सरायकेला: खरसावां के काशीडीह जंगल और आकर्षिणी पहाड़ी जंगली हाथियों का शरणस्थली बन चुका है. शाम ढलते ही जंगली हाथी पहाड़ी से उतर कर खेतों की ओर रूख कर जाते है. रातभर खेतों में चहलकदमी कर खेती में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा रहे है.
25-30 की संख्या में जंगली हाथी
विगत एक सताह के अंदर खरसावां वन क्षेत्र के अंतर्गत चिलकु, बंदीराम, सिमला, बुरूगुटू, रेगोगोड़ा, साडेबुरू, रामपुर, काशीडीह, रामगढ़, विटापुर आदि गावों में लगभग 25-30 की संख्या में आए जंगली हाथियों ने लगभग 50 एकड़ खेत में तैयार धान के फसल को खाने के बाद रौंद दिया. हाथियों के इस झुंड में दो बड़े और 8 बच्चे शामिल है.
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हाथियों को खदेड़ने में काफी मशक्कत
जंगली हाथियों का दो झुंड खरसावां के आकर्षिणी डुंगरी में डेरा डाले हुए है. दूसरा झुंड गुरुवार को दिन में रामपुर जंगल में डेरा जमा रखा है. जंगली हाथियों को देखने के लिए रामगढ़ और रामपुर पुलिया में गुरुवार को सुबह सैकड़ों लोग जमा हो गए. किसानों ने बताया कि हाथियों को खदेड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने में वन विभाग का सहयोग मिल रहा है. बुधवार को लगभग सौ की संख्या में निकले किसानों ने मशाल और पटाखा के सहारे हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ा. गुरुवार को वन रक्षियों ने जंगली हाथियों की ओर से किए गए नुकसान का जायजा लिया. उन्होंने नुकसान के मुआवजा के लिए किसानों को आवेदन देने का निर्देश दिया है.