST
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