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दुर्गा प्रसाद ने अपनी कला से घर को दिया ऐसा रूप, दूर-दराज से दीदार करने पहुंचने लगे लोग

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Published : Jun 7, 2020, 4:31 PM IST

सरायकेला जिले के कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने अपनी प्रतिभा के दम पर घर को ऐसा रूप दिया है जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. दरअसल दुर्गा प्रसाद एक पेंटिंग आर्टिंस्ट हैं और वह अपने आर्ट से घर की दीवारों पर कलाकृतियां उकेरी हैं. इस कला के माध्यम से वह लोगों को प्रकृति और फिलहाल चल रही महामारी के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं.

Paint Artist Durga Prasad Chaudhary
पेंट आर्टिस्ट दुर्गा प्रसाद चौधरी

सरायकेला-खरसावां: जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र जगन्नाथपुर पंचायत के रहने वाले 72 साल के एक कलाकार ने आज अपने पूरे घर की दीवारों पर ऐसी कलाकृतियां उकेरी हैं. जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं और ना सिर्फ इसे देखते हैं, बल्कि इनके कलाकृतियों में छिपे उन गहरे संदेश को भी समझते हैं. जो आज मानव जीवन के आरंभ से लेकर प्रकृति संरक्षण और वर्तमान में कोरोना वायरस दुष्प्रभाव को बखूबी दर्शाते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

प्रसिद्ध कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने आज अपने घर के सभी दीवारों पर ऐसे बेजोड़ कलाकृतियों को सीमेंट और रेत के माध्यम से उकेरा है. जिसे देख हर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाता है. कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने अपने घरों के दीवारों पर मुख्य रूप से ऐसी कलाकृतियां बनाई है. जिनमें पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर मानव जाति के पृथ्वी और पर्यावरण से लगातार किए जा रहे खिलवाड़ से अंततः परिणाम को बखूबी दर्शाया है. कलाकृतियों के माध्यम से इन्होंने सृष्टि की रचना से लेकर अंत तक और आदिमानव के उत्पत्ति से लेकर आधुनिक युग में जी रहे मानव के क्रियाकलापों को दिखाने की भरसक कोशिश की है.

Painting Artist in Seraikela
अपने घर की दिवारों पर पेंटिंग करते कलाकार दुर्गा प्रसाद

72 साल की उम्र में सेवनिवृत्त दुर्गा प्रसाद

इनकी हर एक कलाकृतियां किसी ना किसी संदेश से जुड़ी हैं, चाहे वह जल संरक्षण हो, पर्यावरण की देखरेख हो या फिर स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़. प्रसिद्ध सेवानिवृत्त कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने अपने 72 साल के इस जीवन में कोल्हान के सभी प्रमुख और नामी-गिरामी कंपनियों में पेंटर कम आर्टिस्ट के रूप में योगदान दिया है. जिनमें मुख्य रूप से जमशेदपुर स्थित जेम्को कंपनी, बोकारो का सेल स्टील प्लांट, पश्चिम सिंहभूम स्थित मेघाहतुबुरू का सेल प्लांट में योगदान दिया और इन कंपनियों में भी इन्होंने बतौर आर्टिस्ट कई बेहतरीन कार्य किए. जिसके लिए इन्हें पुरस्कृत भी किया गया.

ये भी पढ़ें- देवघर में पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे लोग, कब जागेंगे कुंभकर्णी नींद सो रहे अधिकारी!

साल 2008 में ये मेघाहतुबुरू सेल प्लांट से सेवानिवृत्त हुए जिसके बाद इन्होंने अपने सेवानिवृत्त के जीवन को पूरी तरह कला को समर्पित किया और आज ये अपने घर में दर्जनों ऐसे बेहतरीन कलाकृतिया बना रहे हैं जो अब लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हो गया है.

Painting Artist in Seraikela
दुर्गा प्रसाद के घर उनकी कलाकारी को देखने आए लोग

'क्या खोया, क्या पाया' के थीम पर बना रहे कलाकृतियां

कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी विगत कई दिनों से प्रकृति पर्यावरण को संजोने के दिशा में कई बेहतरीन कलाकृतियों को बनाया है. सृष्टि की रचना को ध्यान में रखते हुए इन्होंने 'क्या खोया, क्या पाया' के थीम पर ही अपने अधिकांश कलाकृतियों को बनाया है. सीमेंट और रेत के बने इन कलाकृतियों से आर्टिस्ट दुर्गा प्रसाद चौधरी ने पूर्व में ही यह आशंका भी जताई थी, कि जिस प्रकार से वर्तमान परिवेश में मानव जाति अपने लोभ के लिए सृष्टि और प्रकृति को तहस-नहस कर रहा है. ऐसे में एक दिन यह सृष्टि मानव जाति से बदला लेगी, नतीजतन आज जिस प्रकार पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इससे खिलवाड़ कर रहे हैं. इन सभी संदेशों को इन्होंने दर्शाने का कोशिश किया है

Painting Artist in Seraikela
दुर्गा प्रसाद की बनाई गई कलाकृति

जनप्रतिनिधि ने सरकारी सहायता की मांग

सेवानिवृत्त होकर अपने कला समर्पण भाव को आगे बढ़ा रहे कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने जिस प्रकार संदेश देते कलाकृतियों को उकेरा है. आज वह लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हो रहा. ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद लोग इनके कलाकृतियों से बेहद प्रभावित होते हैं. स्थानीय लोग इनके घर पर आकर इनके बनाए गए कलाकृतियों को निहारते हैं और उस में छुपे संदेश को भी प्राप्त करते हैं. कठिन परिश्रम और निजी खर्च पर अपने बेहतरीन कला प्रतिभा को निरंतर आगे बढ़ा रहे कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी को अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मानते हैं कि ऐसे बेहतरीन कलाकार को सरकारी मदद अवश्य मिलनी चाहिए ताकि ये और बेहतर तरीके से अपने कला को प्रदर्शित करें जो मानव हित के साथ राष्ट्रहित में भी स्थापित हो सके.

Painting Artist in Seraikela
दुर्गा प्रसाद की बनाई गई कलाकृति

परिवार का भी मिलता है भरपूर सहयोग

पूरा जीवन कला को समर्पित करने वाले कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी को परिवार से भी भरपूर सहयोग मिलता है. आज रिटायरमेंट के बाद भी यह प्रतिदिन करीब 6 से 8 घंटे अपने कलाकृतियों को बनाते हैं. जिनमें इनके घर वालों का भी विशेष योगदान रहता है. इनकी पत्नी सुमित्रा देवी कहती हैं कि इन्हें गर्व होता है कि इनके पति 72 साल के उम्र में भी 8 घंटे तक रोजाना कड़ी मेहनत कर अपने कला के बेहतरीन नमूने को मूर्त रूप देने का काम करते हैं.

ये भी पढ़ें- रांची सिविल कोर्ट में सुचारू ढंग से नहीं चल रही न्यायिक प्रक्रिया, अटक रहे मामले

हालांकि इनकी पत्नी मानती है कि सेवानिवृत्ति के बाद यदि सरकार से कुछ आर्थिक सहायता प्राप्त हो जाती तो निश्चित तौर पर इनके कला को और प्रोत्साहन मिलता.

घर को संग्रहालय के रूप में करना चाहते हैं विकसित

कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी की दिली इच्छा है कि जिस प्रकार से इन्होंने अपने पूरे घर में अपने बेहतरीन कलाकृतियों को बनाया है. वह कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और जनहित में समर्पित कर सके, दुर्गा प्रसाद बताते हैं कि बहुत जल्द ही यह अपने सभी कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी लगायेंगे इसके अलावा यह अपने पूरे घर को एक संग्रहालय के रूप में विकसित करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें कुछ आर्थिक मदद की आवश्यकता होगी, कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी चाहते हैं कि इनके कला से नए कलाकार भी कुछ सीखे और पर्यावरण, प्रकृति और राष्ट्र के लिए कुछ बेहतर प्रयास करें.

Painting Artist in Seraikela
अपने घर की दिवारों पर पेंटिंग करते कलाकार दुर्गा प्रसाद

ये भी पढ़ें- मजदूरों को भुगतना पड़ा केंद्र-राज्य में खींचतान का खामियाजा: तेजस्वी यादव

कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी सिर्फ रेत और सीमेंट से ही अपने कलाकृतियों को बनाने में माहिर नहीं है. ये एक अच्छे उपन्यासकार और लेखक भी हैं. इन्होंने कई रचनाएं की है. वहीं इस कोरोना संकट काल में इन्होंने एक कोरोना चालीसा भी खुद से लिखी है. जिसे यह देश के प्रधानमंत्री को सुपुर्द करना चाहते हैं. निश्चित तौर पर कला के प्रति इस कलाकार का समर्पण काबिल-ए-तारीफ है जो बिना किसी शोहरत और ग्लैमर के अपने कल को निखार रहे हैं.

सरायकेला-खरसावां: जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र जगन्नाथपुर पंचायत के रहने वाले 72 साल के एक कलाकार ने आज अपने पूरे घर की दीवारों पर ऐसी कलाकृतियां उकेरी हैं. जिसे देखने लोग दूर-दूर से आते हैं और ना सिर्फ इसे देखते हैं, बल्कि इनके कलाकृतियों में छिपे उन गहरे संदेश को भी समझते हैं. जो आज मानव जीवन के आरंभ से लेकर प्रकृति संरक्षण और वर्तमान में कोरोना वायरस दुष्प्रभाव को बखूबी दर्शाते हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

प्रसिद्ध कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने आज अपने घर के सभी दीवारों पर ऐसे बेजोड़ कलाकृतियों को सीमेंट और रेत के माध्यम से उकेरा है. जिसे देख हर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाता है. कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने अपने घरों के दीवारों पर मुख्य रूप से ऐसी कलाकृतियां बनाई है. जिनमें पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर मानव जाति के पृथ्वी और पर्यावरण से लगातार किए जा रहे खिलवाड़ से अंततः परिणाम को बखूबी दर्शाया है. कलाकृतियों के माध्यम से इन्होंने सृष्टि की रचना से लेकर अंत तक और आदिमानव के उत्पत्ति से लेकर आधुनिक युग में जी रहे मानव के क्रियाकलापों को दिखाने की भरसक कोशिश की है.

Painting Artist in Seraikela
अपने घर की दिवारों पर पेंटिंग करते कलाकार दुर्गा प्रसाद

72 साल की उम्र में सेवनिवृत्त दुर्गा प्रसाद

इनकी हर एक कलाकृतियां किसी ना किसी संदेश से जुड़ी हैं, चाहे वह जल संरक्षण हो, पर्यावरण की देखरेख हो या फिर स्वार्थ के लिए प्रकृति से खिलवाड़. प्रसिद्ध सेवानिवृत्त कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने अपने 72 साल के इस जीवन में कोल्हान के सभी प्रमुख और नामी-गिरामी कंपनियों में पेंटर कम आर्टिस्ट के रूप में योगदान दिया है. जिनमें मुख्य रूप से जमशेदपुर स्थित जेम्को कंपनी, बोकारो का सेल स्टील प्लांट, पश्चिम सिंहभूम स्थित मेघाहतुबुरू का सेल प्लांट में योगदान दिया और इन कंपनियों में भी इन्होंने बतौर आर्टिस्ट कई बेहतरीन कार्य किए. जिसके लिए इन्हें पुरस्कृत भी किया गया.

ये भी पढ़ें- देवघर में पीने के पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे लोग, कब जागेंगे कुंभकर्णी नींद सो रहे अधिकारी!

साल 2008 में ये मेघाहतुबुरू सेल प्लांट से सेवानिवृत्त हुए जिसके बाद इन्होंने अपने सेवानिवृत्त के जीवन को पूरी तरह कला को समर्पित किया और आज ये अपने घर में दर्जनों ऐसे बेहतरीन कलाकृतिया बना रहे हैं जो अब लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हो गया है.

Painting Artist in Seraikela
दुर्गा प्रसाद के घर उनकी कलाकारी को देखने आए लोग

'क्या खोया, क्या पाया' के थीम पर बना रहे कलाकृतियां

कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी विगत कई दिनों से प्रकृति पर्यावरण को संजोने के दिशा में कई बेहतरीन कलाकृतियों को बनाया है. सृष्टि की रचना को ध्यान में रखते हुए इन्होंने 'क्या खोया, क्या पाया' के थीम पर ही अपने अधिकांश कलाकृतियों को बनाया है. सीमेंट और रेत के बने इन कलाकृतियों से आर्टिस्ट दुर्गा प्रसाद चौधरी ने पूर्व में ही यह आशंका भी जताई थी, कि जिस प्रकार से वर्तमान परिवेश में मानव जाति अपने लोभ के लिए सृष्टि और प्रकृति को तहस-नहस कर रहा है. ऐसे में एक दिन यह सृष्टि मानव जाति से बदला लेगी, नतीजतन आज जिस प्रकार पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इससे खिलवाड़ कर रहे हैं. इन सभी संदेशों को इन्होंने दर्शाने का कोशिश किया है

Painting Artist in Seraikela
दुर्गा प्रसाद की बनाई गई कलाकृति

जनप्रतिनिधि ने सरकारी सहायता की मांग

सेवानिवृत्त होकर अपने कला समर्पण भाव को आगे बढ़ा रहे कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी ने जिस प्रकार संदेश देते कलाकृतियों को उकेरा है. आज वह लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हो रहा. ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद लोग इनके कलाकृतियों से बेहद प्रभावित होते हैं. स्थानीय लोग इनके घर पर आकर इनके बनाए गए कलाकृतियों को निहारते हैं और उस में छुपे संदेश को भी प्राप्त करते हैं. कठिन परिश्रम और निजी खर्च पर अपने बेहतरीन कला प्रतिभा को निरंतर आगे बढ़ा रहे कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी को अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है. स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मानते हैं कि ऐसे बेहतरीन कलाकार को सरकारी मदद अवश्य मिलनी चाहिए ताकि ये और बेहतर तरीके से अपने कला को प्रदर्शित करें जो मानव हित के साथ राष्ट्रहित में भी स्थापित हो सके.

Painting Artist in Seraikela
दुर्गा प्रसाद की बनाई गई कलाकृति

परिवार का भी मिलता है भरपूर सहयोग

पूरा जीवन कला को समर्पित करने वाले कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी को परिवार से भी भरपूर सहयोग मिलता है. आज रिटायरमेंट के बाद भी यह प्रतिदिन करीब 6 से 8 घंटे अपने कलाकृतियों को बनाते हैं. जिनमें इनके घर वालों का भी विशेष योगदान रहता है. इनकी पत्नी सुमित्रा देवी कहती हैं कि इन्हें गर्व होता है कि इनके पति 72 साल के उम्र में भी 8 घंटे तक रोजाना कड़ी मेहनत कर अपने कला के बेहतरीन नमूने को मूर्त रूप देने का काम करते हैं.

ये भी पढ़ें- रांची सिविल कोर्ट में सुचारू ढंग से नहीं चल रही न्यायिक प्रक्रिया, अटक रहे मामले

हालांकि इनकी पत्नी मानती है कि सेवानिवृत्ति के बाद यदि सरकार से कुछ आर्थिक सहायता प्राप्त हो जाती तो निश्चित तौर पर इनके कला को और प्रोत्साहन मिलता.

घर को संग्रहालय के रूप में करना चाहते हैं विकसित

कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी की दिली इच्छा है कि जिस प्रकार से इन्होंने अपने पूरे घर में अपने बेहतरीन कलाकृतियों को बनाया है. वह कला के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और जनहित में समर्पित कर सके, दुर्गा प्रसाद बताते हैं कि बहुत जल्द ही यह अपने सभी कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी लगायेंगे इसके अलावा यह अपने पूरे घर को एक संग्रहालय के रूप में विकसित करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें कुछ आर्थिक मदद की आवश्यकता होगी, कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी चाहते हैं कि इनके कला से नए कलाकार भी कुछ सीखे और पर्यावरण, प्रकृति और राष्ट्र के लिए कुछ बेहतर प्रयास करें.

Painting Artist in Seraikela
अपने घर की दिवारों पर पेंटिंग करते कलाकार दुर्गा प्रसाद

ये भी पढ़ें- मजदूरों को भुगतना पड़ा केंद्र-राज्य में खींचतान का खामियाजा: तेजस्वी यादव

कलाकार दुर्गा प्रसाद चौधरी सिर्फ रेत और सीमेंट से ही अपने कलाकृतियों को बनाने में माहिर नहीं है. ये एक अच्छे उपन्यासकार और लेखक भी हैं. इन्होंने कई रचनाएं की है. वहीं इस कोरोना संकट काल में इन्होंने एक कोरोना चालीसा भी खुद से लिखी है. जिसे यह देश के प्रधानमंत्री को सुपुर्द करना चाहते हैं. निश्चित तौर पर कला के प्रति इस कलाकार का समर्पण काबिल-ए-तारीफ है जो बिना किसी शोहरत और ग्लैमर के अपने कल को निखार रहे हैं.

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