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शहादत को सलाम: शहीद जवान के गांव पहुंचा पार्थिव शरीर, गम में डूबे लोग

बीते दिनों हुए नक्सली हमले में शहीद जवान डिब्रू पूर्ती का शव उनके पैतृक गांव लाया गया. शहीद के शव के गांव पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया. सभी की आंखे नम दी. शहीद के परिवार वाले दहाड़े मार कर रो रहे थे.

शहीद जवान का पार्थिव शरीर
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Published : Jun 15, 2019, 8:14 PM IST

चाईबासाः नक्सली हमले में शहीद हुए डिब्रू पूर्ती को उनके पैतृक गांव तांतनगर प्रखंड के जावबेड़ा गांव के टोला पांडूसाई में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. शहीद का शव गांव पहुंचते ही लोग गमगीन हो गए सभी फूटफूट कर रोने लगे. अंतिम विदाई के समय विभागीय अधिकारियों समेत दूसरे लोगों ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद को आखिरी सलामी दी तो माहौल काफी गमगीन हो गया. इसके बाद लोगों ने सामाजिक रीति रिवाज के साथ शहीद पार्थिव शरीर को दफनाया गया.

देखें वीडियो

पत्नी, मां और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल

सैकड़ों लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए पहुचें थे. लोगों ने नम आंखों के साथ शहीद को विदाई दी. इस दौरान शहीद की पत्नी, बच्चे समेत बूढ़ी मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. मौके पर सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अमर कुमार पांडे, अंचल इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार, ओपी प्रभारी पीसी यादव समेत अन्य मौजूद थे.
शहीद डिब्रू पूर्ती की नियुक्ति 29 जनवरी 2009 को आरक्षी के पद पर हुआ था. उनका जन्म 8 फरवरी 1970 को नगर ओपी थाना क्षेत्र के जावबेड़ा के टोला पांडूसाई में हुआ था. शहीद अपने पीछे पत्‍नी लेम्‍बोवति पुरती और 4 बेटे छोड़ गए हैं.

ये भी पढ़ें-बिरसा मुंडा की प्रतिमा क्षतिग्रस्त होने पर बवाल, विरोध में 15 जून को रांची बंद का आह्वान

एक हफ्ते पहले ही अपने घर आए थे शाहिद डिब्रू

1 हफ्ते पहले ही शहीद डिब्रू पूर्ति अपने घर आए हुए थे. वे अपने विभागीय काम को लेकर पिछले रविवार को चाईबासा आए थे. इसी क्रम में अपना काम निपटाने के बाद वहां से अपने घर आ गए थे. अपने घर में परिवार वालों के साथ रात बिताने के बाद दूसरे दिन लौट गए. शहीद की पत्नी ने बताया कि घटना के दिन घटना के करीब 4 घंटा पहले उनके पति से बातचीत हुई थी.

चाईबासाः नक्सली हमले में शहीद हुए डिब्रू पूर्ती को उनके पैतृक गांव तांतनगर प्रखंड के जावबेड़ा गांव के टोला पांडूसाई में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. शहीद का शव गांव पहुंचते ही लोग गमगीन हो गए सभी फूटफूट कर रोने लगे. अंतिम विदाई के समय विभागीय अधिकारियों समेत दूसरे लोगों ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद को आखिरी सलामी दी तो माहौल काफी गमगीन हो गया. इसके बाद लोगों ने सामाजिक रीति रिवाज के साथ शहीद पार्थिव शरीर को दफनाया गया.

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पत्नी, मां और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल

सैकड़ों लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए पहुचें थे. लोगों ने नम आंखों के साथ शहीद को विदाई दी. इस दौरान शहीद की पत्नी, बच्चे समेत बूढ़ी मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. मौके पर सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अमर कुमार पांडे, अंचल इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार, ओपी प्रभारी पीसी यादव समेत अन्य मौजूद थे.
शहीद डिब्रू पूर्ती की नियुक्ति 29 जनवरी 2009 को आरक्षी के पद पर हुआ था. उनका जन्म 8 फरवरी 1970 को नगर ओपी थाना क्षेत्र के जावबेड़ा के टोला पांडूसाई में हुआ था. शहीद अपने पीछे पत्‍नी लेम्‍बोवति पुरती और 4 बेटे छोड़ गए हैं.

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एक हफ्ते पहले ही अपने घर आए थे शाहिद डिब्रू

1 हफ्ते पहले ही शहीद डिब्रू पूर्ति अपने घर आए हुए थे. वे अपने विभागीय काम को लेकर पिछले रविवार को चाईबासा आए थे. इसी क्रम में अपना काम निपटाने के बाद वहां से अपने घर आ गए थे. अपने घर में परिवार वालों के साथ रात बिताने के बाद दूसरे दिन लौट गए. शहीद की पत्नी ने बताया कि घटना के दिन घटना के करीब 4 घंटा पहले उनके पति से बातचीत हुई थी.

Intro:चाईबासा। नक्सली हमले में शहीद हुए डिबरू पूरती को उनके पैतृक गांव तांतनगर प्रखंड के जावबेड़ा गांव के टोला पांडूसाई में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। शहीद का शव गांव पहुंचते ही गांव गमगीन हो गया लोग फुट फुट कर रोने लगे। अंतिम विदाई के समय जब विभागीय अधिकारियों समेत अन्य लोगों ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ शहीद को आखिरी सलामी दी तो माहौल काफी गमगीन हो गया। इसके बाद लोगों ने सामाजिक रीति रिवाज के साथ शहीद पार्थिव शरीर को दफना दिया।

Body:पत्नी, माँ व बच्चों का रो- रोकर बुराहाल-
सैकड़ो लोगों ने अंतिम संस्कार में शिरकत की और गर्व के साथ नम आंखों से शहीद को विदाई दी।  इस दौरान शहीद की पत्नी, बच्चे समेत बूढ़ी मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। लोग और रिश्तेदार भावुक हो गए और मित्रों और रिश्तेदारों के आंखों से आंसू झलकने लगे।  मौके पर सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अमर कुमार पांडे, अंचल इंस्पेक्टर प्रवीण कुमार, ओपी प्रभारी पीसी यादव समेत अन्य मौजूद थे।

शहीद डिब्रू पूर्ती की नियुक्ति 29 जनवरी 2009 को आरक्षी के पद पर हुआ था। उनका जन्म 8 फरवरी 1970 को नगर ओपी थाना क्षेत्र के जावबेड़ा के टोला पांडूसाई में हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय साधु चरण पूर्ति के निधन के बाद परिवार को चलाने वाले सदस्य थे। उनके दो बड़े भाई रामजा पुरती व बहादुर पुरती हैं, जो खेती बारी का काम करते हैं। शहीद की मां ननिका पुरती है जो कान से सुन नहीं सकती। शहीद अपने पीछे पत्‍नी लेम्‍बोवति पुरती एवं चार पुत्र 14 वर्ष सीताराम पुरती, 12 राजेश पुरती, 8 वर्ष रितेश पुरती 2 वर्ष घनश्याम पुरती है। सीताराम सरायकेला में 10वी कक्षा में पढ़ाई करता है। जबकि राजेश और रितेश राजनगर में पढ़ाई कर रहा है।

एक सप्ताह पहले ही अपने घर आए थे शाहिद डिब्रू -
1 सप्ताह पूर्व ही शहीद डिब्रू पूर्ति अपने घर आया हुआ था। वह अपने विभागीय काम को लेकर पिछले रविवार को चाईबासा आए हुए थे। इसी क्रम में वह अपना काम निपटाने के बाद वहां से अपने घर आ गए थे। अपने घर में परिवार वालों के साथ रात बिताने के बाद सोमवार को पुनः लौट गए थे। शहीद की पत्नी ने बताया कि घटना के दिन घटना के करीब 4 घंटा पहले उनके पति से बातचीत हुई थी। उस दिन गांव में धान मुट पूजा का कार्यक्रम चल रहा था। जिसमें पत्नी के पिता उनके घर आए हुए थे। इस संबंध में कुछ देरी बातचीत करने के बाद ड्यूटी में निकलने की बात कह कर फोन को काट दिया। इसके बाद करीब 4 घंटे बाद खबर मिला कि डिब्रू पूर्ति शहीद हो गए।

शहीद डिब्रू पूर्ति के पार्थिव शरीर को गांव पहुंचते ही जोरदार बारिश हुई। शहीद के पार्थिव शरीर को अपराहन के करीब 2:30 बजे गांव पहुंचाया गया। पार्थिव शरीर को उसके घर के आंगन में रखा गया। इसके बाद विभागीय अधिकारियों ने उन्हें अंतिम सलामी दी। यह कार्यक्रम समाप्त होते ही जोरदार आंधी तूफान के साथ झमाझम बारिश हुई। इधर शव को दफनाने के लिए कब्र खोदा जा रहा था। यहां खराबी मौसम के कारण कुछ देरी स्थगित रखा। लोग बारिश के सामने का इंतजार करते रहे पुलिस अधिकारी भी वहीं डटे रहे। मौसम साफ होते ही सामाजिक रीति रिवाज के साथ शव को दफना दिया गया।Conclusion:
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