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मजदूरों की समस्या को लेकर मंत्री-सांसद की उपस्थिति में बैठक, श्रमिकों को मिला काम देने का भरोसा

पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय सभागार में मजदूरों की समस्या को लेकर मंत्री जोबा मांझी की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. जिसमें स्थानीय सांसद गीता कोड़ा समेत उपायुक्त अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा, सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार सहित जिले के कई अधिकारी मौजूद रहे.

मजदूरों की समस्या को लेकर मंत्री जोबा मांझी की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक
समीक्षा बैठक
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Published : Nov 28, 2020, 5:24 PM IST

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय स्थित सभागार में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री जोबा मांझी की अध्यक्षता और क्षेत्र की सांसद गीता कोड़ा की उपस्थिति में समीझा बैठक का आयोजन किया गया. मजदूर यूनियन के प्रतिनिधि एवं खनन कार्य में लगे कांट्रैक्टर के प्रतिनिधि के साथ चिड़िया खनन क्षेत्र के विकास एवं खनन कार्य में लगे मजदूरों की समस्या के संबंध में इस बैठक के दौरान चर्चा की गई.

जोबा मांझी का बयान

बैठक में जिला उपायुक्त अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा, सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार, उप विकास आयुक्त संदीप बक्शी, चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी अभिजीत सिन्हा (भा.प्र.से), नोआमुंडी अंचलाधिकारी सुनील चंद्र, मनोहरपुर अंचलाधिकारी रवीश राज सिंह और चिड़िया माइंस के महाप्रबंधक, प्रोजेक्ट मैनेजर उपस्थित रहे. बैठक में प्रमुख रूप से स्थानीय खनन कार्यों के साथ कंपनी की ओर से संचालित अन्य सभी प्रकार के कार्यों में स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता देने संबंधित मुद्दों पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया. बैठक के उपरांत मंत्री जोबा मांझी ने बताया गया कि आज के बैठक में चिड़िया माइंस से जुड़े मामलों को लेकर क्षेत्र की सांसद एवं जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के उपस्थिति में बैठक आयोजित किया गया. जिसमें मजदूरों की ओर से बार-बार किए जा रहे आंदोलन को लेकर माइंस प्रबंधन के पदाधिकारियों के साथ वार्ता किया गया है. उन्होंने बताया कि देवेंद्र मांझी के लंबे आंदोलन के उपरांत जब खदान प्रारंभ किया गया था, उस समय मजदूरों की संख्या लगभग 1,500 के आसपास थी, जो आज के समय में 491 रह गई है.

मजदूरों की ओर से यह बार-बार शिकायत किया गया कि अभी प्रबंधन की ओर से उत्पादन कम होने को लेकर मजदूरों की छंटनी करने की बात बताई जा रही है. उन्होंने बताया कि बैठक में चर्चा किया गया कि मजदूरों की छंटनी का आधार क्या है, उसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाया जाए. क्योंकि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित के साथ-साथ गरीब तबके का क्षेत्र है और इतनी बड़ी खदान रहने के बाद भी स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं होना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बैठक में यह निष्कर्ष आया है कि हर हाल में स्थानीय श्रमिकों को तरहीज दिया जाएगा और प्रबंधन ने भी इस बात पर सहमति जताई है.

इसे भी पढ़ें- बोकारोः संथालियों का सबसे बड़ा धर्मस्थल लुगूबुरु घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ में होने वाला राजकीय महोत्सव स्थगित

बैठक में उपस्थित रहीं क्षेत्र की सांसद गीता कोड़ा ने बताया गया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अवस्थित चिड़िया मांइस को लेकर बैठक की गई है, जो कि मुख्य रूप से रोजगार सृजन पर आधारित रहा, क्योंकि इस वैश्विक महामारी कोरोनावायरस संक्रमण के संकट काल में प्रवासी मजदूरों की स्थिति खराब है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को स्थानीय क्षेत्र में रोजगार मिले उसकी एक पहल थी और इस बात को लेकर पिछले कई दिनों से वहां के स्थानीय श्रमिक एवं ग्रामीण आंदोलन भी कर रहे थे. अंततः सूबे की मंत्री, जिला उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी के उपस्थिति में प्रयोक्ता कंपनी एवं मजदूर यूनियनों के साथ बैठक आयोजित की गई. उन्होंने बताया कि बैठक में काफी सकारात्मक बातें भी हुई हैं और उचित निर्देशन के साथ प्रबंधन को 15 दिनों का समय दिया गया है. जिसमें उन्हें बताना है कि प्रबंधन की ओर से वर्तमान परिस्थिति में कितना रोजगार सृजन किया जा सकता है और कितने अधिक से अधिक श्रमिकों को काम दिया जाएगा.

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय स्थित सभागार में महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग की मंत्री जोबा मांझी की अध्यक्षता और क्षेत्र की सांसद गीता कोड़ा की उपस्थिति में समीझा बैठक का आयोजन किया गया. मजदूर यूनियन के प्रतिनिधि एवं खनन कार्य में लगे कांट्रैक्टर के प्रतिनिधि के साथ चिड़िया खनन क्षेत्र के विकास एवं खनन कार्य में लगे मजदूरों की समस्या के संबंध में इस बैठक के दौरान चर्चा की गई.

जोबा मांझी का बयान

बैठक में जिला उपायुक्त अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा, सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार, उप विकास आयुक्त संदीप बक्शी, चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी अभिजीत सिन्हा (भा.प्र.से), नोआमुंडी अंचलाधिकारी सुनील चंद्र, मनोहरपुर अंचलाधिकारी रवीश राज सिंह और चिड़िया माइंस के महाप्रबंधक, प्रोजेक्ट मैनेजर उपस्थित रहे. बैठक में प्रमुख रूप से स्थानीय खनन कार्यों के साथ कंपनी की ओर से संचालित अन्य सभी प्रकार के कार्यों में स्थानीय श्रमिकों को प्राथमिकता देने संबंधित मुद्दों पर विशेष रूप से विचार विमर्श किया गया. बैठक के उपरांत मंत्री जोबा मांझी ने बताया गया कि आज के बैठक में चिड़िया माइंस से जुड़े मामलों को लेकर क्षेत्र की सांसद एवं जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के उपस्थिति में बैठक आयोजित किया गया. जिसमें मजदूरों की ओर से बार-बार किए जा रहे आंदोलन को लेकर माइंस प्रबंधन के पदाधिकारियों के साथ वार्ता किया गया है. उन्होंने बताया कि देवेंद्र मांझी के लंबे आंदोलन के उपरांत जब खदान प्रारंभ किया गया था, उस समय मजदूरों की संख्या लगभग 1,500 के आसपास थी, जो आज के समय में 491 रह गई है.

मजदूरों की ओर से यह बार-बार शिकायत किया गया कि अभी प्रबंधन की ओर से उत्पादन कम होने को लेकर मजदूरों की छंटनी करने की बात बताई जा रही है. उन्होंने बताया कि बैठक में चर्चा किया गया कि मजदूरों की छंटनी का आधार क्या है, उसकी विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाया जाए. क्योंकि यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित के साथ-साथ गरीब तबके का क्षेत्र है और इतनी बड़ी खदान रहने के बाद भी स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं होना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने बताया कि बैठक में यह निष्कर्ष आया है कि हर हाल में स्थानीय श्रमिकों को तरहीज दिया जाएगा और प्रबंधन ने भी इस बात पर सहमति जताई है.

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बैठक में उपस्थित रहीं क्षेत्र की सांसद गीता कोड़ा ने बताया गया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अवस्थित चिड़िया मांइस को लेकर बैठक की गई है, जो कि मुख्य रूप से रोजगार सृजन पर आधारित रहा, क्योंकि इस वैश्विक महामारी कोरोनावायरस संक्रमण के संकट काल में प्रवासी मजदूरों की स्थिति खराब है. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों को स्थानीय क्षेत्र में रोजगार मिले उसकी एक पहल थी और इस बात को लेकर पिछले कई दिनों से वहां के स्थानीय श्रमिक एवं ग्रामीण आंदोलन भी कर रहे थे. अंततः सूबे की मंत्री, जिला उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, चक्रधरपुर अनुमंडल पदाधिकारी के उपस्थिति में प्रयोक्ता कंपनी एवं मजदूर यूनियनों के साथ बैठक आयोजित की गई. उन्होंने बताया कि बैठक में काफी सकारात्मक बातें भी हुई हैं और उचित निर्देशन के साथ प्रबंधन को 15 दिनों का समय दिया गया है. जिसमें उन्हें बताना है कि प्रबंधन की ओर से वर्तमान परिस्थिति में कितना रोजगार सृजन किया जा सकता है और कितने अधिक से अधिक श्रमिकों को काम दिया जाएगा.

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