सिमडेगा: फीफा अंडर-17 विश्व कप के लिए सिमडेगा की दो खिलाड़ियों का चयन भारतीय महिला फुटबॉल कैंप हुआ है. भारतीय महिला फुटबॉल टीम में सिमडेगा के ठेठईटांगर प्रखंड के अंतर्गत जामबहार की पूर्णिमा कुमारी का चयन हुआ है. साथ ही अंडर-20 भारतीय महिला फुटबॉल टीम के कैंप के लिए सदर प्रखंड के खूंटी टोली की प्रतीक्षा लकड़ा का चयन हुआ है. यह जिला के लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है.
हॉकी के बाद फुटबॉल में भी धमक
जिला की 4 महिला हॉकी खिलाड़ी अभी विदेशी धरती पर देश का झंडा लहरा रही है. अब फुटबॉल कैंप के लिए एक साथ दो बेटियों का चयन होने से जिला के खेलप्रेमियों में खुशी है. ये दोनों ही खिलाड़ी पूर्व में भी भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. यह अंडर-17 कैंप 4 फरवरी से और अंडर-20 का कैंप 7 फरवरी से जमेशदपुर में आयोजित होगा. पूर्व में यह फुटबॉल कैंप गोवा में होता रहा है. हॉकी महासचिव सह खेलप्रेमी मनोज कोनबेगी ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर इस बार झारखंड में कैंप का आयोजन हो रहा है.
![two-players-of-simdega-selected-for-indian-womens-football-camp](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-sim-04a-football-team-selection-vis-jh10018_21012021191046_2101f_1611236446_1106.jpg)
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कैंप में चयन से खिलाड़ियों में उत्साह
अंडर-20 भारतीय महिला फुटबॉल टीम के कैंप के लिए चयनित हुई प्रतीक्षा लकड़ा कहती है कि उसे काफी खुशी है की उसका चयन कैंप के लिए हुआ है. वह भरपूर प्रयास करेंगी कि अच्छा खेलें और भारतीय टीम में उसका चयन हो. वहीं प्रतिक्षा बताती हैं कि उसकी मां बहालेन लकड़ा उसे काफी सपोर्ट करती है. क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, जिस वजह से कई बार उसे पैसों की आवश्यकता होती है. घर पर पैसे ना होते हुए भी उसकी मां ने उसे कभी कमी नहीं महसूस होने दी. वहीं प्रतीक्षा लकड़ा अपने स्वर्गीय पिता सुधीर लकड़ा को याद करती हैं. इसके अलावा प्रतीक्षा कहती हैं कि वह अपने माता पिता के सपने को साकार करना चाहती हैं. अच्छे से प्रैक्टिस कर भारतीय टीम में शामिल होकर अपने क्षेत्र, गांव, राज्य और देश का नाम रोशन करना चाहती हैं.
प्रतिक्षा लकड़ी की मां बहालेन लकड़ा कैंप के लिए चयन होने पर खुशी जाहिर करते हुए कहती हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है. काफी मुश्किलों से उसने बेटी को पाला है, कई बार आर्थिक परेशानी का सामना भी करना पड़ा. लेकिन उसने कभी भी प्रतीक्षा को खेलने से नहीं रोका. वह तो बस इतना चाहती है कि प्रतीक्षा अच्छे से खेले और अपने साथ अपने परिवार और देश का नाम रोशन करे.