सरायकेला: जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत नीमडीह बस्ती के 65 वर्षीय गोकुल कंसारी, 45 वर्षीय उनके दामाद मोहनलाल कंसारी और 37 वर्षीय भतीजे सोनू कंसारी की मौत हो गई. मौत के बाद पूरे बस्ती में मातम फैला है.
सरायकेला में लगातार बढ़ रहा है. बता दें कि 2 दिन पहले ठंड के कारण 65 वर्षीय गोकुल कंसारी ने दम तोड़ा था. वहीं, गुरूवार की रात 37 वर्षीय सोनू कंसारी की मौत हो गई, जबकि शुक्रवार की सुबह तड़के चार बजे 47 वर्षीय मोहनलाल कंसारी ने भी ठंड के कारण मौत हो गई. इधर इस घटना के बाद से पूरे नीमडीह बस्ती के लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है.
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वहीं, मिली जानकारी के अनुसार मृत गोकुल कंसारी उनके दामाद मोहनलाल अंसारी और भतीजा सोनू कंसारी मजदूरी कर अपना पेट पालते थे. इस घटना के बाद से स्थानीय लोगों ने बताया कि आज तक इन्हें सरकार के तरफ से ना तो कभी कंबल प्रदान किया गया है और ना अलाव की व्यवस्था की जाती है. ऐसे में ये गरीब भीषण ठंड में किसी तरह अपनी जान बचाते है.
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आचार संहिता का हवाला देकर साधी चुप्पी
इस घटना पर जब अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो सभी ने राज्य में लागू चुनावी आचार संहिता का हवाला देकर चुप्पी साध ली. वहीं, कुछ अधिकारियों ने ऑफ द रिकॉर्ड जानकारी देते हुए बताया कि आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले ही गम्हरिया प्रखंड क्षेत्र में साढे चार हजार से भी अधिक कंबलो का वितरण कर दिया गया था. इन कंबलो के वितरण का जिम्मा स्थानीय जनप्रतिनिधि और वार्ड पार्षदों के हवाले था.
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आचार संहिता खत्म होते ही अलाव और कंबल की होगी व्यवस्था
स्थानीय वार्ड 7 की पार्षद मंजू गोराई ने इस बात को स्वीकारा की ठंड से ही इस परिवार के तीनों लोगों की मौत हुई है. वहीं, वार्ड पार्षद ने बताया कि आचार संहिता लागू होने के कारण अब तक कंबल नहीं बांटे गए है और ना ही अलाव की व्यवस्था की गई है. वार्ड पार्षद ने कहा कि 23 दिसंबर के बाद आचार संहिता खत्म होते ही कंबल और अलाव की व्यवस्था सभी बस्ती और स्थानों में कर दी जाएगी. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि आचार संहिता को लेकर कंबल वितरण नहीं रोका जा सकता तो फिर स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि ने कंबल और अलाव क्यों नहीं बांटी.
आचार संहिता खत्म होने में अभी 3 दिन और बचे है, जबकि इस बात की क्या गारंटी कि 3 दिनों में ठंड से और कोई मौत नहीं होगी. जरूरत है प्रशासन को इस ओर अविलंब ध्यान देने की ताकि जिन जरूरतमंदों के लिए कंबल आवंटित हो सके. उन्हें समय से कंबल प्राप्त हो सके और उनकी जान भी बच सके.