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तड़पते मरीज को लेकर भटकते रहे परिजन, 'बेरहम' डॉक्टरों ने इलाज से किया इनकार

सिमडेगा में डॉक्टर की लापरवाही से एक मरीज की जान चली गई. मामला सदर अस्पताल का है जहां मरीज की सांस रूकने पर डॉक्टर ने चेकअप के लिए इंकार कर दिया.

सदर अस्पताल की तस्वीर
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Published : Jun 11, 2019, 3:12 PM IST

सिमडेगा: डॉक्टरों को भगवान का रूप कहा जाता है. लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो मरीजों के तकलीफ से सरोकार नहीं रखते. ऐसा ही मामला सिमडेगा सदर अस्पताल में सोमवार को देखने को मिला, जब 20 साल के मरीज पितांबर सिंह को सांस की समस्या हुई. उसके परिजन डॉक्टर से जांच करने की गुहार लगाता रहे लेकिन डॉक्टर ने उसका इलाज करने से साफ इंकार कर दिया.

देखें पूरी खबर

कोलेबिरा के टकबा गांव के निवासी पितांबर सिंह पिछले कुछ महीने से शरीर फूलने की बीमारी से ग्रसित थे. मरीज की भतीजी बसंती देवी ने बताया कि घर में तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण शनिवार को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब इलाज के दौरान उसके परिजनों ने बिना रेफर किए ही उसे दूसरे अस्पताल ले गए. लेकिन कुछ समय बाद मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगी. जिसके बाद परिजन घबराकर फिर से सदर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने डॉक्टर के पास जांच करने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टर ने चेकअप करने से साफ इंकार कर दिया. उनका कहना था कि वह अपनी मर्जी से मरीज को अस्पताल से लेकर गये थे इसलिए अब वह उसकी जांच नहीं कर सकते.

ये भी पढ़ें- झारखंड के इस रहस्यमयी जलधारा की है 'अनोखी कहानी', निकलता है ठंडा और गर्म दोनों पानी

वहीं, डॉक्टर के मुताबिक अगर कोई मरीज को बिना डिस्चार्ज किए अस्पताल से ले जाता है तो फिर उस मरीज को फिर से भर्ती करने के लिए परमिशन लेना जरूरी है. लेकिन इन सबके बीच बड़ी बात ये है कि कोई भी डॉक्टर इमरजेंसी की हालत में किसी मरीज का इलाज करने से इनकार नहीं कर सकता. आखिर डॉक्टरों ने पितांबर सिंह का इलाज करने से कैसे इंकार कर दिया ये बड़ा सवाल है.

सिमडेगा: डॉक्टरों को भगवान का रूप कहा जाता है. लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो मरीजों के तकलीफ से सरोकार नहीं रखते. ऐसा ही मामला सिमडेगा सदर अस्पताल में सोमवार को देखने को मिला, जब 20 साल के मरीज पितांबर सिंह को सांस की समस्या हुई. उसके परिजन डॉक्टर से जांच करने की गुहार लगाता रहे लेकिन डॉक्टर ने उसका इलाज करने से साफ इंकार कर दिया.

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कोलेबिरा के टकबा गांव के निवासी पितांबर सिंह पिछले कुछ महीने से शरीर फूलने की बीमारी से ग्रसित थे. मरीज की भतीजी बसंती देवी ने बताया कि घर में तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण शनिवार को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब इलाज के दौरान उसके परिजनों ने बिना रेफर किए ही उसे दूसरे अस्पताल ले गए. लेकिन कुछ समय बाद मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगी. जिसके बाद परिजन घबराकर फिर से सदर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने डॉक्टर के पास जांच करने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टर ने चेकअप करने से साफ इंकार कर दिया. उनका कहना था कि वह अपनी मर्जी से मरीज को अस्पताल से लेकर गये थे इसलिए अब वह उसकी जांच नहीं कर सकते.

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वहीं, डॉक्टर के मुताबिक अगर कोई मरीज को बिना डिस्चार्ज किए अस्पताल से ले जाता है तो फिर उस मरीज को फिर से भर्ती करने के लिए परमिशन लेना जरूरी है. लेकिन इन सबके बीच बड़ी बात ये है कि कोई भी डॉक्टर इमरजेंसी की हालत में किसी मरीज का इलाज करने से इनकार नहीं कर सकता. आखिर डॉक्टरों ने पितांबर सिंह का इलाज करने से कैसे इंकार कर दिया ये बड़ा सवाल है.

Intro:मरीज की सांस रूकने पर भटकते रहे परिजन, डॉक्टर ने चेकअप करने से किया इनकार

सिमडेगा: डॉक्टरों को भगवान का रूप कहा जाता है। परंतु कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो मरीजों के तकलीफ से सरोकार नहीं रखते। ऐसा ही मामला सदर अस्पताल सिमडेगा में सोमवार रात देखने को मिला जब मरीज पितांबर सिंह उम्र 20 वर्ष की सांस रूक जाने पर परिजन ने डॉक्टर से जांच करने की गुहार लगायी। परंतु डॉक्टर अरूण ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। पितांबर सिंह कोलेबिरा के रौंसिया पंचायत अंतर्गत टकबा गांव का निवासी है। जो पिछले कुछ माह से शरीर फुलने की बिमारी से ग्रसित था। मरीज की भतीजी बसंती देवी ने बताया कि घर में तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण शनिवार को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान मेडोल लैब के कर्मचारी जांच के लिए खून लेने आये, परंतु नश का पता नहीं लगने के कारण लौट गये। दूसरे दिन रविवार की शाम निलांबर सिंह के परिजन जांच कराने हेतु बीरू स्थित शांति भवन हॉस्पिटल ले गये। वहां भर्ती नहीं लेने पर पुनः सदर अस्पताल आकर भर्ती कर दिये। जिसके बाद कार्यरत नर्सों के द्वारा पूर्व में डॉक्टर के बताये अनुसार दवा प्रारंभ की गयी। परंतु कुछ समय बाद मरीज की सांस अचानक रूक गयी और परिजन घबराकर डॉक्टर के पास जांच करने की गुहार लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टर ने चेकअप करने से साफ इनकार कर दिया। कहने लगे अपनी मर्जी से लेकर गये थे। अब मैं इसकी जांच नहीं कर सकता। यहां तक की नर्सों ने भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया था। परंतु डॉक्टर ने किसी की एक न सुनी गयी।
वहीं डॉक्टर अरूण ने परिजन और नर्सों की बातों सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही कहने लगे कि अपनी मर्जी से मरीज को ले जाने के पश्चात पुनः भर्ती करने के लिए परमिशन लेना आवश्यक है।

बाइट- बसंती देवी, मृत निलांबर सिंह की भतीजी।
बाइट- डॉक्टर अरूण, रात्रि ड्यूटी पर।

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