सिमडेगा: जनप्रतिनिधि हों या स्थानीय प्रशासन द्वारा जब जनता की मांगों को नजरअंदाज किया जाता है तो जनता अपनी बातों को रखने के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर होती है. बात सांसद को आवेदन देने की हो, विधायक या स्थानीय प्रशासन को, जब बरटोली गांव के ग्रामीण आवेदन दे देकर थक गए तो रविवार को सैकड़ों की संख्या में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, पुरुष सभी सड़कों पर उतर आए. बच्चों ने हाथों में तख्तियां लेकर केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा का रास्ता रोक दिया.
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सिमडेगा में बच्चों का प्रदर्शन और छात्र-छात्राओं को हाथों में तख्तियां लेकर खड़े बच्चों ने केंद्रीय मंत्री का रास्ता रोका. मंत्री के गाड़ी से निकलने के बाद ग्रामीणों ने पुलिया की मांग को लेकर ज्ञापन उन्हें सौंपा. बता दें कि जनजातीय मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा अपने दो दिवसीय दौरे (18-19 मार्च) के क्रम में सिमडेगा पहुंचे थे. बरसलोया स्थित निर्धारित कार्यक्रम स्थल में जाने के दौरान करीब 3 किलोमीटर पूर्व बरटोली गांव के छोटे-छोटे बच्चे एवं सैकड़ों ग्रामीणों ने केंद्रीय मंत्री का रास्ता रोककर गांव में एक पुलिया बनवाने की मांग की.
पुलिया की मांग को लेकर छोटे-छोटे बच्चे हाथों में तख्तियां लिए पुलिया दो-पुलिया दो के नारे लगा रहे थे. जैसे ही केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का काफिला बरटोली गांव के समीप पहुंचा. उन्होंने गाड़ी रोककर ग्रामीणों से मुलाकात की. जिसके पश्चात ग्रामीणों द्वारा उनको ज्ञापन सौंपा गया. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में बरटोली गांव टापू में तब्दील हो जाता है, बच्चों की स्कूल की पढ़ाई छूट जाती है. पुल नहीं होने के कारण यदि कोई बीमार हो जाए तो कंधे पर ढोकर नदी पार कराया जाता है ताकि उसे इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जा सके।.
बीते कुछ माह पूर्व ही आधी रात को गांव के एक महिला की अचानक तबीयत खराब होने के कारण कुर्सी की सहायता से 4 व्यक्तियों द्वारा ढोकर नदी पार करके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया था. ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता के साथ प्रकाशित की थी. जिसके बाद इस गांव में पुल बनाए जाने का मुद्दा तूल पकड़ लिया था. लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
ग्रामीणों द्वारा केंद्रीय मंत्री को आवेदन दिये जाने से पूर्व भाजपा के एक स्थानीय नेता ने बताया कि पूर्व में भी जनजातीय कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा को ग्रामीणों द्वारा 3 बार आवेदन दिया गया था. वहीं स्थानीय विधायक को भी इस मामले पर आवेदन देकर ध्यान आकृष्ट कराया था. इसके अलावा जिला प्रशासन को भी आवेदन देकर इस मांग पर संज्ञान लेने का आग्रह किया गया था. इसके बाद भी जब कोई परिणाम नहीं निकल पाया तो थक हारकर ग्रामीणों ने ऐसा करने का फैसला किया. ग्रामीणों का कहना है कि आवेदन दे देकर वे लोग थक चुके थे, इसलिए आज अपने क्षेत्र के सांसद का रास्ता रोककर उन्होंने वस्तुस्थिति से अवगत कराया है ताकि उनकी मांगों को सुना जाए. विकास की बात करने वाली भाजपा नेताओं की नजरें, इस गांव की समस्याओं पर जाएं तो शायद इस गांव और ग्रामीणों का भला हो जाए.