सिमडेगा: डॉक्टरों को भगवान का रूप कहा जाता है. लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो मरीजों के तकलीफ से सरोकार नहीं रखते. ऐसा ही मामला सिमडेगा सदर अस्पताल में सोमवार को देखने को मिला, जब 20 साल के मरीज पितांबर सिंह को सांस की समस्या हुई. उसके परिजन डॉक्टर से जांच करने की गुहार लगाता रहे लेकिन डॉक्टर ने उसका इलाज करने से साफ इंकार कर दिया.
कोलेबिरा के टकबा गांव के निवासी पितांबर सिंह पिछले कुछ महीने से शरीर फूलने की बीमारी से ग्रसित थे. मरीज की भतीजी बसंती देवी ने बताया कि घर में तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण शनिवार को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब इलाज के दौरान उसके परिजनों ने बिना रेफर किए ही उसे दूसरे अस्पताल ले गए. लेकिन कुछ समय बाद मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगी. जिसके बाद परिजन घबराकर फिर से सदर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने डॉक्टर के पास जांच करने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टर ने चेकअप करने से साफ इंकार कर दिया. उनका कहना था कि वह अपनी मर्जी से मरीज को अस्पताल से लेकर गये थे इसलिए अब वह उसकी जांच नहीं कर सकते.
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वहीं, डॉक्टर के मुताबिक अगर कोई मरीज को बिना डिस्चार्ज किए अस्पताल से ले जाता है तो फिर उस मरीज को फिर से भर्ती करने के लिए परमिशन लेना जरूरी है. लेकिन इन सबके बीच बड़ी बात ये है कि कोई भी डॉक्टर इमरजेंसी की हालत में किसी मरीज का इलाज करने से इनकार नहीं कर सकता. आखिर डॉक्टरों ने पितांबर सिंह का इलाज करने से कैसे इंकार कर दिया ये बड़ा सवाल है.