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पानी के लिए गांव वालों ने नदी को ही खोद डाला, मेहनत लाई रंग मिल गया पानी

सिमडेगा के खीराकुदर गांव के लोगों ने अपनी मेहनत की बदौलत पानी की किल्लत को दूर किया है. गांव में पानी की कमी को दूर करने के लिए लोगों ने नदी को ही खोद डाला. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए पूरी कहानी.

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Published : Apr 29, 2023, 2:13 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

सिमडेगा: मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है सिमडेगा जिले के खीराकुदर गांव के लोगों ने. गांव में पानी की दिक्कत को दूर करने के लिए गांव के लोगों ने नदी को ही खोद डाला. गांव वालों की हिम्मत और हौसले ने रंग दिखाया गांव के सभी लोगों ने मेहनत की और सूखी नदी में पानी आ गया. अब गांव के लोगों को नहाने और जानवरों के लिए पानी की दिक्कत नहीं होगी.

इसे भी पढ़ें- Koderma News: आत्मनिर्भरता की मिसाल बना कोडरमा का लक्ष्मीपुर गांव, ग्रामीणों ने श्रमदान कर टीसीबी, मेढ़बंदी और चेक डैम का किया निर्माण

हिम्मत और हौसले की बदौलत खीराकुदर गांव के लोगों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया. दरअसल गांव में गर्मी के समय में पानी कि दिक्कत हो जाती है. गांव के बगल से ही पालामाडा नदी बहती है जो बरसात के समय में तो भरी रहती है लेकिन गर्मी का मौसम आते ही सूख जाती है. गांव के लोग अपने लिए पानी का इंतजाम तो कर लेते हैं लेकिन मवेशियों के लिए पानी का इंतजाम करना बहुत ही मुश्किल होता है.

बता दें कि सिमडेगा में अप्रैल माह की शुरुआत से ही भीषण गर्मी पड़ने लगी है. कुंआ तालाब नदियां सभी सूख गई हैं. ऐसे में हर तरफ जल संकट होने लगा है. सबसे ज्यादा गांव में मवेशियों के लिए पानी की दिक्कत को हो रही है. खीराकुदर गांव के ग्रामीण खुद के लिए तो किसी तरह पानी का प्रबंध कर लेते थे. लेकिन मवेशियों को के लिए ज्यादा मात्रा में पानी प्रबंध करना उनके लिए टेढ़ी खीर बन गई थी. लगातार गुहार लगाने के बाद भी किसी तरफ से किसी तरह की मदद इन लोगों को नहीं मिली.

ग्रामीणों की ये परेशानी का निदान गांव के ही एक लोगों ने खोज निकाला. गांव के लोगों को इस बात की जानकारी लगी कि नदी केवल ऊपर से सूखी है. अगर नदी को गहरा किया जाए तो पानी मिल सकता है. नदी ऊपर से सूख गई है लेकिन बालू के नीचे भरपूर पानी रहता है. अगर नदी के बीच में तालाब बना दिया जाय तो पानी के संकट को दूर किया जा सकता है. इसे लेकर गांव में एक बैठक हुई और नदी को खोदने की योजना बन गई. पानी के इस संकट से निपटने के लिए ग्रामीणों ने हाथों में कुदाल आदि लेकर गांव के पास की पालामाडा नदी में उतर कर श्रमदान कर गड्ढा बनाना शुरू किया और थोड़ी ही खुदाई के बाद नदी के नीचे से जलधारा निकल आई और एक बड़े तालाब में पानी भर गया.

गांव में पानी की दिक्कत को दूर करने के लिए गांव से सभी लोग नदी खोदने में लगे थे. गांव के लोगों ने बताया कि पानी की दिक्कत बहुत ज्यादा थी. मवेशियों के लिए पानी की बहुत दिक्कत थी लेकिन अब हमारे गांव को पानी की दिक्कत नहीं होगी. नदी में जो तालाब बना है और जिस तरह से उसमें पानी भरा है ऐसा नहीं लगता है हमारे गांव को पानी की दिक्कत होगी. ग्रामीणों का ये पहल निश्चित रूप से एक प्रेरणा है. इस भीषण गर्मी में अन्य जगह भी लोगों को हौसला देगा और लोग गर्मी के दौरान पानी के संकट से उबर सकेंगे.

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सिमडेगा: मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है सिमडेगा जिले के खीराकुदर गांव के लोगों ने. गांव में पानी की दिक्कत को दूर करने के लिए गांव के लोगों ने नदी को ही खोद डाला. गांव वालों की हिम्मत और हौसले ने रंग दिखाया गांव के सभी लोगों ने मेहनत की और सूखी नदी में पानी आ गया. अब गांव के लोगों को नहाने और जानवरों के लिए पानी की दिक्कत नहीं होगी.

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हिम्मत और हौसले की बदौलत खीराकुदर गांव के लोगों ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिया. दरअसल गांव में गर्मी के समय में पानी कि दिक्कत हो जाती है. गांव के बगल से ही पालामाडा नदी बहती है जो बरसात के समय में तो भरी रहती है लेकिन गर्मी का मौसम आते ही सूख जाती है. गांव के लोग अपने लिए पानी का इंतजाम तो कर लेते हैं लेकिन मवेशियों के लिए पानी का इंतजाम करना बहुत ही मुश्किल होता है.

बता दें कि सिमडेगा में अप्रैल माह की शुरुआत से ही भीषण गर्मी पड़ने लगी है. कुंआ तालाब नदियां सभी सूख गई हैं. ऐसे में हर तरफ जल संकट होने लगा है. सबसे ज्यादा गांव में मवेशियों के लिए पानी की दिक्कत को हो रही है. खीराकुदर गांव के ग्रामीण खुद के लिए तो किसी तरह पानी का प्रबंध कर लेते थे. लेकिन मवेशियों को के लिए ज्यादा मात्रा में पानी प्रबंध करना उनके लिए टेढ़ी खीर बन गई थी. लगातार गुहार लगाने के बाद भी किसी तरफ से किसी तरह की मदद इन लोगों को नहीं मिली.

ग्रामीणों की ये परेशानी का निदान गांव के ही एक लोगों ने खोज निकाला. गांव के लोगों को इस बात की जानकारी लगी कि नदी केवल ऊपर से सूखी है. अगर नदी को गहरा किया जाए तो पानी मिल सकता है. नदी ऊपर से सूख गई है लेकिन बालू के नीचे भरपूर पानी रहता है. अगर नदी के बीच में तालाब बना दिया जाय तो पानी के संकट को दूर किया जा सकता है. इसे लेकर गांव में एक बैठक हुई और नदी को खोदने की योजना बन गई. पानी के इस संकट से निपटने के लिए ग्रामीणों ने हाथों में कुदाल आदि लेकर गांव के पास की पालामाडा नदी में उतर कर श्रमदान कर गड्ढा बनाना शुरू किया और थोड़ी ही खुदाई के बाद नदी के नीचे से जलधारा निकल आई और एक बड़े तालाब में पानी भर गया.

गांव में पानी की दिक्कत को दूर करने के लिए गांव से सभी लोग नदी खोदने में लगे थे. गांव के लोगों ने बताया कि पानी की दिक्कत बहुत ज्यादा थी. मवेशियों के लिए पानी की बहुत दिक्कत थी लेकिन अब हमारे गांव को पानी की दिक्कत नहीं होगी. नदी में जो तालाब बना है और जिस तरह से उसमें पानी भरा है ऐसा नहीं लगता है हमारे गांव को पानी की दिक्कत होगी. ग्रामीणों का ये पहल निश्चित रूप से एक प्रेरणा है. इस भीषण गर्मी में अन्य जगह भी लोगों को हौसला देगा और लोग गर्मी के दौरान पानी के संकट से उबर सकेंगे.

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