चाईबासा: प्रकृति के सृजन उत्सव सारंडा वन प्रमंडल और सीआईएसएफ किरीबुरू-मेघाहातुबुरु के संयुक्त तत्वावधान में महिला उद्यान मेघाहातुबुरु और ससंगदा वन प्रक्षेत्र किरीबुरू में वन महोत्सव 2020 मनाया गया. इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में सारंडा वन प्रमंडल के डीएफओ रजनीश कुमार उपस्थित हुए. इस दौरान वन विभाग के प्रशिक्षु आईएफएस प्रजेश जेना, किरीबुरू महाप्रबंधक डीके बर्मन, मेघाहातुबुरु महाप्रबंधक चंचल मुखोपाध्याय, सीआईएसएफ के कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट मंजीत कुमार समेत कई अधिकारी उपस्थित हुए.
![Forest Festival 2020 in Kiriburu Meghahatuburu in Chaibasa](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/04:18:35:1595846915_jh-wes-03-forest-festival-2020-celebrated-in-kiriburu-meghahatuburu-pkg-7203709_27072020154806_2707f_1595845086_592.jpg)
ससंगदा वन प्रक्षेत्र किरीबुरू और महिला उद्यान मेघाहातुबुरु में वन महोत्सव 2020 की शुरुआत से पूर्व सभी पदाधिकारियों ने उद्यान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उसके बाद उद्यान में भी मुख्य अतिथि रजनीश कुमार और उपस्थित अतिथियों की ओर से वृक्षारोपण किया गया. इस मौके पर वन विभाग और सीआईएसएफ के सैकड़ों जवानों ने क्रमवार वृक्षारोपण किया. इस दौरान सारंडा वन प्रमंडल के रजनीश कुमार ने बताया कि किरीबुरू-मेघाहातुबुरु सेल क्षेत्र के रिक्त पड़े स्थानों को हरा-भरा बनाने के उद्देश्य से वन विभाग और सीआईएसएफ ने संयुक्त रूप से पहल करते हुए वन महोत्सव के मौके पर वृक्षारोपण का कार्यक्रम रखा गया है. इस मौके पर किरीबुरू-मेघाहातुबुरु सेल लौह अयस्क खदानों की ओर से भी वृक्षारोपण कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया. इस क्षेत्र में और इसी सीजन में 5 से 6 हजार पौधे लगाए जाएंगे. इस प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा जाए तो आने वाले 5 वर्षों में यह क्षेत्र फिर से एक बार हर भरा हो जाएगा.
ये भी पढ़ें: झारखंड में शुरू हुआ 'फेस मास्क पॉलिटिक्स', प्रावधानों पर हो रहा है बवाल
कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष वन महोत्सव का कार्यक्रम जिले में नहीं के बराबर मनाया गया. वन महोत्सव समाज के लोगों के साथ करना पड़ता है लेकिन इस बार कोरोना के कारण यह संभव नहीं हो सकता है. कोरोना के कारण सिर्फ इतना ही नहीं वन विभाग के कई कार्य भी बाधित हुए हैं. वन महोत्सव को अब तक ऑफिशियल तौर पर अब तक कहीं भी नहीं मनाया गया है. लेकिन यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना संभव हो पाता है. वहीं, कुछ ऐसी जगहों को चिन्हित कर कुछ क्षेत्रों में वृक्षारोपण का कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष वृक्षारोपण काफी कम हुए हैं.
ऐसी स्थिति में वृक्षारोपण करना हमारे लिए एक चैलेंज के रूप में है, क्योंकि गड्ढे किए गए स्थानों पर वृक्षारोपण करना ही अनिवार्य है. लेकिन हमें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. समय पर मजदूर नहीं मिल पाते हैं, पहले एक साथ 100 मजदूर काम किया करते थे और एक एक दिन में 5 हजार पौधे लगाए दिया करते थे. उस तरह से काम नहीं हो पा रहा है निश्चित रूप से काम की तेजी में कमी आई है. लोगों में सामाजिक जागरूकता के तहत ग्रीन कवर 33 प्रतिशत करने का लक्ष्य है. यह झारखंड में अधिकतर क्षेत्र वन क्षेत्र है पश्चिम सिंहभूम में पहले से 52 प्रतिशत वन क्षेत्र है. लेकिन इसी राज्य के किसी और भाग में पेड़ों की कटाई हो रही है. उसकी भरपाई करने को लेकर ज्यादा से ज्यादा पेड़ सभी लोग लगाएं. समाज के सभी लोग एक प्लेटफार्म पर आकर वृक्षारोपण की इस मुहिम को ज्यादा से ज्यादा आगे बढ़ाएं.