सिमडेगा: बुधवार को सूबे के डीसी सुशांत गौरव ने 'कैच द रैन' (catch the rain) कार्यक्रम के तहत पेयजल-स्वच्छता प्रमंडल कार्यालय (Drinking Water-Sanitation Division Office) में जलशक्ति केंद्र का उद्घाटन किया. इसके बाद कार्यालय परिसर में वृक्षारोपण भी किया. जल शक्ति केंद्र के माध्यम से जल संरक्षण कैसे करना है, इसकी जानकारी मिलने के अलावा जल संचयन से संबंधित योजनाओं की जानकारी मिलेगी. उपायुक्त ने कोनमेंजरा पंचायत पहुंचकर जल संरक्षण की क्रियान्वित योजना का निरीक्षण किया.
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तालाब के जलस्तर में बढ़ोतरी
तालाब के मेढ़ में बनाए गए टीसीबी (TCB) से तालाब के जलस्तर में वृद्धि आई है. उपायुक्त ने तालाब के किनारे वृक्षारोपण करने की बात कही. उन्होंने कहा कि वर्षा जल के भंडारण के लिए आवश्यक संरचनाओं के निर्माण में जन भागीदारी आवश्यक है. वर्षा जल का अधिकतम उपयोग और भू-जल स्तर में वृद्धि हो सके, इसके लिए पानी के भंडारण और संरक्षण की व्यवस्था पर कार्य किया जाना बहुत आवश्यक है.
पानी के भंडारण और संरक्षण की दिशा में जो कुछ कदम उठाए जा सकते हैं, उनमें नए तालाबों का निर्माण, मौजूदा तालाबों का गहरीकरण, सिंचाई टैंकों का निर्माण, चेक डैम का निर्माण, ग्राउंड वॉटर रिचार्ज स्ट्रक्चर (Ground Water Recharge Structure), टीसीबी, डायवर्जन चैनल अतिआवश्यक है.
वर्षा जल संरक्षण और इसकी महत्त्व को ध्यान में रखकर बारिश का मौसम शुरू होते ही ऐसे इंतजाम किया जाए कि बारिश के पानी को हम ज्यादा से ज्यादा संचय कर सकें, ताकि खेत का पानी खेत में और गांव का पानी गांव में संचित कर सकें. इसके लिए जरूरी है कि वर्षा के पूर्व जलछाजन सिद्धांत के तहत राजस्व गांव रिज टू वैली सिद्धांत (Ridge to Valley Principle) (चोटी से घाटी), परती/उपरी टांड़ जमीन से निचली दोन जमीन तक) के आधार पर योजना तैयार करना.
टांड़ भूमि विकास की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मृदा और जल संरक्षण कार्य का स्थल चयन कर उस पर किये जाने वाले जलछाजन संबंधित उपरोक्त कार्य के लिए योजना का चयन कर कार्य आरंभ कर दिया जाना चाहिए. इससे वर्षा के जल को ससमय संचित/एकीकृत कर सके कृषि और पेयजल भू-गर्भ की जलस्तर में वृद्धि का लाभ सीधे रूप से प्राप्त होगा.