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सर्पदंश से 3 मासूम बच्चियों की मौत, सरकारी दावों की खुली पोल - सिमडेगा में अंधविश्वास के कारण सर्पदंश से 3 मासूमों जान गई

सिमडेगा में रविवार रात सो रही तीन बच्चियों को एक जहरीले सांप ने डंस लिया, जिसके बाद ग्रामीण करीब 2 घंटे तक 108 एंबुलेंस सेवा को फोन लगाने की भरपूर कोशिश करते रहे. लेकिन नेटवर्क की असुविधा के कारण वो किसी से मदद की गुहार नहीं लगा सके.

3 girl children died due to snake bite in simdega
3 girl children died due to snake bite in simdega
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Published : Oct 20, 2020, 4:01 PM IST

सिमडेगा: जिले में एक बार फिर सरकारी अव्यवस्था ने सर्पदंश से पीड़ित 3 मासूमों की जान ले ली है. उक्त मामला ठेठईटांगर के ताराबोगा पंचायत के कंदाबेड़ा गौरी डूबा गांव का है, जहां बीती रात सर्पदंश से 3 मासूम बच्ची की मौत हो गई. इनमें गौरीडुबा की एडलिन एक्का 8 वर्ष, कंदाबेड़ा की अंकिता लकड़ा और हर्षिता लकड़ा शामिल है.

देखें पूरी खबर

क्या कहते हैं परिजन

परिजनों ने बताया कि रविवार रात करीब 9:00 बजे सो रही तीन बच्ची एडमिन एक्का, अंकिता लकड़ा और हर्षिता लकड़ा को एक जहरीले सांप ने डंस लिया, जिसके बाद ग्रामीण करीब 2 घंटे तक 108 एंबुलेंस सेवा को फोन लगाने की भरपूर कोशिश करते रहे. लेकिन नेटवर्क की असुविधा के कारण वो किसी से मदद की गुहार नहीं लगा सके. घने जंगलों और जंगली हाथियों के आतंक से भयभीत होने के कारण वे घरों में ही रहने को विवश हुए और अपने बच्चों को तिल-तिल कर मौत के मुंह में जाते हुए देखते रहे.

कंधे पर उठाकर ले गए अस्पताल

सूरज की फूटती किरणों के साथ ग्रामीण खटिया में बच्चियों को लेकर करीब 2 किलोमीटर और फिर कंधे पर उठाकर मजबूर माता-पिता करीब 5 किलोमीटर पथरीले पहाड़ी रास्तों से होते हुए सड़क तक पहुंचते हैं, जिसके बाद इन बच्चों को रेफरल अस्पताल ठेठईटांगर ले जाया गए. लेकिन बच्चियों को बचाया ना जा सका.

सरकारी दावों की खुली पोल

एक तरफ तो सरकार राज्य में विकास की गंगा और प्रत्येक गांव को नेटवर्क सुविधा से जोड़ने के बड़े-बड़े दावे करती है. दूसरी ओर गौरीडूबा और कंदाबेड़ा जैसे गांव की हालत सरकार की इन दावों की पोल खोलती है. शायद हमारा सिस्टम जनहित समस्याओं को लेकर इतना चुस्त-दुरुस्त होता, कि ग्रामीण सिस्टम के आकाओं तक अपनी बातें आसानी से पहुंचा सकते, तो शायद आज इन मासूम बच्चों के जान बच जाती.

यह भी पढ़ें : कृषि कानूनों को लेकर विधान सभा का विशेष सत्र, शिअद-आप का प्रदर्शन

क्या है उपायुक्त का कहना

इस पूरे मामले पर उपायुक्त सुशांत गौरव का कहना है कि मूलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से बच्चियां को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. हालांकि, उन्होंने ग्रामीणों से अंधविश्वास, झाड़-फूंक जैसी चीजों से लोगों को दूर रहने की अपील की है. जिससे की समय रहते पीड़ित को मेडिकल सुविधा मिल सके.

सिमडेगा: जिले में एक बार फिर सरकारी अव्यवस्था ने सर्पदंश से पीड़ित 3 मासूमों की जान ले ली है. उक्त मामला ठेठईटांगर के ताराबोगा पंचायत के कंदाबेड़ा गौरी डूबा गांव का है, जहां बीती रात सर्पदंश से 3 मासूम बच्ची की मौत हो गई. इनमें गौरीडुबा की एडलिन एक्का 8 वर्ष, कंदाबेड़ा की अंकिता लकड़ा और हर्षिता लकड़ा शामिल है.

देखें पूरी खबर

क्या कहते हैं परिजन

परिजनों ने बताया कि रविवार रात करीब 9:00 बजे सो रही तीन बच्ची एडमिन एक्का, अंकिता लकड़ा और हर्षिता लकड़ा को एक जहरीले सांप ने डंस लिया, जिसके बाद ग्रामीण करीब 2 घंटे तक 108 एंबुलेंस सेवा को फोन लगाने की भरपूर कोशिश करते रहे. लेकिन नेटवर्क की असुविधा के कारण वो किसी से मदद की गुहार नहीं लगा सके. घने जंगलों और जंगली हाथियों के आतंक से भयभीत होने के कारण वे घरों में ही रहने को विवश हुए और अपने बच्चों को तिल-तिल कर मौत के मुंह में जाते हुए देखते रहे.

कंधे पर उठाकर ले गए अस्पताल

सूरज की फूटती किरणों के साथ ग्रामीण खटिया में बच्चियों को लेकर करीब 2 किलोमीटर और फिर कंधे पर उठाकर मजबूर माता-पिता करीब 5 किलोमीटर पथरीले पहाड़ी रास्तों से होते हुए सड़क तक पहुंचते हैं, जिसके बाद इन बच्चों को रेफरल अस्पताल ठेठईटांगर ले जाया गए. लेकिन बच्चियों को बचाया ना जा सका.

सरकारी दावों की खुली पोल

एक तरफ तो सरकार राज्य में विकास की गंगा और प्रत्येक गांव को नेटवर्क सुविधा से जोड़ने के बड़े-बड़े दावे करती है. दूसरी ओर गौरीडूबा और कंदाबेड़ा जैसे गांव की हालत सरकार की इन दावों की पोल खोलती है. शायद हमारा सिस्टम जनहित समस्याओं को लेकर इतना चुस्त-दुरुस्त होता, कि ग्रामीण सिस्टम के आकाओं तक अपनी बातें आसानी से पहुंचा सकते, तो शायद आज इन मासूम बच्चों के जान बच जाती.

यह भी पढ़ें : कृषि कानूनों को लेकर विधान सभा का विशेष सत्र, शिअद-आप का प्रदर्शन

क्या है उपायुक्त का कहना

इस पूरे मामले पर उपायुक्त सुशांत गौरव का कहना है कि मूलभूत सुविधाओं की कमी की वजह से बच्चियां को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका. हालांकि, उन्होंने ग्रामीणों से अंधविश्वास, झाड़-फूंक जैसी चीजों से लोगों को दूर रहने की अपील की है. जिससे की समय रहते पीड़ित को मेडिकल सुविधा मिल सके.

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